जोधपुर
के मेहरानगढ़ किले के एक छोर पर माता चामुंडा का मंदिर स्थित है। वैसे तो यह मंदिर
राजमहल का हिस्सा है पर इस मंदिर में जोधपुर वासियों और आसपास के लोगों की अगाध
श्रद्धा है। इसलिए हर रोज हजारों लोग मां चामुंडा के दर्शन करने आते हैं। जब हम
मां चामुंडा की बात करते हैं देश के कई और प्रसिद्ध इसी नाम के मंदिर का बोध होता
है। कर्नाटक के मैसूर में मां चामुंडा का मंदिर, हिमाचल के कांगड़ा में मां
चामुंडा का मंदिर और चंबा शहर में मां चामुंडा का मंदिर है। पर राजस्थान के जोधपुर
का यह चामुंडा देवी का मंदिर भी उतना ही प्रसिद्ध है।
मारवाड़
राजा राव जोधा ने 1460
में मेहरानगढ किले के समीप चामुंडा माता का मंदिर बनवाया और मूर्ति
की स्थापना की। राव जोधा को चामुंडा माता मे अथाह श्रद्धा थी। कहा जाता है कि मां
चामुंडा की देवी की मूर्ति को राव जोधा अपने साथ मंडोर से लेकर आए थे। जब
मेहरानगढ़ में राजधानी बनाई तो यहां देवी की भी स्थापना की। हालांकि कुछ लोगों का
कहना है कि मंदिर यहां किला बनने के पहले से ही अस्तित्व में था।
मां
का भवन श्वेत धवल रंग का है। इस सूर्य की रोशनी पड़ती है तो और भी सुंदर दिखाई
देता है। यहां से पूरे जोधपुर शहर का विहंगम नजारा दिखाई देता है। मेहरानगढ़ में
स्थित मां चामुंडा की प्रतिमा मनमोह लेती है। यहां देवी चलायमान मुद्रा में
विराजती हैं। वास्तव में चामुंडा जोधपुर के शासकों की कुलदेवी हैं। सैकड़ो साल से
परिहार राजा मां चामुंडा की कुल देवी के तौर पर पूजा करते आए हैं। किले में मंदिर
के निर्माण के बाद किले के द्वार आम जनता के लिए भी खोले गए थे। चामुंडा मां मात्र
शासकों की ही नहीं बल्कि जोधपुर निवासियों की कुल
देवी हैं। मंदिर में मां चामुंडा के अलावा कालिका जी की प्रतिमा भी स्थापित है। आज
भी लाखों लोग इस देवी को पूजा करने आते हैं। नवरात्रि के दिनों मे यहां विशेष पूजा
अर्चना की जाती है।
जोधपुर
के लोगों का कहना है कि 1965 में भारत पाकिस्तान युद्ध के दौरान मां चामुंडा ने
जोधपुर वासियों की पाकिस्तान सेना से रक्षा की। तब से लोगों की आस्था माता के इस
मंदिर में और बढ़ गई। लोग कहते हैं कि मां ने चील का रुप धारण कर शहर वासियों की
रक्षा की। जोधपुर का राजघराना हर साल खास खास मौकों पर मंदिर में आकर मां की पूजा
अर्चना करता है। वहीं शहर आने वाली नामी गिरामी हस्तियां भी यहां मां का आशीर्वाद
लेने पहुंचती हैं।
कैसे
पहुंचे –
मां चामुंडा के मंदिर तक पहुंचने के लिए पहले आप जोधपुर के मेहरानगढ़ किले में
पहुंचें। किले के दक्षिणी छोर पर मां का मंदिर स्थित है। मंदिर तक पहुंचने के लिए
सीढ़ियां बनी हैं। यह मंदिर जोधपुर शहर के कई हिस्से से दिखाई भी देता है। साल के
दोनों नवरात्र के समय में यहां मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है। उस
दौरान दर्शन में कई घंटे लग जाते हैं। साल के समान्य दिनों में मंदिर सुबह 7 बजे
से शाम 5 बजे तक खुला रहता है।
2008 में हुआ था बड़ा हादसा - साल
2008 में 30 सितंबर को मेहरानगढ़ के किले में स्थित मां चामुंडा के मंदिर में भगदड़ मच गई थी
जिसमें 216 श्रद्धालुओं की जान चली गई थी, इसके बाद से नवरात्र के मेलों के दौरान
प्रशासन काफी सतर्क रहता है।
- vidyutp@gmail.com
(CHAMUNDA DEVI TEMPLE, MEHRANGARH, JODHPUR )
No comments:
Post a Comment