हावड़ा के बाद अगला रेलवे
स्टेशन है बेलूर। बेलूर में हुगली नदी के तट पर स्थित मठ में देश के महान
आध्यात्मिक संत स्वामी विवेकानंद की यादें संजोई हैं। हुगली नदी के इस तट पर अगर
बेलूर मठ है तो उसके ठीक सामने दक्षिणेश्वर का काली मंदिर है। स्वामी विवेकानंद की
अपने गुरु रामकृष्ण परमहंस से मुलाकात दक्षिणेश्वर में ही हुई थी। बेलूर मठ न
सिर्फ कोलकाता वासियों के लिए बल्कि दुनिया भर के आधात्मिक अभिरूचि रखने वाले
लोगों के लिए पवित्र स्थली है।
मठ के अंदर प्रमुख आकर्षण है
स्वामी विवेकानंद का निवास कक्ष। नदी के तट पर स्थित इस कक्ष में स्वामी विवेकानंद
1863 से 1902 तक रहे। वे कक्ष के ऊपरी मंजिल पर एक कमरे में रहते थे। दुनिया को
आध्यात्म का नया रास्ता दिखाने वाले और विश्व मंच पर भारत का डंका बजाने वाले
स्वामी विवेकानंद ने यहीं पर 4 जुलाई 1902 को समाधि ली। तब उनकी उम्र को 40 भी
नहीं हुई थी। पर वह जो कुछ देकर गए हमारे लिए कई शताब्दियों के लिए बहुत है।
इस कक्ष में स्वामी विवेकानंद
द्वारा इस्तेमाल की गई वस्तुओं का प्रदर्शन किया गया है। यह सुबह 6 से 12 बजे तक
फिर शाम को 4 से 7 बजे तक लोगों के दर्शन के लिए खुला रहता है। बेलुर मठ का
विस्तार 40 एकड़ में है। मुख्य द्वार से प्रवेश करने पर दाहिनी औ बाईं तरफ आश्रम
द्वारा संचालित शैक्षणिक संस्थाएं हैं जो अप विश्वविद्यालय का रूप ले चुकी हैं। बेलूर
मठ रामकृष्ण मिशन का मुख्यालय है जिसकी शाखाएं अब दुनिया भर में फैली हुई हैं।
स्वामी विवेकानंद ने 1898 से बेलूर मठ को अपना स्थायी निवास बनाया।
बेलूर मठ के परिसर में रामकृष्ण
परमहंस, शारदा देवी और स्वामी विवेकानंद के मंदिर हैं। अब यहां पर एक संग्रहालय का
निर्माण कराया गया है जो रामकृष्ण मिशन के बारे में विस्तार से जानकारी देता है।
मठ के अंदर विशाल हरित लॉन यहां आने वाले श्रद्धालुओं का मन मोह लेता है।
![]() |
बेलूर मठ - आश्रम परिसर में बना एक मड हाउस। |
आश्रम के
परिसर में मिशन से जुड़े संतों के लिए आवास का भी निर्माण किया गया है। परिसर में
मठ का पुस्तकालय है जहां आध्यात्म से जुडी 20 हजार से ज्यादा पुस्तके हैं। आश्रम
परिसर में एक चैरिटेबल चिकित्सालय का भी संचालन होता है।
मठ के अंदर हुगली नदी के तट पर
टहलना बड़ा मनोरम लगता है। खास तौर पर यहां सुबह और शाम का वातावरण काफी मोहक हो
जाता है। रविवार और छुट्टियों के दिन बड़ी संख्या में लोग बेलूर मठ पहुंचते हैं।
परिसर में छायादार वृक्ष के अलावा निःशुल्क पेयजल और सशुल्क शौचालय का भी इंतजाम
है।
आश्रम के उत्पाद
खरीदें - आप बेलूर मठ पहुंचे हैं तो मठ की ओर से निर्मित उत्पाद भी खरीद सकते हैं।
इसमें सरसों की चटनी, अचार, जूस और
दूसरी खाद्य वस्तुएं देखी जा सकती हैं। रामकृष्ण मिशन सेवा संघ द्वारा उत्पादित
वस्तुओँकी कीमते बाजार से तुलनात्मक रूप से कम हैं।
कैसे पहुंचे –
बेलूर रेलवे स्टेशन से आश्रम की दूरी दो किलोमीटर है। आप आजकल बैटरी रिक्शा से
आश्रम तक पहुंच सकते हैं। रेलवे स्टेशन से बैटरी रिक्शा वाले 10 रुपये लेते हैं।
आप सीधे हावड़ा से लोकल बसों से भी बेलूर मठ पहुंच सकते हैं। बेलूर पहुंचने का
तीसरा तरीका है हुगली नदी की फेरी सेवा। दक्षिणेश्वर आने वाले श्रद्धालु आम तौर पर
फेरी से बेलूर मठ पहुंचते हैं। फेरी का किराया 10 रुपये है। बेलूर और दक्षिणेश्वर
के बीच फेरी सेवा लगातार चलती रहती है। सरकारी फेरी सेवा के अलावा प्राइवेट नाव
वाले भी बेलूर से दक्षिणेश्वर के बीच चलते हैं। पर नाव के बजाय फेरी में जाना
बेहतर है।
http://www.belurmath.org/
बेलूर मठ से खरीदें रामकृष्ण मिशन से जुड़ा साहित्य और फोटो, सीडी आदि। |
No comments:
Post a Comment