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नई दिल्ली की 1डी टर्मिनल और पियानो.... |
वह मार्च की एक ठंडी सुबह थी। 1डी पर एक सुंदर जापानी पियानो देखने को मिला जिसमें एक पेन ड्राइव लगाने के बाद सुमधुर संगीत निकलने लगा। मैं और अनादि थोड़ी देर इस संगीत का आनंद लेते रहे। पियानो के सारे की अपने अपने आप चलते जा रहे थे। तभी हमारी फ्लाइट में प्रवेश का समय हो गया।
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कुछ इस तरह विमान में सो भी सकते हैं.... |
बेंगलुरू शहर से
एयरपोर्ट जाने के लिए अच्छी कनेक्टिविटी नहीं है। आपको मैजेस्टिक जय नगर आदि से
बसें मिलती हैं जिनका किराया 234 रुपये प्रति व्यक्ति है। अगर टैक्सी करते हैं तो
700 से 1000 रुपये तक बिल आता है। तीन लोग हों तो टैक्सी कर लेना बेहतर है। जब
एयरपोर्ट शहर से काफी दूर बनाया जाए तो उसे मेट्रो या लोकल ट्रेन के नेटवर्क से
जोड़ा जाना चाहिए। मजे की बात से बेंगलुरू एयरपोर्ट से महज 4 किलोमीटर की दूरी पर
चिकाबालपुर लाइन का लोकल रेलवे स्टेशन है। डोडजाला हाल्ट (DJL) रेलवे स्टेशन की दूरी बेंगलुरु सिटी से 39 किलोमीटर है।
अगर लोकल ट्रेन नेटवर्क दुरस्त कर दिया जाए तो एयरपोर्ट पहुंचना आसान हो जाए। जैसे चेन्नई एयरपोर्ट के ठीक सामने लोकल ट्रेन का स्टेशन और मेट्रो स्टेशन है। वैसे सुना है कि एयरपोर्ट तक मेट्रो ले जाने की योजना है। अभी अगर आप बेंगलुरू के किसी कोने से भी एयरपोर्ट जाना चाहते हैं तो आपको 3 घंटे का समय लेकर चलना चाहिए। सबसे बड़ा कारण बेंगलुरू शहर का घटिया ट्रैफिक है। ज्यादा तर सड़के संकरी है, जिसमें बसें और टैक्सी फंस कर रेंगती रहती हैं। दिल्ली की तरह बेंगलुरू में चौड़ी सड़कें काफी कम है। अभी मेट्रो नेटवर्क पूरे शहर को जोड़ नहीं पाया है।
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और ये रहा बेंगलुरु... |
अगर लोकल ट्रेन नेटवर्क दुरस्त कर दिया जाए तो एयरपोर्ट पहुंचना आसान हो जाए। जैसे चेन्नई एयरपोर्ट के ठीक सामने लोकल ट्रेन का स्टेशन और मेट्रो स्टेशन है। वैसे सुना है कि एयरपोर्ट तक मेट्रो ले जाने की योजना है। अभी अगर आप बेंगलुरू के किसी कोने से भी एयरपोर्ट जाना चाहते हैं तो आपको 3 घंटे का समय लेकर चलना चाहिए। सबसे बड़ा कारण बेंगलुरू शहर का घटिया ट्रैफिक है। ज्यादा तर सड़के संकरी है, जिसमें बसें और टैक्सी फंस कर रेंगती रहती हैं। दिल्ली की तरह बेंगलुरू में चौड़ी सड़कें काफी कम है। अभी मेट्रो नेटवर्क पूरे शहर को जोड़ नहीं पाया है।
खैर हमारे टैक्सी
वाले हमें येलहांका लेकर आए, यह एयरपोर्ट मार्ग पर शहर का बाहरी इलाका है। यहां
वायुसेना का स्टेशन है। हमें एयर स्ट्रिप दिखाई देती है जहां हर साल एयर शो होता
है। आगे हम जालाहाली पहुंचते हैं जहां
एचएमटी की विशाल कालोनी है। अब एचएमटी की घड़ियों का बाजार में शेयर कम होता जा
रहा है। पर किसी जमाने में घड़ी का मतलब एचएमटी ही होता था।
जालाहाली से आगे मैसूर रोड में मेट्रो ट्रेन के दर्शन होते हैं। इसके बाद हम थोड़ी देर नाइस एक्सप्रेस वे पर कुलांचे भरते हैं। फिर हम पहुंच जाते हैं गुबालाला। यहां हमारे बड़े भाई रहते हैं। उनके बेटे पुलकित और अनादि एक ही क्लास में पढ़ते हैं। पांच साल बाद मिलकर दोनों की खुशियों का ठिकाना नहीं है।
जालाहाली से आगे मैसूर रोड में मेट्रो ट्रेन के दर्शन होते हैं। इसके बाद हम थोड़ी देर नाइस एक्सप्रेस वे पर कुलांचे भरते हैं। फिर हम पहुंच जाते हैं गुबालाला। यहां हमारे बड़े भाई रहते हैं। उनके बेटे पुलकित और अनादि एक ही क्लास में पढ़ते हैं। पांच साल बाद मिलकर दोनों की खुशियों का ठिकाना नहीं है।
- vidyutp@gmail.com
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