कविगुरु के नाम से
विख्यात गीतांजलि के रचयिता और नोबेल पुरस्कार विजेता रविंद्र नाथ टैगोर का घर। कोलकाता
में कविगुरु रविंद्र ठाकुर का ये पुश्तैनी घर ठाकुर बाड़ी के नाम से जाना जाता है।
यह कोलकाता में जोड़ासाको इलाके में स्थित है। आजकल इस आवास में रविंद्र भारती
विश्वविद्यालय का संचालन होता है। लाल रंग का ठाकुरबाड़ी का विशाल भवन आजकल आबादी
क्षेत्र में है। अब ठाकुर बाड़ी के अंदर टैगोर के जीवन को बताने वाला एक संग्रहालय का
निर्माण यहां किया गया है। इसे सोमवार से शनिवार तक देखा जा सकता है।
यहीं हुआ टैगोर का जन्म- दरअसल जोड़ासाको में रविंद्रनाथ
ठाकुर के परिवार का पुश्तैनी घर था। यहीं पर रवीन्द्रनाथ ठाकुर का जन्म
देवेन्द्रनाथ टैगोर और शारदा देवी के सन्तान के रूप में 7 मई 1861 को हुआ। वह अपने
मां-बाप की तेरह जीवित संतानों में सबसे छोटे थे। उनकी स्कूल की पढ़ाई प्रतिष्ठित
सेंट जेवियर स्कूल में हुई। टैगोर जी ने अपनी पहली कविता मात्र आठ वर्ष की अवस्था
में लिखी थी। रवीन्द्रनाथ टैगोर का विवाह सन 1883 में मृणालिनी देवी के साथ हुआ।
उस जमाने में भी इस घर को
ठाकुर बाड़ी के रुप में जाना जाता था, आज भी इसका नाम पुराने लोग ठाकुर बाड़ी ही
जानते हैं। आज जोड़ासाको कोलकाता शहर का एक विधानसभा क्षेत्र भी है।
जोड़ासाको यानी दो शंकर एक साथ - जोडासाको ठाकुर बाड़ी का
निर्माण 1785 में हुआ। यह 35000 वर्ग मीटर में फैला हुआ है। इस भवन का निर्माण
रविंद्र नाथ के दादा द्वारकानाथ टैगोर ने करवाया था। टैगोर का खानदान बंगाल के
बहुत अमीर घरानों में शुमार था। न सिर्फ कोलकाता बल्कि कई शहरों में उनकी
परिसंपत्तियां थीं। जोड़ासाको नाम कहा जाताहै यहां पर शिव के दो मंदिर होने के
कारण पड़ा। जोड़ासाको यानी दो शंकर एक साथ।
अब रविंद्र भारती यूनीवर्सिटी - 8 मई 1962 के पहले प्रधानमंत्री
पंडित जवाहरलाल नेहरु ने ठाकुर बाड़ी में रविंद्र भारती यूनीवर्सिटी का उदघाटन
किया। इस विश्वविद्यालय के परिसर में महर्षि भवन स्थित है। यह नाम टैगोर के पिता
महर्षि देवेंद्रनाथ टैगोर के नाम पर दिया गया है। यहां बने संग्रहालय में तीन
गैलरियां नोबेल पुरस्कार विजेता कवि रविंद्रनाथ टैगोर के बारे में जानकारी देती
हैं। यहां पर टैगोर परिवार की तस्वीरें और रविंद्र नाथ टैगोर जिन्हें बंगाली लोग
रबी ठाकुर कहते हैं उनके महान कवि और दार्शनिक बनने की दास्तां को समझ सकते हैं।
यहीं ली आखिरी सांस - ठाकुरबाड़ी में रविंद्र नाथ
टैगोर का न सिर्फ जन्म हुआ बल्कि उन्होंने 7 अगस्त 1941 को आखिरी सांस भी यहीं ली।
हालांकि वे अपने जीवन में कई साल अन्य
स्थानों पर भी रहे पर ज्यादा वक्त उन्होंने इसी ठाकुरबाड़ी में गुजारा। विश्वविद्यालय
परिसर में स्थित संग्रहालय में आप 16 पेंटिंग, 3297 तसवीरें, दो हजार से ज्यादा
पुस्तकों के अलावा टैगोर परिवार द्वारा इस्तेमाल किए गए फर्नीचर भी देख सकते हैं।
कैसे पहुंचे - जोड़ासाको स्थित
ठाकुर बाड़ी पहुंचने के लिए आप कोलकाता की मशहूर सड़क सीआर एवेन्यू पर पहुंचे। इसी
सड़क पर ठाकुरबाड़ी का प्रवेश द्वार बना हुआ है। यहां पहुंचने के लिए निकटतम मेट्रो का स्टेशन गिरिश
पार्क है।
सीआर एवेन्यू से आधा किलोमीटर अंदर जाने पर रविंद्र भारती विश्वविद्यालय का कैंपस आ जाता है।
अंदर के रास्ते से गलियों से होकर यहां बडा बाजार से भी पहुंचा जा सकता है।
- विद्युत प्रकाश मौर्य - vidyutp@gmail.com
( KOLKATA, TAGORE HOUSE , BENGAL, RABINDRA BAHRTI UNIVERSITY )
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