चाथम अंदमान के पोर्टब्लेयर शहर
से लगा हुआ एक छोटा सा द्वीप है। यह हैडो से महज एक किलोमीटर की दूरी पर है। 1930
से पहले चाथम आने के लिए नावें सहारा थी। पर हैडो और चाथम के बीच 1930 में पुल का
निर्माण किया गया। अब यहां नियमित बसें आती हैं। मेडिकल (सेल्युलर जेल) से चाथम के
लिए दिन भर स्थानीय बस सेवा है।
चाथम छोटा सा पर ऐतिहासिक द्वीप
है। सैलानी यहां चाथम शॉ मिल यानी आरा मशीन देखने आते हैं। यह एशिया की सबसे बड़ी
और सबसे पुरानी आरा मशीन मानी जाती है। इस सरकारी आरा मिल के परिसर में ही एक
संग्रहालय है जो पूरे अंदमान में बस्ती बसने का इतिहास बयां करता है। यह संग्रहालय
हर रोज सुबह 8.30 बजे से दोपहर 2.30 बजे तक खुला रहता है। प्रवेश टिकट 10 रुपये का
है।
अंदमान द्वीप पर जब ब्रिटिश
अधिकारियों के कदम पड़े तो उन्हें इस द्वीप पर मौजूद अमूल्य संपदा के बारे में पता
चला। इसमें सबस महत्वपूर्ण थी यहां की लकड़ी। इन लकड़ियों से बहुमूल्य फर्नीचर और
बेहतरीन कलाकृतियां बनाना संभव था। यहां के जंगलों से लकड़ियों के दोहन के लिए
यहां पर एक शॉ मिल की स्थापना की गई। यह शॉ मिल सरकारी स्तर पर आज भी चलाई जा रही
है। इस शॉ मिल की स्थापना 1883 में की गई। इसमें काम करने वाले ज्यादातर लोग ऐसे
थे जो बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड जैसे राज्यों से इधर आए थे।
सोनपुर मेले से आए हाथी - मजेदार बात है कि जंगल से
लकड़ियों की ढुलाई के लिए तब यहां परिवहन का कोई सुगम साधन नहीं था। इसके लिए यहां
हाथी मंगाए गए। चूंकि अंदमान द्वीप पर हाथी नहीं थे, इसलिए हाथियों की खरीद उत्तर
बिहार के सोनपुर मेले से की गई। इन हाथियों को रेल सड़क मार्ग और समुद्र से परिवहन
करके अंदमान लाया गया। ये हाथी जंगल से लकड़ियां लाने में काफी उपयोगी साबित हुए।
शॉ मिल के परिसर में लकड़ी की
ढुलाई के लिए रेलवे ट्रैक बिछाया गया है। दो फीट चौड़ाई वाले इस ट्रैक पर रेल
ट्राली चलाई जाती है। आजकल शॉ मिल की व्यवस्था वन विभाग देखता है। इसे एशिया की
सबसे पुरानी और व्यस्थित तरीके से चलने वाली शॉ मिल माना जाता है। मिल में बड़ी
बड़ी लकड़ियों को चीरने के लिए विशाल मशीनें लगी हुई हैं। यहां आप दिन भर बड़े
पैमाने पर लकड़ियों को काटते हुए और उन्हें उतारते चढ़ाते देख सकते हैं। 1945 में
द्वितीय विश्वयुद्ध के समय चाथम पर ब्रिटिश सेना के बमबारी के समय मिलबंद हो गया।
पर 1946 से यह दुबारा काम करने लगा। इस आरा मशीन से निकली लकड़ियों से एक से बढ़कर
एक कलाकृतियों का निर्माण हुआ है। यहां तक की लकड़ी की बनी चेन भी देखी जा सकती है।
बेशकीमती लकड़ी अंदमान पादुक –
अंदमान पादुक राज्य का राजकीय वृक्ष है। यह काफी मजबूत लकड़ी में गिना जाता है। इससे
बने फर्नीचर उम्दा गुणवत्ता के होते हैं। अंदमान पादुक का वृक्ष काफी बड़ा होता
है। यह 25 से 30 मीटर का हो सकता है। इसकी लकड़ी गुलाबी और ललाई लिए हुए रंग की
होती है। इसकी लकड़ी से न सिर्फ फर्नीचर बल्कि डेकोरेटिव सामग्री भी बनाई जाती है।
यहां तक माना जाता है कि अंदमान पादुक की गुणवत्ता टीक यानी सागवान से भी बेहतर
होती है। इसकी लकड़ी से टेबल टॉप और वाल हैंगिग
आदि का भी निर्माण होता है।
चाथम शॉ मिल परिसर में स्थित
संग्रहालय में आप अंदमान पादुक और अन्य लकड़ियों से बनी सुंदर कलाकृतियां देख सकते
हैं। साथ ही यहां आप अंदमान का इतिहास बताते चित्र भी देख सकते हैं। यहां एक
सोवनियर शॉप भी है जहां से आप लकड़ी की बनी सामग्री और पुस्तकें आदि खरीद भी सकते
हैं।
- vidyutp@gmail.com
(ANDAMAN, CHATHAM SHAW MILL, ELEPHANT, SONEPUR )
अंदमान की यात्रा को पहली कड़ी से पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
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बहुत सुन्दर जानकारी ..
ReplyDeleteबहुत सुन्दर जानकारी दी है, लकड़ी से बहुत सी सुन्दर वस्तु बनाई जाती है दुनिया में बहुत ही सुन्दर रचनाएँ है चाहे वो भगवान ने बनाई हो या इंसान ने। स्री और पुरुष भगवान की सुन्दर रचनाएँ है जैसे आम्रपाली सबसे सुन्दर स्री बहुत ही सुन्दर रचना है.
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