गुवाहाटी की एक और सुबह। मैं होटल से निकलकर खिली-खिली धूप में टहलने निकल पड़ता हूं। थोड़ी देर सड़क पर टहलने के बाद वापस होटल लौट आया। इस बीच माधवी और वंश भी तैयार हो चुके हैं। सुबह के नास्ते के लिए हमलोग कामरूप फूड जंक्शन पहुंचे हैं।
हमें 10 बजे एयरपोर्ट जाना है तो मैं एयरपोर्ट जाने के रास्ता और तरीके पता लगाता हूं। पलटन बाजार यानी गुवाहाटी के रेलवे स्टेशन से गुवाहाटी का एयरपोर्ट 25 किलोमीटर के करीब है। टैक्सी वाले 700 मांग रहे हैं, एसी के लिए और 600 नॉन एसी के लिए। पलटन बाजार से एयरपोर्ट एसी बस भी जाती है। यहां उलुबारी में उसका स्टैंड भी बना हुआ है। बस का किराया 200 रुपये के आसपास हैै। यह अकेले जाने वालों के लिए ठीक है।
गुवाहाटी से एयरपोर्ट जाते हुए हम शहर के भीड़ भरे बाजार से होकर गुजर रहे हैं। एक फ्लाईओवर आता है। इसका नाम रखा गया है रुपकुअंर ज्योति प्रसाद अगरवाला के नाम पर। उनका असम में बड़ा सम्मान है। 17 जून 1903 को ढिब्रूगढ़ में जन्में ज्योति प्रसाद अगरवाला स्वतंत्रता सेनानी, साहित्यकार और फिल्म निर्माता थे। उनका परिवार राजस्थान के मारवाड़ इलाके से आकर यहां बस गया था। ज्योति प्रसाद अगरवाला ने 1935 में प्रथम असमिया फिल्म ज्योमति कुंवारी बनाई थी। उन्होंने फिल्म निर्माण की कला हिमांशु राय से सीखी थी।
इस महान सपूत का निधन 17 जनवरी 1951 में कम आयु में ही हो गया। पर वे असम को काफी कुछ देकर गए। गुवाहाटी की सड़क पर आगे चलते हुए पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे का दफ्तर नजर आता है। ये रेलवे का महत्वपूर्ण जोन है जो कई राज्यों को अपनी सेवाएं देता है।
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