विख्यात कला पारखी और डच विद्वान
डॉक्टर बोगल ने हिमाचल प्रदेश के इस चम्बा शहर को 'अचंभा' कहा था। उन्होंने यू हीं शहर को अचंभा नहीं कहा था। यहां के मंदिर कला
संस्कृति में विविधता को देखते हुए उन्होंने अनायास ही यह उपाधि दे डाली थी।
तो आइए जानते हैं चंबा शहर की कहानी।
वैसे चंबा शहर का नाम चंबा के राजा के बेटी चंपावती के नाम पर पड़ा था।
तो आइए जानते हैं चंबा शहर की कहानी।
वैसे चंबा शहर का नाम चंबा के राजा के बेटी चंपावती के नाम पर पड़ा था।
राजा ने इस शहर का नामकरण अपनी बेटी चंपा के नाम पर क्यों किया था, इस बारे में एक बहुत ही रोचक कहानी सुनाई जाती है। राजकुमारी चम्पावती बहुत
ही धार्मिक प्रवृत्ति की थी। राजकुमारी हर रोज स्वाध्याय के लिए एक साधु के पास जाती थी।
एक दिन राजा को किसी कारण अपनी बेटी पर संदेह हो गया। शाम को जब साधु के आश्रम में बेटी जाने लगी तो राजा भी चुपके से उसके पीछे चल पड़े। बेटी के आश्रम में प्रवेश करते ही जब राजा भी अंदर गया तो उसे वहां कोई दिखाई नहीं दिया। लेकिन तभी आश्रम से एक आवाज आई – राजा तुम्हारा संदेह निराधार है। बेटी पर शक करने की सजा के रूप में उसकी निष्कलंक बेटी छीन ली जाती है। साथ ही राजा को इस स्थान पर एक मंदिर बनाने का आदेश भी मिला।
इसके बाद राजा ने देवीय आदेश का
पालन करते हुए सुंदर मंदिर का निर्माण कराया। चम्बा नगर के ऐतिहासिक चौगान मैदान के
पास स्थित चंपावती मंदिर को लोग चमेसनी देवी के नाम से भी पुकारते हैं।
वास्तु कला की दृष्टि से यह मंदिर अनुपम है।
राजकुमारी चंपा के नाम पर चंबा
इस घटना के बाद राजा साहिल वर्मा ने नगर का नामकरण राजकुमारी चम्पा के नाम कर दिया। पर यह बाद में चंबा कहलाने लगा।
वास्तु कला की दृष्टि से यह मंदिर अनुपम है।
राजकुमारी चंपा के नाम पर चंबा
इस घटना के बाद राजा साहिल वर्मा ने नगर का नामकरण राजकुमारी चम्पा के नाम कर दिया। पर यह बाद में चंबा कहलाने लगा।
चंपावती मंदिर में शक्ति की देवी महिषासुर मर्दिनी की भी सुंदर प्रतिमा है। वहीं मंदिर परिसर में कई खूबसूरत पत्थरों की मूर्तियां दीवारों में स्थापित की गई हैं। इन मूर्तियों को आप देर तक निहार सकते हैं। चंबा के इन मंदिरों को देखते हुए लगता है मानो पूरा शहर की कोई पेंटिंग गैलरी के सरीखा हो। शहर की रचना कुछ इस तरह की है कि यह विश्व विरासत के शहर का दावेदार हो सकता है। तो आइए चलते हैं चंबा शहर के और मंदिर का दर्शन करने।

भगवान विष्णु को समर्पित है चंबा का हरि राय मंदिर –
चंबा में चौगान मैदान के एक कोने में हरि राय मंदिर स्थित है। यह चंबा के कलात्मक मंदिरों में से एक है। यह भगवान विष्णु का एक सुंदर मंदिर है। इसका निर्माण 11वीं सदी में राजा सालबाहन द्वारा हुआ था। मंदिर के शिखर पर काफी कलात्मक काम किया गया है। यहां विष्णु को छह घोड़ों पर सवार देखा जा सकता है। मंदिर के अंदर शिव की भी प्रतिमा है। शिव यहां उमा महेश्वर के रूप में विराजमान हैं। मंदिर में नीचे से लेकर ऊपर तक इसके बाहरी दीवारों पर अदभुत काम किया गया है। यह मंदिर भी पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित है। मंदिर सुबह 10 बजे से सांय 5 बजे तक खुला रहता है। चंबा के लक्ष्मीनारायण मंदिर समूह, चंपावती मंदिर, हरि राय मंदिर और मां चामुंडा मंदिर के दर्शन के लिए आपके पास पूरे एक दिन का वक्त होना चाहिए।
हिमाचल प्रदेश में लोक देवताओं के मंदिर जगह-जगह मिलते हैं। इन लोक देवताओं के पूजा की रोचक पद्धतियां भी हैं। हमारे होटल के पास सड़क पर हमने देखा कि एक लोक देवता की रथयात्रा निकाली जा रही है। देवता का श्रंगार किया गया है और उन्हे लकड़ी की पालकी पर बिठाकर लोग ले जा रहे हैं।

(CHAMBA, CHAMPAWATI TEMPLE, HARI RAI TEMPLE, VISHNU, SHIVA, 11th CENTURY )
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