चामुंडा मंदिर के बारे में कहा
जाता है कि चंबा नगर बसने से पहले भी विद्यमान था। वर्तमान मंदिर मूल मंदिर के
नष्ट होने के बाद फिर से बनाया गया है। सारा चंबा शहर मां चामुंडा के चरणों में बसा हुआ
है। मंदिर भित्ति चित्र और काष्ठकला का अदभुत उदाहरण है। चामुंडा मंदिर पैगोडा
शैली में बना हुआ है। यह चंबा के बाकी मंदिरों से काफी अलग है।
कहा जाता है कि राजा शालिवर्मन द्वारा चंबा नगर बसाने से पहले यह मंदिर यहां मौजूद था। पर आपदा में मंदिर के ध्वस्त हो जाने पर इसका दुबारा निर्माण कराया गया। पैगोडा शैली के इस मंदिर का गर्भगृह ऊंचे चबूतरे पर बनाया गया है। इसका मंडप खुला हुआ है। निर्माण में स्लेटी पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है। छतों के किनारों में चार नक्काशीदार काष्ठ निर्मित श्रंखला देखी जा सकती है। मंडप की काष्ठ निर्मित छत नौ हिस्सों में बंटी है। इस पर काष्ठ फलक और चार सुंदर प्रतिमाएं अंकित की गई हैं। बाकी आठ वर्गों में अर्धामूर्ति पूरणीय आकृतियां बनी हैं।
मंदिर के एक स्तंभ शीर्ष पर योगासन करती मानव आकृतियां बनी हैं। गर्भ गृह के प्रवेश द्वार पर विशाल पीतल की घंटियां बनी हैं। यहां पर एक अभिलेख भी उत्तकीर्ण किया गया है। इस अभिलेख में लिखा गया है - पंडित विद्याधर ने 2 अप्रैल 1762 में 27 सेर वजन और 27 रुपये मूल्य की इस घंटी को दान में दिया था। मंदिर की शानदार कलाकृतियां और अदभुत काम, यह सब कुछ देखकर अचरज होता है।
काष्ठ कला का सुंदर नमूना - चामुंडा मंदिर काष्ठ कला का
उत्कृष्ट उदाहरण पेश करता है। भारत सरकार के पुरातत्व विभाग ने चामुंडा देवी के राष्ट्रीय महत्व
का संरक्षित स्मारक घोषित किया है।

चामुंडा मंदिर के प्राचीर से
चंबा शहर का अदभुत नजारा दिखाई देता है। मंदिर ऊंचाई पर स्थित है इसलिए नीचे की
तरफ पूरा शहर दिखाई देता है। मंदिर के प्रांगण से रावी नदी और सड़कों का भी सुंदर
नजारा दिखाई देता है। रात की रोशनी में तो यहां से शहर का सौंदर्य और भी बढ़ जाता
है। मंदिर में रोज शाम को आरती होती है। आरती के बाद अगर आप यहां से चंबा शहर का
नजारा करें तो अदभुत आनंद आता है।
कैसे पहुंचे –
मंदिर तक पहुंचने के दो रास्ते हैं। एक सड़क मार्ग से और दूसरा सीढ़ियों से। कोई
500 सीढ़ियां चढ़कर चंबा के मुख्य बाजार से चामुंडा मंदिर तक पहुंचा जा सकता है।
अगर सड़क मार्ग से मंदिर पहुंचना है तो झुमार जाने वाले मार्ग पर कोई दो किलोमीटर
चलने के बाद मंदिर पहुंच सकते हैं।
हमलोगों ने झुमार से लौटते हुए अपनी टैक्सी वाले से आग्रह किया और उन्होंने चामुंडा मंदिर के पास गाड़ी रोक दी। हमलोग दर्शन करके शहर की ओर बढ़ चले। देवी का मंदिर झुमार जाने वाले रास्ते पर ही पड़ता है।
हमलोगों ने झुमार से लौटते हुए अपनी टैक्सी वाले से आग्रह किया और उन्होंने चामुंडा मंदिर के पास गाड़ी रोक दी। हमलोग दर्शन करके शहर की ओर बढ़ चले। देवी का मंदिर झुमार जाने वाले रास्ते पर ही पड़ता है।
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चामुंडा देवी मंदिर के प्राचीर से दिखाईदेता चंबा शहर और चौगान मैदान। |
( CHAMBA, CHAMUNDA DEVI TEMPLE, HIMACHAL )
मैसूर, कर्नाटक के चामुंडा मंदिर के बारे में यहां क्लिक कर पढ़ें
हिमाचल के कांगड़ा स्थित चामुंडा मंदिर के बारे में यहां क्लिक कर पढें
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जै चामुंडा माँ!
ReplyDeleteजय मां चामुंडा
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