राजधानी
दिल्ली के भूली बिसरे दर्शनीय स्थलों में से एक है अग्रसेन की बावली। उक लोग इसे
उग्रसेन की बावली भी कहते हैं। बावली मतलब बावड़ी यानी जल संग्रह का अनूठा तरीका।
ऐतिहासिक तौर पर यह बावड़ी 14वीं सदी की है। पर यह बावड़ी चर्चा में तब आई जब
फिल्म पीके में इसे आमिर खान के अस्थायी निवास के तौर पर दिखाया गया। अब यहां हर
रोज हजारों लोग पहुंचते हैं। छुट्टी वाले दिन तो बावड़ी दिन भर गुलजार रहती है।
पीके ने इसे दिल्ली के टूरिस्ट मानचित्र पर ला दिया है। पर यह बावड़ी विश्व विरासत
के स्थल में शामिल गुजरात के रानी के बाव से कुछ कम नहीं है।
दिल्ली के
इस अग्रसेन की बावडी कहानी रोचक स्मारक है। शहर की ऊंची और आधुनिक इमारतों के बीच
यह बावड़ी ज्यादातर लोगों को दिखाई नहीं देती। इसलिए कम लोग ही इस ऐतिहासिक सीढीदार कुएं के बारे में जानते हैं। वास्तव
में अग्रसेन की बावली, एक संरक्षित पुरातात्विक स्थल है। भारतीय पुरातत्व
सर्वेक्षण (एएसआई) और अवशेष अधिनियम 1958 के
तहत भारत सरकार द्वारा संरक्षित हैं।
पारसी
स्थापत्य की झलक

साल 2012 में डाक टिकट - सन 2012 में भारत के डाक विभाग ने अग्रसेन की बावली पर डाक टिकट भी
जारी किया। कहा जाता है कि जमाने मं यहां पर नई दिल्ली और पुरानी दिल्ली के लोग तैराकी
सीखने के लिए भी आते थे।
अग्रसेन
की बावली में पश्चिम की ओर तीन प्रवेश द्वार युक्त एक मस्जिद भी है। किसी जमाने
में इस बावड़ी में पानी एकत्रित किया जाता था। यह पांच स्तरों पर होता था। बावड़ी
में चार मंजिले साफ देखी जा सकती हैं। आजकल बावडी में पानी नहीं है, और बड़ी
संख्या में यहां कबूतरों और चमगादड़ और बिल्लियां दिखाई देती हैं। भारतीय पुरातत्व
सर्वेक्षण, दिल्ली मंडल इन दिनों बावड़ी
के संरक्षण में लगा है। बेहतर हो कि इसमें फिर से पानी लाने का इंतजाम किया जाए।
कैसे
पहुंचे - अगर आप दिल्ली में हैं तो इसे जरूर देखें। कहां है... दिल्ली के दिल कनाट
प्लेस से कस्तूरबा गांधी मार्ग पर चलें। टायल्सटाय मार्ग चौराहा से आगे बायीं तरफ
हेलीरोड में मुड़े। फिर हेली लेन में बायीं तरफ मुड़े। बस पहुंच गए ना...
- विद्युत प्रकाश मौर्य
( AGRASEN KI BAVDI, WATER, AMIR KHAN, PK MOVIE, DELHI, KG MARG )
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