जिन लोगों का बचपन सत्तर और
अस्सी के दशक के बीच गुजरा होगा उन्हें विजय सुपर स्कूटर की याद होगी। इसके साथ ही
सी कंपनी का एक स्कूटर आता था लंब्रेटा सेंटो। देश आजाद होने के बाद तमाम सरकारी
क्षेत्र की कंपनियां आईं जो आम लोगों की जरूरतों की चीजें बनाती थीं। जैसे एचएमटी
की घड़ियां, इसी का टेलीविजन सेट आदि आदि। तो आम लोग जो कार नहीं खरीद सकते थे
उन्हे परिवहन का सस्ता विकल्प देने के लिए भारत सरकार ने स्कूटर बनाने का फैसला
किया।
इसके लिए स्कूटर इंडिया लिमिटेड की स्थापना 1972 में सार्वजनिक उपक्रम के रुप में की गई थी। तब भारत में स्कूटर बनाने के
लिए इटली की दिवालिया हो गई आटोमोबाइल
कंपनी के पुराने संयंत्र की मशीनरी को आयात किया गया था। उपक्रम ने 1975 में विजय सुपर और लम्ब्रेटा नाम से दुपहिया स्कूटर का उत्पादन शुरू किया।
विजय सुपर का निर्माण घरेलू बाजार और लम्ब्रेटा सेंटो का विदेशी बाजारों को ध्यान
में रखते हुए किया गया था। आम जनता को इस कंपनी से बहुत उम्मीदें भी थीं।
पर यह
ब्रांड कभी बाजार नहीं पकड़ पाया। उसके मुकाबले बाजार में बजाज कंपनी थी। बाद में
वेस्पा भी आ गई। कुछ वर्षों के बाद स्कूटर इंडिया ने अपना कारोबार बढ़ाते हुए
तिपहिया का उत्पादन शुरू किया। 1983 में विश्व कप जीन वाली
टीम इंडिया को एक विजय सुपर स्कूटर उपहार में दिया गया था। पर यह स्कूटर कभी बाजार
में हिट नहीं हो सका।

सरकार ने साल 2011 में खस्ताहाल सार्वजनिक उपक्रम स्कूटर इंडिया लिमिटेड के विनिवेश
का फैसला किया। इसके तहत सरकार उपक्रम में अपनी 95 प्रतिशत पूरी हिस्सेदारी निजी कंपनी को बेच दी गई। प्रधानमंत्री मनमोहन
सिंह की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक में विनिवेश का फैसला लिया गया। अब स्कूटर
इंडिया एक निजी कंपनी है विक्रम ब्रांड के नाम से तिपहिया बनाती है।
दिल्ली के कीर्ति नगर इलाके में स्कूटर इंडिया का वीरान सा सरकारी
परिसर अब भी देखा जा सकता है। साइन बोर्ड धुंधला हो चुका है। जो कंपनी के विस्मृत
इतिहास का साक्षी बना हुआ है। पर देश में तमाम ऐसे परिवार हैं जिनकी स्मृतियां विजय
सुपर स्कूटर के साथ जुड़ी हुई हैं। अभी भी देश के कई शहरों में पुराना विजय सुपर किसी
के घर में शान से खड़ा देखा जा सकता है। खराब औसत और स्पेयर पार्ट्स नहीं मिलने के
कारण कई घरों में ये स्कूटर कबाड़ में तब्दील हो गया। वहीं पूरी दुनिया में
लंब्रेटा सेंटो के आज भी फैन क्लब बने हुए हैं। कई पुराने स्कूटर के शौकीन विजय
सुपर को अभी चलाने की कोशिश करते हैं।
हालांकि निजी क्षेत्र कंपनी बन चुकी स्कूटर इंडिया लिमिटेड जिसका प्लांट उत्तर प्रदेश के लखनऊ में है, ने एक
बार फिर विजय सुपर ब्रांड को बाजार में उतारने के बारे में विचार बनाया था। अगर
ऐसा हुआ तो इतिहास फिर से जीवित हो उठेगा।
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विद्युत प्रकाश मौर्य - vidyutp@gmail.com
(VIJAY SUPER, SCOOTER INDIA LIMITED, VIKRAM )
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