कोचीन से चलकर स्टीमर
से समंदर पार करने के बाद फोर्ट कोच्चि पहुंचने पर बाईं तरफ चलते हुए आप फोर्ट कोच्चि के
किले की ओर बढ़ते हैं। फोर्ट कोच्चि की सड़कों पर चलते हुए आपको यहां सोलहवीं सदी के कई निशान देखने को मिल जाते हैं। कई पुराने चर्च हैं यहां पर। तकरीबन दो किलोमीटर का ये रास्ता अनूठा
है।
मैटेनचेरी की सड़क पर चलते हुए आपको एंटिक वस्तुओं की सैकड़ों दुकानें दिखाई देती हैं। इनके ग्राहक खास तौर पर विदेशी नागरिक होते हैं। पुराना भोंपू (लाउड स्पीकर), हाथी, तोप के मॉडल, अलग अलग तरह की वॉल हैंगिंग किसिम किसिम के माला और अन्य वस्तुएं खूब बिकती हैं। एंटिक सामान के बाजार में लकड़ी की विशाल कलाकृतियां भी हैं जिनकी कीमत लाखों में है। निश्चित तौर पर इनके कद्रदान भी होंगे तभी बाजार भी है।
मैटेनचेरी की सड़क पर चलते हुए आपको एंटिक वस्तुओं की सैकड़ों दुकानें दिखाई देती हैं। इनके ग्राहक खास तौर पर विदेशी नागरिक होते हैं। पुराना भोंपू (लाउड स्पीकर), हाथी, तोप के मॉडल, अलग अलग तरह की वॉल हैंगिंग किसिम किसिम के माला और अन्य वस्तुएं खूब बिकती हैं। एंटिक सामान के बाजार में लकड़ी की विशाल कलाकृतियां भी हैं जिनकी कीमत लाखों में है। निश्चित तौर पर इनके कद्रदान भी होंगे तभी बाजार भी है।
अति प्राचीन होली क्रॉस चर्च -
फोर्ट कोच्चि के बाजार में हमें होली क्रॉस चर्च दिखाई देता है। छोटे से सुंदर चर्च पर स्थापना की तारीख लिखी है 1550 यह देश के प्राचीनतम चर्चों में से एक है। चर्च के बाहर मदर मेरी की सुंदर प्रतिमा स्थापित है।
इस चर्च का मलयाली नाम कूनन क्रिशू पाली है। यह केरल के 25 हजार आबादी वाला सीरियन आर्थोडॉक्स क्रिश्चियन कम्युनिटी का चर्च है। केरल में इसा मसीह के शिष्य सेंट थामस पहली सदी में आए थे। तब यहां पर सात चर्च बने थे। पर सेंट थामस के अनुयायियों मे से एक अलग समुदाय विकसित हुआ जो कूनन क्रिश सत्यम को मानता है।
फोर्ट कोच्चि के बाजार में हमें होली क्रॉस चर्च दिखाई देता है। छोटे से सुंदर चर्च पर स्थापना की तारीख लिखी है 1550 यह देश के प्राचीनतम चर्चों में से एक है। चर्च के बाहर मदर मेरी की सुंदर प्रतिमा स्थापित है।
इस चर्च का मलयाली नाम कूनन क्रिशू पाली है। यह केरल के 25 हजार आबादी वाला सीरियन आर्थोडॉक्स क्रिश्चियन कम्युनिटी का चर्च है। केरल में इसा मसीह के शिष्य सेंट थामस पहली सदी में आए थे। तब यहां पर सात चर्च बने थे। पर सेंट थामस के अनुयायियों मे से एक अलग समुदाय विकसित हुआ जो कूनन क्रिश सत्यम को मानता है।
इसका नाम कूनन क्रिश सत्यम (
ओथ यानी प्रतिज्ञा) भी है। चर्च में मोमबत्ती जलाकर पूजा होती है। मेटेनेचेरी के व्यस्त बाजार के बीच स्थित इस चर्च के बारे में कहा जाता है
यहां मांगी जाने वाली मुरादें पूरी होती हैं। इसलिए यहां पर हर रोज श्रद्धालु मन्नत की मोमबत्तियां जलाते हुए दिखाई दे जाते हैं। पर शुक्रवार को खास तौर पर यहां
श्रद्धालुओं की भीड़ होती है।
पैदल घूम कर शहर का आनंद लें ...
अगर आप फोर्ट कोच्चि का
आनंद लेना चाहते हैं तो सबसे शानदार तरीका पैदल घूमना है। चलते चलते आगे
बढ़िए और इतिहास का साक्षात्कार करें। साथ साथ दाहिनी और बायीं तरफ की दुकानों को भी देखते
चलें। चलते थक जाएं तो नारियल पानी पी लें। हालांकि
कोचीन में नारियल पानी सस्ता नहीं है। यहां भी नारियल पानी 25 रुपये से कम का नहीं
बिक रहा है। यह तकरीबन दिल्ली के ही बराबर है।
मैटेनचेरी पैलेस के पास ही जेविस स्ट्रीट है। यहां पर आर्ट और क्राफ्ट की कई दुकाने हैं। काफी दुकानें कपड़ों
की भी है। पर कीमतें आसमान छूती प्रतीत होती हैं। फुटपाथ पर सामान बेचने वाले कई दुकानदार राजस्थान
के हैं। वे राजस्थान से सामान लेकर आते हैं और केरल में रहकर बिक्री करते हैं। कई
राजस्थानी परिवार इस धंधे में यहां सालों भर लगे हैं। स्टीमर से लौटते हुए हमें ऐसे राजस्थानी परिवारों की
महिलाएं मिलीं, जिन्होंने बताया कि यहां विदेशी ग्राहकों से उनकी खूब कमाई होती है।
तेल और मसालों की असंख्य दुकानें
केरल की वह मशहूरी आज भी कायम है। वही मसाले जिनके दम पर हमने कभी रोम को भी खरीद लिया था। इस बाजार में पैदल घूमना काफी भला लगता है।
विदेशी सैलानियों का जमावड़ा
फोर्ट कोच्चि एक ऐसी जगह जहां वाराणसी, महाबलीपुरम और पुष्कर की तरह सालों भर विदेशी नागरिकों का जमावड़ा दिखाई देता है। अब विदेशी नागरिक आते हैं तो उनको लुभाने वाला पूरा बाजार भी यहां तैयार है।
कई घंटे फोर्ट कोच्चि की सैर करने के बाद हमलोग शाम ढलने पर बोट सेवा से कोचीन शहर की ओर लौट आए। पर लौटते हुए हमें हल्की बारिश ने घेर लिया। इस बारिश के बीच एक दुकान में रुक कर पराठे और मासाला डोसा खाया। इसके बाद हमलोग अपने होटल संगीता में वापस चले आए। हालांकि होटल के रेस्टोरेंट में भी खाने का इंतजाम था।
- vidyutp@gmail.com
( CHURCH, FORT COCHI, KERALA, SOUTH INDIA IN SEVENTEEN DAYS )
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