तीन दिनों के चंबा प्रवास के
बाद वापसी की यात्रा भी काफी मनोरम रही। हमारा होटल चंबा बस स्टैंड से पांच
किलोमीटर आगे परेल में था। इसलिए हमें बस पकड़ने के लिए बस स्टैंड जाने की कोई
जरूरत नहीं थी। टाइम टेबल देख लिया था। दोपहर 11.30 बजे चलने वाली बस 20 मिनट बाद
हमारे होटल के सामने से गुजरने वाली थी।
होटल छोड़ने के समय हमारी मुलाकात होटल रायल ड्रीम्स के प्रोपराइटर हितेश कुकरेजा जी से हो गई। उनसे पहले फोन पर कई बार बात हुई थी। वे हमसे मिल कर बड़े खुश हुए। उन्होंने हमें मणि महेश यात्रा के समय एक बार फिर चंबा आने की सलाह दी। हम सारा सामान लेकर होटल के सामने खड़े हो गए। थोड़ी देर में हिमाचल रोडवेज की मनाली जाने वाली बस आई। भीड़ नहीं थी। आसानी से मनचाही जगह मिल गई।
होटल छोड़ने के समय हमारी मुलाकात होटल रायल ड्रीम्स के प्रोपराइटर हितेश कुकरेजा जी से हो गई। उनसे पहले फोन पर कई बार बात हुई थी। वे हमसे मिल कर बड़े खुश हुए। उन्होंने हमें मणि महेश यात्रा के समय एक बार फिर चंबा आने की सलाह दी। हम सारा सामान लेकर होटल के सामने खड़े हो गए। थोड़ी देर में हिमाचल रोडवेज की मनाली जाने वाली बस आई। भीड़ नहीं थी। आसानी से मनचाही जगह मिल गई।
रावी नदी पर चंबा बनीखेत मार्ग पर बना जलाशय |
रावी नदी के साथ चल रही सड़क पर हमारी बस आगे बढ़ रही
थी। चंबा शहर पीछे छूटता जा रहा था। वह शहर हमें किसी सपने जैसा लग रहा था, जहां
हमने तीन दिन गुजारे थे। दस किलोमीटर चलने पर चनेड़ नामक छोटा सा कस्बा आया। इसके
बाद शुरू हो जाता है रावी नदी पर बने विशाल जलाशय का नजारा। सर्पीले वलय खाती सडक
पर बस आगे बढ़ रही है।
एक तरफ ऊंचा पहाड़ है तो दूसरी तरफ रावी नदी। नदी का जल काफी
नीचे गहराई में दिखाई दे रहा था। हमने खिड़की के पास वाली जगह ली और कैमरा क्लिक
करता गया। जितनी तस्वीरें ले सकता था लेता रहा। ऐसा लग रहा था मानो इन सारे
खूबसूरत नजारों को कैद कर लूं। कहीं कहीं
नदी के उस पार सड़क नजर आती है। रावी नदी पर बने कमेरा जलाशय में एक स्थल है जहां
पर सैलानियों के लिए जलाशय में बोटिंग की सुविधा उपलब्ध है।
कमेरा लेक के पास आता है द्रड्डा
नामक कस्बा। यह 1500 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यहां पर एक पुलिस चौकी है। हाईवे
पर कहीं कहीं हमें ढाबे भी नजर आते हैं। इसी मार्ग पर एक लेक व्यू ढाबा नजर आता है।
द्रड्डा के बाद आता है परिहार। और परिहार के बाद गाडियार। थोड़ा आगे चलने पर गोली
नामक कस्बा आता है। गोली बनीखेत और चंबा
के बीच छोटा सा कस्बा है गोली। यहां से प्रसिद्ध भलेई माता का मंदिर 15 किलोमीटर
की दूरी पर स्थित है। गोली में अच्छा खासा बाजार और बैंकों की शाखाएं नजर आती हैं।
यहां से भलेई देवी के लिए रास्ता बदलता है.... |
इसके बाद आता है देवी देहरा
नामक बस स्टाप। देवी देहरा से आगे बढ़े पर हम पहुंचते हैं बाथरी। यहां हमें एक बैंक की शाखा दिखाई देती है। बाथरी से बनीखेत की दूरी 7 किलोमीटर है।
बाथरी बनीखेत के बीच सुकडाई बाई नामक एक गांव आता है। चंबा से बनीखेत के बीच की
दूरी 47 किलोमीटर है।
बनीखेत में सारी बसें 10 से 20 मिनट रुकती हैं। यह इस रास्ते का बड़ा ठहराव है। पर हमारी बस
बनखेत से चलकर पहले डलहौजी जाती है। क्योंकि इसके रूट में डलहौजी है। डलहौजी में थोड़ी देर रुकने के बाद फिर वापस बनीखेत आती
है। इसके बाद आगे के सफर पर रवाना हो जाती है।
रावी नदी पर बने जलाशय का एक और नजारा |
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चंबा से मनाली जाने वाली बस। |
पठानकोट से रात में धौलाधार एक्सप्रेस अपने नियत समय पर चल पड़ी है। पर हमारी बर्थ ए 2 कोच में है तो
माधवी की ए 3 में। तो हम ट्रेन में अलग अलग हो गए हैं। पूरे कोच में दिल्ली के एक निजी
स्कूल, ( ग्रीनफिल्ड्स, सफदरजंग एन्क्लेव ) के 12वीं कक्षा के छात्र छात्राएं हैं जो चंबा भ्रमण करके लौट रहे हैं।
ये छात्र और छात्राएं सारी रात ट्रेन में हंगामा करते रहे। सोने का तो सवाल ही नहीं उठता। पूरे डिब्बे में सारी रात उधम मचती रही। उन्हें कोई रोकने वाला नहीं था। सुबह का
सूरज उगा तो हमारी ट्रेन लुधियाना, धूरी, संगरूर, जाखल जैसे स्टेशनों को छोड़ती
हुई हरियाणा में आगे बढ़ रही थी। ट्रेन नरवाणा जंक्शन पर रुक गई है। हमारी ट्रेन पुरानी दिल्ली जाएगी।
आगे कुछ ऐसे छोटे स्टेशनों पर भी रूक रही है जहां इसका ठहराव नहीं है। रास्ते में जय जयवंती नाम स्टेशन आया। नाम मजेदार है ना। इसी नाम का एक
शास्त्रीय संगीत में राग भी है। तो हरियाणा के स्टेशनों को पीछे छोड़ ट्रेन दिल्ली में प्रवेश कर चुकी है।
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हरियाणा में है जयजयवंती रेलवे स्टेशन |
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विद्युत
प्रकाश मौर्य – vidyutp@gmail.com
(CHAMBA, RAVI RIVER, BANIKHET, PATHANKOT, HIMACHAL ROADWAYS )
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