कारबाइन कोव पोर्ट ब्लेयर शहर
का रुमानी समुद्र तट है। यह देखा जा तो शहर का एकमात्र समुद्र तट है जहां शाम को
रौनक-ए-बहार होती है। मैं राजीव गांधी वाटर स्पोर्ट्स कांप्लेक्स से एक आटोवाले को
कारबाइन कोव चलने के लिए कहता हूं। वह 80
मांगता है। मैं 50 बोलता हूं। वह चला जाता हू। दूसरा आटोवाला 100 मांगता है। फिर
90 में तैयार होता है। मैं उसके साथ चल पड़ता हूं। आगे का सड़क मार्ग अत्यंत मनोरम
है। पूरा रास्ता समंदर के साथ साथ चलता है। रास्ते में रामकृष्ण मिशन का आश्रम और
साइंस सेंटर आता है। साइंस सेंटर शाम को 4 बजे बंद हो जाता है। इसे सुबह 10 से 4
के बीच देखा जा सकता है।
नीले समंदर के साथ 6 किलोमीटर से
ज्यादा चलने के बाद कारबाइन कोव समुद्र तट पहुंच जाता हूं। इस तट का नाम हेनरी
फिशर कारबाइन के नाम पर पड़ा है। इन्हें ब्रिटिश सरकार ने पोर्ट ब्लेयर में पूर्णकालिक
तौर पर चर्च शुरू करने के लिए भेजा था। वे 1863 से 1866 के बीच इधर द्वीप पर रहे। वे
ईसाई विद्वान माने जाते हैं। उन्होंने कुछ पुस्तकें भी लिखी है।
यह तट अर्धचंद्राकार है जो इसके
सौंदर्य को और बढ़ाता है। शाम ढल रही है और तट पर रौनक शबाब पर है। मैं पहले
नारियल पानी पीता हूं। कुछ चना जोर गरम बेचने वाले भी घूम रहे हैं। यहां समुद्र तट
पर लेटने के लिए लकड़ी की बेंच लगी हैं जिनकी सेवा आप 10 रुपये प्रति घंटे देकर ले
सकते हैं। कुछ घंटे बैठकर आती जाती समंदर की लहरों को देखता हूं। कुछ स्थानीय
बच्चे समंदर में कूद कूद कर नहा रहे हैं। या यूं कहें पानी पर खेल रहे हैं।
समुद्र
तट पर सुरक्षा गार्ड तैनात हैं जो आपको खतरनाक क्षेत्र या गहरे समुद्र में जाने से
रोकते हैं। तट का नजारा अत्यंत मनोहारी है। कई परिवार वाले तो कई प्रेमी युगल
समंदर के संग खेलने का आनंद उठा रहे हैं।

यहां पर अंदमान टूरिज्म की ओर
से संचालित एक रेस्टोरेंट भी है। यहां लॉन में बैठकर कुछ लड़कियां ड्रिंक्स ले रही
हैं। इस सुहाने समुद्र तट पर एक घंटा
गुजारने के बाद मैं वापस चलने की सोचता हूं। यहां से कोई आटोरिक्शा नहीं है। तब पैदल ही चल पड़ता हूं। काफी चढाई वाला रास्ता है। कुछ आवासीय कालोनियां पार करके ऊंचाई पर
मुख्य सड़क आ जाती है पर यहां कोई बस आटो दिखाई नहीं देता। एक बारगी लगता है कि मैंने पैदल चलने की गलती कर दी क्या। पर कई बार कई शहरों को बाजारों को पैदल नापने का भी अपना ही मजा है। इसमें भी नए नए अनुभव होते हैं। मेरे पास समय था सो मैं पैदल ही चलता गया।

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विद्युत
प्रकाश मौर्य
(ANDAMAN, PORT BLAIR, SEA, CORBYN'S COVE BEACH, GANDHI PARK )
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