जैसलमेर से जोधपुर के लिए
हनुमान ट्रैवल्स की बस बुक की थी। बस शहर के प्रमुख चौराहे हनुमान जंक्शन से रात
10.15 बजे खुलने वाली थी। मैं दो घंटे पहले ही यहां पहुंच गया हूं। ट्रैवल कंपनी
के दफ्तर में अपना बैग रखकर आसपास में टहलता हूं। रात के भोजन के लिए कुछ होटल
देखता हूं। फिर एक होटल में दाल बाटी चूरमा खाने के लिए आर्डर करता हूं। 120 रुपये
की थाली है दाल बाटी चूरमा की। बस अपने नीयत समय पर चल पड़ती है। बस में नींद आ
जाती है। सुबह होने पर बस जोधपुर रेलवे स्टेशन के पास से गुजर रही है। मैं यहीं
उतर जाता हूं।
उत्तर पश्चिम रेलवे का प्रमुख स्टेशन जोधपुर। स्टेशन के बाहर एक लोकोमोटिव इतराता हुआ खड़ा है। रात की रोशनी में भी लोकोमोटिव चमकते हुए रेलवे की समृद्ध विरासत और इतिहास की याद दिलाता है। नैरोगेज के इस लोकोमोटिव को इस तरह सजा संवार कर यहां स्थापित किया गया है मानो यह चलने को तैयार खड़ा हो। भारतीय रेलवे द्वारा सरंक्षित किए गए तकरीबन 225 लोकोमोटिव में से यह एक है। लोकोमोटिव के अग्र भाग पर देदीप्यमान सूरज की तस्वीर लगी है।
उत्तर पश्चिम रेलवे का प्रमुख स्टेशन जोधपुर। स्टेशन के बाहर एक लोकोमोटिव इतराता हुआ खड़ा है। रात की रोशनी में भी लोकोमोटिव चमकते हुए रेलवे की समृद्ध विरासत और इतिहास की याद दिलाता है। नैरोगेज के इस लोकोमोटिव को इस तरह सजा संवार कर यहां स्थापित किया गया है मानो यह चलने को तैयार खड़ा हो। भारतीय रेलवे द्वारा सरंक्षित किए गए तकरीबन 225 लोकोमोटिव में से यह एक है। लोकोमोटिव के अग्र भाग पर देदीप्यमान सूरज की तस्वीर लगी है।
120 जेडी बी सीरीज का यह
लोकोमोटिव साल 1959 का निर्मित है। ड्यूरो डाकविक द्वारा निर्मित यह नैरोगेज का
स्टीम लोकोमोटिव था जिसे 7 अक्तूबर 2002 को
भारतीय रेलवे के स्वर्णिम 150 साल होने के उपरांत जोधपुर रेलवे स्टेशन के बाहर
लाकर स्थापित किया गया। यह लोकोमोटिव भारतीय रेल के नैरोगेज यानी 2 फीट 6 इंच के
मार्गपर अपनी सेवाएं दे रहा था। पहियों के लिहाज से 2-6-2 श्रेणी का ये लोकोमोटिव
है। इसका निर्माण स्लोवांसकी ब्रोड, यूगोस्लाविया की कंपनी ने किया था। यह यूगोस्लाविया
के जाने माने वामपंथी नेता ड्यूरो डॉकविक के नाम पर यह बनी कंपनी थी। कंपनी स्टील
से जुडे भारी उत्पादों के निर्माण में जुडी थी। साल 1921 में कंपनी ने मेटल
इंजीनियरिंग सेक्टर में निर्माण के साथ अपनी शुरुआत की। कंपनी के बनाए नैरोगेज
स्टीम लोकोमोटिव के कई देश खरीददार थे। 1950 से 1970 के दशक में कंपनी ने बड़ी
संख्या में स्टीम और डीजल लोकोमोटिव का निर्माण किया। कंपनी अभी भी उत्पादन कर रही
है पर 1990 में कंपनी निजी क्षेत्र में चली गई है।
जोधपुर रेलवे स्टेशन के बाहर अब
आराम से खड़ा ये लोकोमोटिव भारतीय रेलवे का लंबे समय हिस्सा रहा है। पर इसने किस
रेलवे लाइन पर कहां अपनी सेवाएं दी, इसके बारे में कोई जानकारी यहां पर लिखकर नहीं
लगाई है। इसकी सेवाओं के बारे यहां सूचना पट्ट लगाया जाता तो यह आम लोगों के लिए
काफी जानकारी परक हो सकता था।
- विद्युत प्रकाश मौर्य
( NARROW GAUGE STEAM LOCOMOTIVE, 120 ZB, DURO DAKOVIC 1959, SLAVONSKI BROD, YOGOSLAVIA, JODHPUR, 07 OCT 2002 )
No comments:
Post a Comment