दिल्ली में बड़ी महामारी फैल गई
थी। लोग लगातार मर रहे थे। हर रोज लोगों की मौत की खबर से लोग घबराए हुए थे। उसी
दौरान लोग सिख पंथ के आठवें पातशाह गुरु हरिकिशन के शरण में गए। तब कहा जाता है कि
गुरु जी ने अपने प्रताप से एक तालाब ( चहबच्चा) के पानी को अमृत सा बना दिया।
लोगों को इस तालाब का पानी पीने को दिया गया। लोग इस चहबच्चे का पानी पीकर ठीक
होने लगे। जो भी सच्ची आस्था से इसका पानी पीता चंगा हो जाता। गुरू जी ने अपना
पूरा समय दिल्ली में पीडित मानवता की सेवा में लगा दिया। आठवें पातशाह गुरू
हरिकिशन जिस स्थान पर ठहरे थे और जहां उन्होंने तालाब के पानी को अमृत सदृश्य बना
दिया था वह जगह ही बंगला साहिब है। आज यहां पर विशाल गुरुद्वारा बंगला साहिब बना
हुआ है।
अमृत जल पीकर लोग हो जाते हैं सेहतमंद
गुरुद्वारा बंगला साहिब दिल्ली
के प्रसिद्ध और प्रमुख गुरुद्वारों में से एक है। वैसे गुरुद्वारा शीशगंज, गुरुद्वारा
रकाब गंज, दमदमा साहिब और मोती बाग का भी इतिहास सिख इतिहास के कथानकों से जुड़ा
है। आज भी गुरुद्वारा बंगला साहिब आने वाले श्रद्धालुओं में से हजारों लोग यहां के
सरोवर का अमृत जल का पान करते हैं। कई लोग तो बोतल में भर कर जल अपने साथ ले जाते
हैं।

अब लगातार कार सेवा के बाद इस गुरुद्वारा को
भव्य रूप प्रदान किया गया है। अब गुरुद्वारा के गुंबद को सोने के पत्तर से मढ़ा गया
है। यहां पर विशाल निशान साहिब की भी स्थापना की गई है।
गुरु हरिकिशन का जन्म 23 जुलाई 1656 को किरतपुर में रुपनगर, पंजाब में हुआ था। 7 अक्तूबर 1661 को महज पांच साल की उम्र में गुरु हरिकशन को गुरु को पदवी प्राप्त हुई थी। वे सातवें गुरु गुरु हर राय के बेटे थे। वे सिखों के दस गुरुओं में सबसे कम उम्र में गुरु गद्दी को प्राप्त हुए थे। इसलिए उन्हें बाल गुरु भी कहा जाता है। उनका पीड़ित लोगों की सेवा करते हुए 1664 में निधन हो गया।
गुरु हरिकिशन का जन्म 23 जुलाई 1656 को किरतपुर में रुपनगर, पंजाब में हुआ था। 7 अक्तूबर 1661 को महज पांच साल की उम्र में गुरु हरिकशन को गुरु को पदवी प्राप्त हुई थी। वे सातवें गुरु गुरु हर राय के बेटे थे। वे सिखों के दस गुरुओं में सबसे कम उम्र में गुरु गद्दी को प्राप्त हुए थे। इसलिए उन्हें बाल गुरु भी कहा जाता है। उनका पीड़ित लोगों की सेवा करते हुए 1664 में निधन हो गया।
गुरुद्वारा परिसर में विशाल
लंगर हाल, मल्टीमीडिया सिख इतिहास संग्रहालय, अतिथि निवास बना है। गुरुद्वारे में
प्रवेश के तीन रास्ते हैं। कनाट प्लेस के पास बाबा खड़ग सिंह मार्ग से, अशोक रोड
से और जयसिंह रोड से गुरुद्वारा में प्रवेश किया जा सकता है। यहां विशाल पार्किंग
की सुविधा भी उपलब्ध है।
- विद्युत प्रकाश मौर्य -vidyutp@gmail.com
( BAL GURU, 8th GURU HARIKISHAN, DELHI, BANGLA SAHIB GURUDWARA )
- विद्युत प्रकाश मौर्य -vidyutp@gmail.com
( BAL GURU, 8th GURU HARIKISHAN, DELHI, BANGLA SAHIB GURUDWARA )
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