हम बीजापुर से
बादामी वापसी की राह पर हैं। वापसी इसलिए की सुबह ही इसी रास्ते से बीजापुर पहुंचे
थे। हमने पहले रेलवे के समय सारणी में देख रखा था कि बादामी के लिए दोपहर 2.05 बजे
एक पैसेंजर ट्रेन (सोलापुर गदग पैसेंजर) है। पर हमें उससे पहले 1.30 बजे भी एक
पैसेंजर ट्रेन दिख गई। यह बीजापुर हुबली स्पेशल पैसेंजर ट्रेन है जो 30 जून तक
चलने वाली है। सो हम टिकट खरीदकर इसमें ही बैठ गए। बीजापुर स्टेशन पर रेलवे की ओर
से सस्ते आरओ वाटर बेचने वाले दो स्टाल लग गए हैं। गरमी इसलिए हमने पानी का अच्छा
स्टॉक रख लिया। हालांकि ट्रेन आधे घंटे लेट दो बजे ही खुली। रास्ता सिंगल लाइन का
है, इसलिए रास्ते में पास देने के लिए भी ट्रेन कई जगह रूक जाती है।
बीजापुर से बादामी
की दूरी 123 किलोमीटर है। रास्ते में 10 रेलवे स्टेशन आते हैं। भारी गरमी में हमारा
पैसेंजर ट्रेन का तीन घंटे का सफर उबाऊ नहीं रहा। रास्ते में स्थानीय लोग चढ़ते
रहे। महिला यात्री ज्यादा थीं। वे कन्नड़ में किसी गुरु महाराज का भजन गाने लगीं,
हालांकि हमारी समझ में शब्द नहीं आ रहे थे, पर धुन काफी प्यारी थी। मार्च महीने
में भी दोपहर में तापमान 35 डिग्री के ऊपर था। पर इसी बीच ट्रेन में नंदिनी का छाछ बेचने वाले
किसी देवदूत की तरह उभरे।
आपको पता ही है नंदिनी कर्नाटक का लोकप्रिय सरकारी दुग्ध उत्पादों का ब्रांड है। तो छाछ पीकर मन को शीतलता और शांति मिली। रास्ते में बागलकोट और अलमाट्टि जैसे स्टेशन आए। एक बार फिर कृष्णा नदी का पुल आया। दो स्टेशनों पर ट्रेन आधे आधे घंटे भी रुक गई। एक स्टेशन पर तो हमारी पड़ोसन यात्री ने ट्रेन के देर तक रुकने पर अपनी एक रिश्तेदार को फोन करके स्टेशन पर मिलने के लिए बुलवा लिया। इसे कहते हैं एक पंथ दो काज। बादामी आते आते ट्रेन में हुबली जाने वाले यात्रियों की भीड़ बढ़ रही थी।
आपको पता ही है नंदिनी कर्नाटक का लोकप्रिय सरकारी दुग्ध उत्पादों का ब्रांड है। तो छाछ पीकर मन को शीतलता और शांति मिली। रास्ते में बागलकोट और अलमाट्टि जैसे स्टेशन आए। एक बार फिर कृष्णा नदी का पुल आया। दो स्टेशनों पर ट्रेन आधे आधे घंटे भी रुक गई। एक स्टेशन पर तो हमारी पड़ोसन यात्री ने ट्रेन के देर तक रुकने पर अपनी एक रिश्तेदार को फोन करके स्टेशन पर मिलने के लिए बुलवा लिया। इसे कहते हैं एक पंथ दो काज। बादामी आते आते ट्रेन में हुबली जाने वाले यात्रियों की भीड़ बढ़ रही थी।

स्टेशन से बादामी
बाजार जाने के लिए शेयरिंग आटो रिक्शा चलते हैं। दस रुपये प्रति सवारी, दूरी 5
किलोमीटर। हम भी तुरंत अपने सामान के साथ एक आटो रिक्शा में लद गए। तीन किलोमीटर
तक खेतों की बीच दौड़ती सरपट सड़क के बाद बादामी का बाजार शुरू हो गया। बादामी बस
स्टैंड आते ही आटो की सेवा समाप्त हो गई।
हमने जिस होटल को गोआईबीबो
डाट काम से बुक किया है उसका नाम राज संगम है। शुक्र है कि यह होटल बिल्कुल बस
स्टैंड के सामने एक मार्केटिंग कांप्लेक्स के अंदर है। इसलिए आटो से उतरकर सीधे
होटल के परिसर में पहुंच गए हमलोग। अब यहां दो दिनों का प्रवास है। होटल का
रिसेप्शन सजा संवरा है। वे हमें लिफ्ट से ले जाकर तीसरी मंजिल पर एक डिलक्स
वातानुकूलित कमरे में टिका देते हैं। कमरा सुसज्जित है। चाय बनाने के लिए
इलेक्ट्रिक केतली दे रखी है। होटल का अपना रेस्टोरेंट और बार भी है। तो हमलोग
यात्रा की थकान मिटाने के लिए शॉवर लेने चल पड़ते हैं। अनादि चाय और कॉफी बनाने की
जुगत में लग जाते हैं।
-vidyutp@gmail.com
(BIJAPUR, BADAMI, RAIL, NANDINI BUTTER MILK, BAGALKOT, KARNATKA )
सुन्दर. गर्मी में छाछ पीने का अपना ही आनंद है.
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