मेरी मंजिल है मेहरानगढ़ का
किला। जोधपुर शहर का सबसे प्रमुख दर्शनीय स्थल। सराफा बाजार के आटो स्टैंड में
एक आटो वाले से किला तक चलने को कहता हूं। आटो वाला बताता है दो रास्ते हैं एक दूर
एक दूसरा नजदीक का। फतेह पोल होकर और जय पोल होकर। नजदीक वाला रास्ता एक किलोमीटर
है फतेह पोल से किले में प्रवेश करें। कहिए तो पहुंचा दूंगा लेकिन सुबह सुबह का
समय है आप पैदल टहलते हुए चले जाएं तो अच्छा होगा। भला कोई इतना बढ़िया आटोवाला
मिलता है जो अपनी पहली सवारी को छोड़ दे। दिल्ली होता तो आटोवाला शर्तिया लंबे
रास्ते से ले जाता और 200 रुपये मांगता। मैं आटो वाले को धन्यवाद देता हू पैदल
पैदल चल पड़ता हूं। पुराने जोधपुर शहर की हवेलियां देखते हुए।
फतेह पोल गेट से प्रवेश - एक किलोमीटर चलने फतेह पोल आ
गया। लिखा है कि यह दरवाजा राजा अजीत सिंह ने साल 1719 में बनवाया। यह 1707 में
मारवाड़ को मुगलों से दुबारा जीतने की याद
में बनवाया गया। फतेह पोल के साथ ही मेहरानगढ़ के किले की भव्यता से
साक्षात्कार होना आरंभ हो जाता है। वैसे किले का मुख्य प्रवेश जय पोल से होकर है।
वास्तव में मेहरानगढ़ का किला देश में जितने भी
किले अभी बेहतर हाल में उनमें सबसे जीवंत किला है। क्योंकि किला अभी भी राजाघराने
के द्वारा ही प्रबंधित किया जाता है। किले का रखरखाव, संग्रहालय आदि अदभुत हैं।
इसके साथ किले का व्यवसायीकरण भी उम्दा तरीके से किया गया है।
किले में राजसी रेस्टोरेंट, किले के अंदर बाजार, लिफ्ट और जगह जगह राजस्थानी लोकसंगीत की धुन छेड़ते कलाकार इस किले के भ्रमण की अनुभूति को इतना सुरम्य बनाते हैं कि देशी विदेशी सैलानी अमिट यादें लेकर यहां से जाते हैं। टिकट घर से पहले चोकेलाव बाग आता है यहां पर राजस्थानी रेस्टोरेंट है, जहां आप शाही व्यंजनों का आनंद ले सकते हैं। चोकेलाव बाग 18वीं सदी का बना हुआ है। इसमें कामिनी के सफेद सुगंधित फूल खिले हैं।
किले में राजसी रेस्टोरेंट, किले के अंदर बाजार, लिफ्ट और जगह जगह राजस्थानी लोकसंगीत की धुन छेड़ते कलाकार इस किले के भ्रमण की अनुभूति को इतना सुरम्य बनाते हैं कि देशी विदेशी सैलानी अमिट यादें लेकर यहां से जाते हैं। टिकट घर से पहले चोकेलाव बाग आता है यहां पर राजस्थानी रेस्टोरेंट है, जहां आप शाही व्यंजनों का आनंद ले सकते हैं। चोकेलाव बाग 18वीं सदी का बना हुआ है। इसमें कामिनी के सफेद सुगंधित फूल खिले हैं।
आगे के छतरी
वाला चौराहा आता है, जहां एक राजस्थानी कलाकार लोकधुन छेड़ रहे हैं। कुछ लोग धुन
सुन रहे हैं, पैसे लुटा रहे हैं तो कुछ उनके संग फोटो खिंचवा रहे हैं। इस कलाकार
के साथ घूंघट में उसकी लुगाई है तो पगड़ी में नन्हा बेटा भी है। आगे पालकी नामक
स्नैक्स की दुकान आती है। इसके बाद आता है शहीद भूरे खां की मजार। भूरे खां किले
की रक्षा करते हुए शहीद हो गए थे सन 1808 में। उनके मजार पर लोग मन्नत मांगने भी
आते हैं। और हम पहुंच चुके हैं टिकट घर के
पास।
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मेहरानगढ़ - फतेह पोल |
मेहरानगढ़ के किले में प्रवेश टिकट 100 रुपये का है। टिकट के लिए लंबी लाइन लगी है। कैमरे का सौ रुपये का टिकट अलग से है। हालांकि मोबाइल कैमरे के लिए कोई टिकट नहीं
है। किला भ्रमण के दौरान कैमरे का पास हमेशा प्रदर्शित करते रहना आवश्यक है। किला
इतना विशाल है कि समूह में जाने वाले लोग अक्सर गाइड भी किराये पर लेते हैं।
वीडियोग्राफी के लिए अलग से टिकट है। टिकट घर के बाद एक लिफ्ट है जो आपको सीधे 200 फीट ऊपर ले जाती है, अगर लिफ्ट का टिकट नहीं लेना चाहते हैं तो पैदल चलकर जाने का भी विकल्प है। टिकट घर के पास ही कई छतरियां देखने को मिलती हैं। आगे बढ़ने पर राव जोधा जी का फलसा आता है। यह 1429 का बना हुआ है। तो चलिए चलते हैं किले की सैर पर...आगे...
वीडियोग्राफी के लिए अलग से टिकट है। टिकट घर के बाद एक लिफ्ट है जो आपको सीधे 200 फीट ऊपर ले जाती है, अगर लिफ्ट का टिकट नहीं लेना चाहते हैं तो पैदल चलकर जाने का भी विकल्प है। टिकट घर के पास ही कई छतरियां देखने को मिलती हैं। आगे बढ़ने पर राव जोधा जी का फलसा आता है। यह 1429 का बना हुआ है। तो चलिए चलते हैं किले की सैर पर...आगे...
- - विद्युत
प्रकाश मौर्य
( ( MEHRANGARH FORT, JODHPUR, RAJSTHAN, FATEH POL, JAI POL, FOLK MUSIC )
ये मूंछे ही तो शान हैं हमारी.... |
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हर रोज सैकड़ो देश विदेशी सैलानी पहुंचते हैं मेहरानगढ़ के किले में.... |
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मेहरानगढ़ किला... मुख्य प्रवेश द्वार जय पोल । |
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