दिल्ली में रेलवे के पांच
टर्मिनल हैं जिनमें सराय रोहिला भी एक है। नई दिल्ली, दिल्ली, हजरत निजामुद्दीन और
आनंद विहार की बात अलग हो सकती है। पर सराय रोहिला पहुंचने पर ऐसी बदइंतजामी
नजर आती है कि लगता है मानो यह राष्ट्रीय
राजधानी दिल्ली का रेलवे स्टेशन हो ही नहीं।
यात्री सुविधाओं का टोटा - 1996 के बाद दिल्ली से मीटर गेज पूरी तरह खत्म होने के बाद सराय रोहिल्ला
हरियाणा, राजस्थान, गुजरात, मुंबई जाने वाली ट्रेनों का बड़ा टर्मिनल बन गया। साल 2006 से सराय रोहिला से भी सिर्फ ब्राडगेज की ट्रेनें दौड़ रही हैं। यहां
पर रेलवे के पास दोनों ही तरफ काफी जमीन है। पर यात्री सुविधाओं में विस्तार को
लेकर कभी गंभीरता नहीं दिखाई गई। यात्रियों के लिए यहां बेहतर प्रतीक्षालय,
शौचालय, कैंटीन और रिटायरिंग रूम भी नहीं है। परेशान यात्री प्लेटफार्म नंबर एक से
बाहर की ओर गली में बने होटलों मे शरण लेते हैं जो बहुत किफायती नहीं हैं। उत्तर
रेलवे के दिल्ली डिविजन का अत्यंत उपेक्षित रेलवे स्टेशन है।
सराय रोहिला रेलवे स्टेशन से
गरीब रथ, डबल डेकर शताब्दी एक्सप्रेस, दूरंतो एक्सप्रेस समेत, राजस्थान, हरियाणा, गुजरात, मुंबई जाने
वाले करीब दो दर्जन रेल गाड़ियां रोज खुलती हैं। चेन्नई जाने वाली जीटी एक्सप्रेस
और छिंदवाड़ा जाने वाली पातालकोट एक्सप्रेस भी यहीं से खुलती है। पर इस स्टेशन पर
यात्री सुविधाएं सुधारने पर रेलवे ने कभी इमानदार कोशिश नहीं की।
सबसे पहले तो स्टेशन का पहुंच
मार्ग मुश्किलों भरा है। दो रास्ते हैं पहुंचने के। पहला रास्ता करोलबाग के न्यू
रोहतक रोड से होकर है। लिबर्टी सिनेमा के आगे दाहिनी तरफ स्टेशन में प्रवेश के लिए
दो गलियां हैं। एक संकरी गली सिर्फ पैदल यात्रियों के लिए है। थोड़ी चौड़ी गली में
अक्सर वाहन जाम में फंस जाते हैं। यात्रियों को पैदल उतर कर रेलवे स्टेशन जाना
पड़ता है। स्टेशन का भवन एक मंजिला और अत्यंत पुराना पड़ चुका है। कुल 7
प्लेटफार्म हैं और एक फुटओवर ब्रिज है। उतरने चढ़ने वाली सीढ़ियां इतनी बुरी हालत
में हैं कि मेरे सामने लोग सुटकेस लिए हुए फिसलकर लुढ़कते हुए दिखाई दिए।
प्लेटफार्म नंबर एक का टिकट घर देखकर लगता है कि यह किसी पिछड़े राज्य का कस्बाई
रेलवे स्टेशन हो। स्टेशन के द्वार पर एक शिलापट्ट लगा है सन 2000 का। इस पर
तत्कालीन रेल राज्य मंत्री दिग्विजय सिंह और अपर महाप्रबंधक वी पी चंदन के नाम से सराय
रोहिला स्टेशन के नवीकरण की शुरूआत की बात लिखी है। लेकिन 16 साल में नवीकरण के
नाम पर कुछ खास नहीं हुआ। कैंटीन और खाने पीने के स्टाल खस्ताहाल हैं।
दिल्ली सराय रोहिला का स्टेशन
कोड DEE
है।
वहीं इस स्टेशन का प्लेटफार्म नंबर 6 और 7 वास्तव में विवेकानंदपुरी हाल्ट का
प्लेटफार्म है। इसका कोड VVKP है। वैसे
सराय रोहिला स्टेशन की दूरी नई दिल्ली और पुरानी दिल्ली से 5 किलोमीटर है।
दिल्ली में सराय रोहिला
ऐतिहासिक मुहल्ला है। यह मुगल दरबारी रुहाउल्ला खां ने बसाया था। यहां पर रेलवे
स्टेशन 1872 में अस्तित्व में आया। यह मीटर गेज का स्टेशन था। पर पुरानी दिल्ली से मीटर गेज 1991
के बाद बंद होने पर राजस्थान, गुजरात, हरियाणा की ओर जानेवाली मीटर गेज ट्रेनों के
लिए सराय रोहिला टर्मिनल बन गया।
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सराय रोहिला - खतरनाक फुटओवर ब्रिज। |
औसत से नीचे -
सफाई, खानपान, सुरक्षा, परिवहन, लॉजिंग, यात्री सुविधाओं आदि हर मामले में यह औसत
से नीचे का रेलवे स्टेशन है। एक बार 2013 में दूसरी बार 2016 में इस स्टेशन पर
दौरा करने पर मुझे सुविधाओं में कोई बदलाव नजर नहीं आया।
कैसे पहुंचे –
सराय रोहिला पहुंचने का सुगम रास्ता मेट्रो के शास्त्री नगर स्टेशन से है। इस
स्टेशन से सराय रोहिला रेलवे स्टेशन 1 किलोमीटर है। मेट्रो स्टेशन से रेलवे स्टेशन
के लिए बैटरी रिक्शा मिल जाता है जो 10 रुपये प्रति सवारी लेते हैं। ये बैटरी
रिक्शा सरायरोहिला थाना होकर जाते हैं। प्लेटफार्म नंबर 7 की ओर प्रवेश करने पर भी
बाहर अनारक्षित और आरक्षित टिकट घर बने हैं। पर रात में ये प्रवेश द्वार सुनसान हो
जाता है। अगर रात में पहुंचना हो तो न्यू
रोहतक रोड की तरफ से आना ही बेहतर होगा। आप लोकल ट्रेनों से भी यहां पहुंच सकते हैं।
ये ट्रेनें विवेकानंदपुरी हाल्ट पर रूकती हैं जो सराय रोहिला स्टेशन का प्लेटफार्म
नंबर 6 और 7 है।
- vidyutp@gmail.com
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