जोरहाट
को असम के टी सिटी के तौर पर जाना जाता है। हालांकि ये तमगा ढिब्रूगढ़ शहर के पास
है। पर जोरहाट भी इसका बड़ा दावेदार है।
जोरहाट में रौरिया इलाके में एयरपोर्ट है। यहां आसम एग्रीकल्चर यूनीवर्सिटी है। यहां
पर एक मेडिकल कालेज भी है। एशिया का सबसे पुराना गोल्फ कोर्स जोरहाट के जिमखाना
क्लब में स्थित है। कृषि विश्वविद्यालय के बाद, असम वीमेंस यूनीवर्सिटी और
काजीरंगा यूनीवर्सिटी के कारण जोरहाट शिक्षा का भी बड़ा केंद्र है। यहां पर रेन
फारेस्ट शोध केंद्र, टी रिसर्च इंस्टीट्यूट भी स्थित हैं। जोरहाट से काजीरंगा
घूमने भी जाया जा सकता है तो जोरहाट दुनिया के सबसे बड़े नदी द्वीप माजुली का
प्रवेश द्वार है।
जोरहाट
में चौक बाजार के स्टैंड से हमें निमाती घाट के लिए टाटा मैजिक मिलता है। प्रति सवारी
25 रुपये. शहर से निकलकर आसाम ट्रंक रोड को पार करते हुए शहर में नए बने बाइपास को
पार करता है। इसके बाद हरे भरे खेत शुरू हो जाते हैं। खेतों के बीच सड़क ऐसे बनी
है मानो लगता है प्रकृति के साथ हमने अतिक्रमण कर डाला हो। कुमार गांव होते हुए टाटा
की मैजिक हरे भरे खेतों को चीर कर बने सड़क पर सरपट दौड़ रही है। धूप बिल्कुल नहीं
है। हल्की हल्की बारिश ठंड बढ़ा रही है। कोई 20 मिनट के सफर के बाद अचानक हमें
ब्रह्मपुत्र नदी के दर्शन होते हैं। जलराशि का असीमित विस्तार। नदी का दूसरा छोर
दिखाई नहीं देता. सड़क ब्रह्मपुत्र नदी के साथ साथ चल रही है।
पहला घाट आता है। पर ये हमारी मंजिल नहीं। यहां से दक्षिणा पथ के लिए फेरी जाती है। थोड़ी दूर चलने पर कमलाबाड़ी जाने वाली फेरी का स्टैंड आ जाता है। यहां पर टाटा मैजिक जैसे वाहनों की लाइन लगी है। कुछ अस्थायी दुकाने हैं। नदी में एक फेरी लगी है जो प्लेटफार्म का काम कर रही है। इससे होकर हमलोग कमलाबाड़ी जाने वाली फेरी पर पहुंच गए। सुबह 8.30 में चलने वाली पहली फेरी जाने के लिए तैयार है। फेरी के बाहरी हिस्से में जीप, कारें और मोटरसाइकिलें लाद दी गई हैं। अंदर बैठने के लिए बेंच बने हैं। मुश्किल से हमें एक जगह मिल पाती है। अंदर के छोटी सी चाय पान की दुकान भी है।
पहला घाट आता है। पर ये हमारी मंजिल नहीं। यहां से दक्षिणा पथ के लिए फेरी जाती है। थोड़ी दूर चलने पर कमलाबाड़ी जाने वाली फेरी का स्टैंड आ जाता है। यहां पर टाटा मैजिक जैसे वाहनों की लाइन लगी है। कुछ अस्थायी दुकाने हैं। नदी में एक फेरी लगी है जो प्लेटफार्म का काम कर रही है। इससे होकर हमलोग कमलाबाड़ी जाने वाली फेरी पर पहुंच गए। सुबह 8.30 में चलने वाली पहली फेरी जाने के लिए तैयार है। फेरी के बाहरी हिस्से में जीप, कारें और मोटरसाइकिलें लाद दी गई हैं। अंदर बैठने के लिए बेंच बने हैं। मुश्किल से हमें एक जगह मिल पाती है। अंदर के छोटी सी चाय पान की दुकान भी है।
हमें
फेरी का स्टाफ के कूपन देता है। वह किराया नहीं लेता। किराया तो बाद में चलती फेरी
में दूसरा स्टाफ वसूलने आता है। निमाती
घाट से माजुली के कमलाबाड़ी का किराया 20 रुपये है। बच्चों का किराया नहीं लगता।
फेरी सरकारी है। असम सरकार इसका संचालन करती है।
सही
समय पर फेरी चल पड़ी। ब्रह्मपुत्र के सीने पर 14 किलोमीटर के सफर पर। मैं और अनादि
फेरी की छत पर चढ़ जाते हैं। सीधी सीढ़ियां पर चढ़ते हुए। छत पर फेरी के कप्तान का
केबिन है। बाहर काफी लोग खड़े हैं। कुछ लोग बैठकर ताश के पत्ते खेल रहे हैं। हम
चारों तरफ नजर घुमाते हैं। अनंत जल का विस्तार नजर आता है। ब्रह्मपुत्र देश की
सबसे चौड़ी नदी है। कहीं कहीं तो इसकी चौड़ाई 30 किलोमीटर तक है। हमारी मंजिल
माजुली है।
इस फेरी में एक असमिया न्यूज चैनल की टीम जा रही है जो माजुली का दशहरा कवर करने जा रही है। इसके संवाददाता उत्पल दास मेरा लंबा साक्षात्कार लेते हैं। वे पूछते हैं सरकार जोरहाट से माजुली के बीच पुल बनाने की बात कर रही है। क्या आपको नहीं लगता इससे माजुली का वास्तविक सौंदर्य खत्म हो जाएगा। मेरे लिए इसका जवाब देना मुश्किल था। मैं तो अभी माजुली को महसूस करने ही जा रहा हूं। पर इतना जरूर कहा कि जनता को विकास से दूर नहीं किया जा सकता।
- vidyutp@gmail.comइस फेरी में एक असमिया न्यूज चैनल की टीम जा रही है जो माजुली का दशहरा कवर करने जा रही है। इसके संवाददाता उत्पल दास मेरा लंबा साक्षात्कार लेते हैं। वे पूछते हैं सरकार जोरहाट से माजुली के बीच पुल बनाने की बात कर रही है। क्या आपको नहीं लगता इससे माजुली का वास्तविक सौंदर्य खत्म हो जाएगा। मेरे लिए इसका जवाब देना मुश्किल था। मैं तो अभी माजुली को महसूस करने ही जा रहा हूं। पर इतना जरूर कहा कि जनता को विकास से दूर नहीं किया जा सकता।
( ASSAM, JORHAT TOWN, NIMATI GHAT, BRAHAMPUTRA, FERRY,MAJULI, KAMLABARI )
( आगे - सत्र नगरी माजुली में आपका स्वागत है...)
माजुली की यात्रा को शुरुआत से पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें...
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