
पूरा अबरडीन बाजार एक घंटाघर के
आसपास सिमटा हुआ है। यहां से एक रास्ता मेडिकल कालेज की तरफ जाता है। दूसरा रास्ता
गोलघर और मिडल बाजार की ओर जाता है। तीसरा रास्ता मोहनपुरा बस स्टैंड की तरफ जाता
है। मुख्य बाजार मोहनपुरा बस स्टैंड वाले रोड पर है। इस रोड पर मिलन बेकरी समेत
कुछ अच्छे खाने पीने के लिए होटल हैं। मोहनपुरा बस स्टैंड वाले चौराहे पर बापू की
विशाल प्रतिमा लगी है। इसमें बापू चलायमान स्थित में नजर आते हैं। इसी चौराहे गलियों
में सब्जी बाजार और राशन का बाजार भी है।
भले ही पोर्ट ब्लेयर एक द्वीप शहर है।
भारत की मुख्य भूमि से 1200 किलोमीटर दूर है, लेकिन आपको यहां दैनिक उपयोग की सारी
वस्तुएं मिल जाएंगी। यहां के दुकानदार ज्यादातर सामान चेन्नई से मंगाते हैं।
लगातार चेन्नई से कार्गो जहाज आते हैं सामान लेकर। एक दुकानदार बताते हैं कि जब
हमें कई चीजें तुरंत मंगानी होती है तो हमें उसे कार्गो विमान से मंगाना पड़ता है।
तब उसके लिए कुछ ज्यादा कीमत चुकानी पड़ती है। पर शहर में आपको ज्यादातर जरूरत की
चीजें वाजिब दाम पर मिल जाती हैं। यहां बड़ी टीवी कंपनियों के शोरूम से लेकर बाइक,
कार और एसयूवी के शोरूम भी दिखाई दे रहे हैं।
अबरडीन बाजार में नेताजी सुभाष
चंद्र बोस की याद में नेताजी हाल बना है। यहां पर प्रदर्शनियां लगती हैं। इसी हाल
में पोर्ट ब्लेयर के स्थानीय निवासियों का दफ्तर भी है।
पहले विश्वयुद्ध की याद में घंटा
घर – अबरडीन बाजार का घंटाघर भी
ऐतिहासिक है। घंटा घर का निर्माण ब्रिटिश सरकार ने पहले विश्वयुद्ध के दौरान 1914
से 1920 के बीच बहादुरी से लड़ने वाले फौजियों की याद में कराया। इस पर चार
फौजियों का नाम भी अंकित है जिनकी बहादुरी को याद किया गया है। कैप्टन केबी फास्ट, सुबेदार मुजामिल खां, नायक
मंगलचंद, सिपाही फिरोज का नाम इस घंटाघर
पर अंकित है।
अबरडीन के युद्ध की याद –
17 मई 1859 को आदिवासियों के सशस्त्र दल ने अबरडीन में ब्रिटिश सेना पर बड़ा हमला
कर दिया। इस लड़ाई मेंआदिवासी भारी पड़े। उन्होंने तीन घंटे तक अबरडीन थाने पर कब्जा भी रखा।
आदिवासियों ने अंग्रेजों के हथियार भी लूट लिए। हालांकि इस लड़ाई में सजायाफ्ता
सिपाही रहे दूधनाथ तिवारी जो जारवा लोगों के सानिध्य में भी रहे, ने आदिवासियों की
मुखबिरी की। इसका इनाम दूधनाथ को मिला। उसे सजा माफी देकर उसके शहर भेज दिया गया।
इस लड़ाई में अंग्रेजों ने अपने तीन सिपाहियों को उनकी बहादुरी के लिए विक्टोरिया
क्रॉस प्रदान किया। इस अबरडीन युद्ध में वीरता से लड़ने वाले आदिवासियों की याद
में अबरडीन युद्ध स्मारक राजीव गांधी वाटर स्पोर्ट्स कांप्लेक्स के परिसर में बना
है।
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अबरडीन बाजार के पास नगरपालिका फूड कोर्ट - शाम को होता है गुलजार। |
कहा जाता है अबरडीन इलाका कई
बार बरबाद हुआ। कभी युद्ध से कभी भूकंप से लेकिन हर बरबादी के बाद यह गुलजार हो
जाता है। आज यहां पोर्टब्लेयर का दिल धड़कता है। अपने पोर्ट ब्लेयर प्रवास के
दौरान कई शामें मैंने इस बाजार में टहलते हुए गुजारीं।
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विद्युत
प्रकाश मौर्य
(ANDAMAN, PORTBLAIR, ABARDEEN BAZAR, MOHANPURA )
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