आप किसी शहर में घूमने जाते हैं
तो क्या वहां के सब्जी बाजार में भी जाते हैं। हम जाते हैं। सब्जी बाजार हर जगह का
अपने आप में अनूठा होता है। वहां कौन कौन सी हरी सब्जियां उगाई जाती हैं इसका पता
चल जाता है। वहीं सब्जी बाजार में असली ग्रामीण परिवेश के दर्शन होते हैं। अगर
पूर्वोत्तर की बात करें तो वहां इतने की किस्म की सब्जियां हैं कि उन्हें देखकर
दिल खुश हो जाता है। सोचता हूं कि अपनी रसोई होती तो एक एक करके इन सब्जियों को
आजमाते, यानी इनका स्वाद लेते।
जीरो बाजार के हापोली में एमजी
रोड पर सब्जी बाजार स्थित है। ये सब्जी बाजार काफी व्यवस्थित है। इसमें सब्जियों के अलावा
कपड़े, कास्मेटिक और जनरल स्टोर जैसी दुकानें भी हैं।
तो चलिए देखते हैं यहां कैसी कैसी सब्जियां मिलती हैं। सबसे पहले बात बंबू शूट की। सूमो से जीरो आते समय कुछ स्थानीय महिलाएं बस में चढ़ी थीं जिनके पास बड़ी बड़ी प्लास्टिक की बोतलों में बंबू शूट पड़ा था। दरअसल बांस यानी कोमल बांस की जड़ों को सब्जी बनाकर खाया जाता है। यह बाजार में दो तरह से मिलता है। एक छिला हुआ बंबू शूट तो दूसरा उसके छोटे छोटे टुकड़े करके इन्हे प्रिजर्वेटिव में डालकर बोतलों में रखकर बेचा जाता है। बंबू शूट को लोग पूर्वोत्तर में कई तरीके से खाते हैं। सब्जी के अलावा इसका अचार भी बनाया जा सकता है। पूर्वोत्तर राज्यों से ऐसा बांस का अचार लेकर आप आ सकते हैं।
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इसकोस को पौधे के साथ अनादि। |
इसकोस ( ISKUS ) पूर्वोत्तर की खास हरी
सब्जी है। यह समझो की मिनी कद्दू है। हरा भरा मांसल इसकोस को आप अपनी सब्जी के
पैकेज में बाकी हरी सब्जियों की तरह की बना सकते हैं। यह टिंडा से काफी बड़ा होता
है। पूर्वोत्तर के हर राज्य में इसकोस मिलता
है। हमने इस बार इसकोस का पौधा भी देखा। यह नेनुआ की तरह लत्तर वाली सब्जी
है। इसे नेपाल वाले इस्कुश भी कहते हैं।
सब्जी बाजार में इतने तरह की हरी
सब्जियां मिलती हैं कि इन्हें देखकर दिल
खुश हो जाता है। यहां एक और सब्जी नजर आई
याखू अम्मा। इसमें हरी भरी लत्तरों के साथ पीले पीले फूल थे। कहा जाता है कि
पूर्वोत्तर में कई सब्जियां बिना लगाए यूं ही हो जाती हैं। बस आप तोड़कर ले आए
हैं। जीरो के रास्ते में जगह जगह हमें केले के विशाल पेड़ नजर आए। इससे लोग केले
के फूल लेकर आते हैं उन्हें बाजार में बेचते हैं या फिर घर में केले के फूल से
रायता सब्जियां आदि बनाते हैं।
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ये भी एक किस्म का आलू ही है.... |
हमें बाजार में अनूठा आलू दिखाई
दिया। यह गन्ने के जैसा होता है। जमीन के अंदर बैठने वाले इस आलू को स्थानीय भाषा
में किसी और नाम से भी जानते हैं। पर इसे
बनाने का तरीका आलू की तरह ही है। इसका स्वाद आलू से भी बेहतर है। बाजार में यह 30
से 50 रुपये किलो तक बिकता है।

हमें एक और सब्जी दिखाई देती है लोया। यह लोया हरे रंग की है। सिर्फ इतना ही नहीं बाजार में छोटे आकार के बैंगन और छोटे आकार के कद्दू समेत कई तरह की सब्जियां दिखाई देती हैं जो हमने दिल्ली में कभी नहीं देखीं। सब्जी बाजार को देखकर लगता है कि पूर्वोत्तर को प्रकृति ने हरियाली की नेमत दिल खोलकर बख्शी है। आप सालों भर ढेर सारी हरी सब्जियों का आनंद ले सकते हैं।
अब पूर्वोत्तर राज्यों के बाजार में इतनी सारी हरी सब्जियां होती हैं फिर भी लोग पूर्वोत्तर में मांसाहार को प्राथमिकता क्यों देते हैं। यह बात हमारी समझ में नहीं आती।
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जंगली चूहे भी आ गए हैं बिकने के लिए |
सिल्क वर्म और चूहे भी बिकते
हैं –
जीरो के बाजार में और नहारलगून
के सब्जी बाजार में भी नागालैंड की तरह सिल्क वर्म बिकता हुआ दिखाई देता है। यह
सिल्क वर्म जिंदा होते हैं और टोकरी में चहलकदमी करते रहते हैं। सबसे अचरज हुआ जब हमने जीरो के बाजार में चूहे
बिकते हुए देखे। ये चूहे मरे हुए थे। बताया गया कि इन चूहों को जंगल से पकड़ कर
लाया गया है। एक आपातानी भाई ने बताया कि ये जंगली चूहे भून कर खाने में काफी स्वादिष्ट
लगते हैं।
सूखी मछलियों की कई किस्में -
किस्म किस्म की मछलियां तो बिकती ही हैं
पर पूर्वोत्तर के सब्जी बाजार में कई तरह की सूखी मछलियां भी बिकती हैं। इन्हें सूकटी कहते हैं। इन सूखी मछलियों की कई किस्में हैं लंबी
लंबी बंगाली सूखी मछलियां। इन मछिलयों को स्थानीय लोग अपने तरीके से बनाकर खाते
हैं। सरदी गरमी बरसात में ये सूखी मछलियां सदाबहार हैं।
- vidyutp@gmail.com
( ZIRO, GREEN VEGETABLE, FISH, RAT, SILK WORM, PORK )
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