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ठग्गू के लड्डू का उरसला स्थित स्टोर। |
ऐसा कोई सगा
नहीं जिसे हमने ठगा नहीं...वे ऐसा खुलेआम कहते
हैं। पर उनकी दुकान पर भीड़ उमड़ती है। आपने कानपुर के ठग्गू के लड्डू की चर्चा तो
सुनी ही होगी। चर्चा तो हमने भी खूब सुनी थी। पर ठग्गू के लड्डू को कई बार चखने का
और खाने का मौका मिला अपने कानपुर के साथी रमन शुक्ला के सौजन्य से वे जब कानपुर से
आते हैं कोई न कोई मिठाई हम दोस्तों के लिए लेकर जरूर आते हैं। वे कई बार ठग्गू के
लड्डू भी लेकर आए। वे ठग्गू के लड्डू की कहानी अपने अंदाज में सुनाते हैं।
नवंबर 2017 में रमन शुक्ला के घर मांगलिक कार्यक्रम में जाना हुआ तो हम भी पहुंच गए ठग्गू के लड्डु की दुकान पर। खाया भी और पैक भी कराया।

और अब लड्डू के बाद बदनाम कुल्फी भी
ठग्गू के
लड्डू की दुकान की दूसरी पहचान बदनाम कुल्फी से है। बदनाम कुल्फी की टैग लाइन है – बिकती नहीं फुटपाथ पर तो नाम
होता टाप पर। आगे लिखा है – मेहमान को चखाना नहीं, टिक जाएगा.... यानी जाने का नाम ही नहीं लेगा। और बदनाम कुल्फी की दूसरी टैगलाइन है - चखते ही जुबां और जेब की गरमी गायब। कानपुर के लोग इस बदनाम कुल्फी के दीवाने
हैं। जब आप ठग्गू के लड्डू की दुकान पर जाएंगे तो कारीगर यहां कुल्फी के लिए बर्फ को पेरते नजर आएंगे।
कुल्फी शहर से बाहर नहीं जा सकती पर ठग्गू के लड्डू को मुंबई और दूसरे शहरों तक भी पहुंच जाते हैं। ठग्गू के लड्डू का दावा है कि वे मिठाईयों के निर्माण में शुद्ध देशी घी का इस्तेमाल करते हैं। कानपुर में इनका मुख्य स्टोर उरसला हास्पीटल के पास इमरजेंसी मार्केट, माल रोड पर स्थित है। कभी कानपुर जाएं तो उधर का रुख कर सकते हैं।
कुल्फी शहर से बाहर नहीं जा सकती पर ठग्गू के लड्डू को मुंबई और दूसरे शहरों तक भी पहुंच जाते हैं। ठग्गू के लड्डू का दावा है कि वे मिठाईयों के निर्माण में शुद्ध देशी घी का इस्तेमाल करते हैं। कानपुर में इनका मुख्य स्टोर उरसला हास्पीटल के पास इमरजेंसी मार्केट, माल रोड पर स्थित है। कभी कानपुर जाएं तो उधर का रुख कर सकते हैं।
कुछ ऐसे शुरू हुई मट्ठा पांडे के लड्डू की कहानी -

ठग्गू के
लड्डू नाम से मिठाई के दुकान की शुरुआत मट्ठा पांडे (रामअवतार पांडे) ने की थी। अब
उनकी अगली पीढ़ी में प्रकाश पांडे कारोबार देखते हैं। हालांकि उनके परिवार के लोग
बताते हैं कि ऐसा कोई सगा नहीं....जैसा वाक्य मात्र पब्लिसिटी स्टंट था जो काफी
हिट रहा।
मट्ठा पांडे
ने कानपुर में 1960 के आसपास लड्डू की दुकान खोली।वे पहले दिल्ली गए वहां फुटपाथ
पर दुकान लगाई। बात नहीं बनी तो फिर
कानपुर आकर मेस्टन रोड पर मट्ठा की दुकान खोली। वह भी ज्यादा नहीं जमा तो फिर मिठाई के कारोबार में आए। वे
गांधी जी के अनुयायी थे। एक बार गांधी जी के भाषण में
बापू को यह कहते सुना कि चीनी मीठा जहर है। तो उन्होंने ये चुनौती स्वीकारी कि वे
बिना चीनी वाली मिठाई बनाएंगे। आज ठग्गू के लड्डू कानपुर के लोगों का महबूब ब्रांड बन गया है।
ठग्गू के लड्डू की दुकान से आप स्पेशल लड्डू, खोया लड्डू, काजू लड्डू, दूध पेड़ा और बादाम कुल्फी खरीद सकते हैं। उनका स्पेशल लड्डू 510 रुपये किलो या उससे अधिक की दर पर उपलब्ध है। समान्य लड्डू की दरें 420 रुपये किलोग्राम है।
ठग्गू के लड्डू की दुकान से आप स्पेशल लड्डू, खोया लड्डू, काजू लड्डू, दूध पेड़ा और बादाम कुल्फी खरीद सकते हैं। उनका स्पेशल लड्डू 510 रुपये किलो या उससे अधिक की दर पर उपलब्ध है। समान्य लड्डू की दरें 420 रुपये किलोग्राम है।
कहां से खरीदें - कानपुर में
ठग्गू के लड्डू के तीन स्टोर हैं। काकदेव में देवकी सिनेमा के पास भी उनका आउटलेट
है। बड़ा चौराहा सिविल लाइंस में भी उनका स्टोर है। अब ठग्गू के लड्डू वाले दिल्ली
एनसीआर में अपना फ्रेंचाइजी खोलने जा रहे हैं। इससे आप दिल्ली में भी कानपुर वाले
लड्डू खरीद सकेंगे।

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---- विद्युत प्रकाश मौर्य
( ( THAGGU KE LADDU, KANPUR, BADNAM KULFI, RADHA BARFEE )
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