सबसे खास बात हैं कि ये सारा धान बिना किसी
पेस्टीसाइड्स के यानी ये पूरी तरह से जैविक खेती है। माजुली के लोगों की जीविका का
मुख्य श्रोत भी खेती बाडी ही है। न सिर्फ कीटनाशक बल्कि खेती में यहां लोग किसी
तरह के फर्टिलाइज का भी इस्तेमाल नहीं करते। ब्रह्मपुत्र का वरदान है।
माजुली
द्वीप के एक तरफ ब्रह्मपुत्र नदी है तो दूसरी तरफ सुबानसिरी नदी और उसकी सहायक
रंगानदी, डेकरांग, डुबला, चिकी, टुनी आदि नदियां
हैं। उत्तर पश्चिम तरफ खेरकुटिया सुटी नदी बहती है जो ब्रह्मपुत्र की सहायक नदी
है। ग्रेटर ब्रह्मपुत्र की घाटी में आने के कारण माजुली को मानसून का पूरा लाभ
मिलता है। माजुली द्वीप का बड़ा हिस्सा दलदली (वेटलैंड) का है। इसलिए यह धान जैसे
फसल के लिए मुफीद है। सिर्फ दिसंबर और जनवरी का महीना होता है जब माजुली की जमीन
काफी हद तक सूख जाती है।
अगर
बारिश की बात करें तो औसत बारिश यहां 1980 से 2004 के बीच 1704.65 एमएम रिकार्ड की
गई। यहां अप्रैल से अक्तूबर महीने तक बारिश होती रहती है। कभी कभी तो दिसंबर और
जनवरी में भी बारिश हो जाती है। द्वीप का तापमान से 7 डिग्री से 37 डिग्री
सेल्सियस के बीच रहता है। वायु में आद्रता 80 फीसदी तक रहती है।
![]() |
माजुली की अनूठी सब्जी - ओटिंगा |
ब्रह्मपुत्र
और उसकी सहायक नदियों का नेटवर्क माजुली को अनूठा वातावरण प्रदान करता है। द्वीप
की भौगोलिक स्थित ऐसी है कि हर साल ये नदियां माजुली को बेहतरीन किस्म के गाद से
आबाद करती हैं। इसके कारण माजुली में वनस्पति और जीव जंतुओं के लिए अनोखे वातावरण
का निर्माण होता है जो अन्यत्र दुर्लभ है। द्वीप पर सालों भर हरितिमा का विराजती
है। न सिर्फ धान की खेती बल्कि कई किस्म की घास, बांस, सरकंडा, फर्न नागफनी, ताड़ और
तमाम तरह के जलीय पौधे यहां देखे जा सकते हैं।

माजुली
में स्थानीय स्तर पर तमाम तरह की हरी सब्जियों की भी खेती होती है। हमें यहां के
स्थानीय सब्जी बाजार में एक अनूठी सब्जी दिखाई देती है। इसका नाम है ओटिंगा। यह
हरे रंग की है। कई दिनों तक खराब नहीं होती। सब्जी वाले ने कहा कि आप इसे दिल्ली
तक ले जा सकते हैं। माजुली में कई खाने योग्य पौधे होते हैं जो जंगल में यूं उग
आते हैं इनकी खेती करने की जरूरत नहीं पड़ती। यानी ये आपके लिए प्रकृति के उपहार
के तौर पर हैं।
माजुली
के लोग अदरक और हल्दी भी उगाते हैं जो उम्दा किस्म की होती है। नोलदूबा के पत्ते
हल्के कसैले होते हैं पर इसे लोग सब्जी में खाने के तौर पर इस्तेमाल करते हैं।
मतिकानदूरी की जड़े और पत्ते लोग खाने में इस्तेमाल करते हैं। इसका जूस बालों के
विकास में काफी लाभकारी है। दाथा का इस्तेमाल सब्जियों के तौर पर होता है।
सोतोमूल, पार्वती साक, गोलपातालोता, मेसानदूरी, मास आलू, लाजाबोरी जैसी 40 के करीब
स्थानीय पादप हैं जिनका इस्तेमाल अलग अलग किस्म की सब्जियां बनाने और चिकित्सिकिय
इस्तेमाल में भी आते हैं। माजुली के स्थानीय लोगों को इन वन पादप के महत्व के बारे
में बखूबी पता है।
-
विद्युत प्रकाश मौर्य
( MAJULI, ASSAM, FLORA, PADDY, CANE, BAMBOO )
माजुली की यात्रा को शुरुआत से पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें...
माजुली की यात्रा को शुरुआत से पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें...
No comments:
Post a Comment