हंपी घूमने के वैसे तो कई तरीके हैं। पैदल, साइकिल किराये पर लेकर और टैक्सी से। पर इसके लिए
सबसे बेहतर साधन आटो बुक करके घूमना हो सकता है। हमने आटो वाले स्वामी ( मोबाइल –
94487 89346 ) को एक दिन पहले ही तय कर लिया था। कुल 700 रुपये में दिन भर घूमाने का
करार। वे सुबह 7.30 बजे वादे के मुताबिक पहुंच भी गए। हमने ही निकलने में थोड़ी
देर लगाई। वैसे हंपी के ज्यादातर आटो वाले इमानदार और अच्छे गाइड हैं।
अब सवाल उठता है कि
हंपी में क्या देखें। तो जनाब यहां 1600 स्मारक हैं। इनमें से 80 के आसपास प्रमुख
स्मारक हैं। अब आपकी श्रद्धा, साहस और समय की उपलब्धता पर निर्भर करता है कि आप
कितना और क्या-क्या देख सकते हैं। वैसे हंपी को अच्छी तरह घूमने के लिए एक दो दिन का वक्त कम पड़ जाता है।
कडलेकालु गणेश मंदिर - स्वामी के साथ सैर
में हम सबसे पहले पहुंचते हैं गणेश मंदिर। हां प्रथम पूजा गणेश की होती है तो
प्रथम दर्शन भी गणेश का ही होना चाहिए ना। कडलेकालु गणेश मंदिर। यह मंदिर
विरुपाक्ष मंदिर से थोड़ी दूरी पर ही होसपेटे
जाने वाले मार्ग पर स्थित है। यह मंदिर पंद्रहवीं सदी का बना हुआ है। दस फीट से
ज्यादा ऊंची गणेश प्रतिमा बहुत अच्छी स्थित में है। मंदिर के चारों तरफ बरामदे में
भी अलग अलग देव मूर्तियां उकेरी गई हैं।
कडलेकालु गणेश
मंदिर में गणेश की प्रतिमा लंबोदर रूप में है। गणेश जी का पेट कुछ ज्यादा ही बड़ा
बनाया गया है। लंबोदर यह सीख देते हैं -
बातें पचाइए और उदर की तरह उदार बनिए।

आगे चलने पर स्वामी
हमें सड़क के किनारे दो पहाड़ों को दिखाते हैं। वे आपस में गुत्थम गुत्था हैं।
इसलिए इन्हें सिस्टर रॉक्स कहते हैं। आगे हमें विजय नगर सम्राज्य के पतन के बाद की
भी कुछ निसानियां दिखाई देती हैं। इसमें महम्मडन निगरानी मीनार, बेंड मीनार और
मसजिद शामिल है।
जनाना प्रांगण या रानी महल - आगे चलते हुए हम आ पहुंचे हैं, जनाना प्रांगण, कमल महल, रंग मंदिर
और हाथी शाला के पास। जनाना प्रांगण में जाने के लिए पुरातत्व विभाग के काउंटर से
30 रुपये का टिकट खरीदना होता है। यही टिकट विट्ठल मंदिर और हंपी के संग्रहालय के लिए भी
मान्य है। बाकी हंपी में किसी स्मारक के लिए कोई टिकट नहीं है। जनाना प्रांगण वह
जगह है जहां पर राजमहल का अंतःपुर यानी रानियों का निवास हुआ करता था।
जनाना महल का परिसर काफी बड़ा और हरा भरा है। इसमें प्रवेश के दो द्वार हैं। इसी के एक हिस्से में हाथीशाला, रंग मंदिर और कमल महल है। कमल महल मतलब कमल के फूल से मिलता जुलता मंदिर। जनाना प्रांगण के पास पेयजल और शौचालय आदि का इंतजाम है। यहां कुछ दुकानें भी हैं जहां आप शीतल पेय आदि खरीद सकते हैं। हमें भी प्यास लग गई है तो हमने यहां माजा की बोतल खरीदी। इससे पहले तरबूज और शिकंजी का सेवन कर चुके हैं। एक जगह आटो रुकवा कर कच्चा आम भी खरीदकर खाया। पर अभी हंपी में काफी कुछ देखना बाकी है। तो आगे बढ़ते हैं।
जनाना महल का परिसर काफी बड़ा और हरा भरा है। इसमें प्रवेश के दो द्वार हैं। इसी के एक हिस्से में हाथीशाला, रंग मंदिर और कमल महल है। कमल महल मतलब कमल के फूल से मिलता जुलता मंदिर। जनाना प्रांगण के पास पेयजल और शौचालय आदि का इंतजाम है। यहां कुछ दुकानें भी हैं जहां आप शीतल पेय आदि खरीद सकते हैं। हमें भी प्यास लग गई है तो हमने यहां माजा की बोतल खरीदी। इससे पहले तरबूज और शिकंजी का सेवन कर चुके हैं। एक जगह आटो रुकवा कर कच्चा आम भी खरीदकर खाया। पर अभी हंपी में काफी कुछ देखना बाकी है। तो आगे बढ़ते हैं।
- विद्युत प्रकाश मौर्य
(HAMPI, SWAMI AUTO, KRISHNA MANDIR, KADLEKALU GANESHA, JANANA CAMPUS, LOTUS MAHAL, HATHISHALA)
हंपी की यात्रा को शुरुआत से पढ़ने के लिए यहां पर क्लिक करें।
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बढ़िया पोस्ट।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
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