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खजियार से ंचंबा... |
खजियार से तकरीबन सात किलोमीटर चलने
पर गेट आया। गेट एक जगह का नाम है. गेट में छोटा सा बाजार है। इसके बाद बनाडू फिर मंगला। चंबा से 4
किलोमीटर पहले सुल्तानपुर आता है। यह चंबा का बाहरी इलाका है। यहीं पर पठानकोट
बनीखेत की ओर से आ रहा हाईवे और खजियार से आ रहे सड़क मिल जाते हैं। हम इसी तिराहे
पर उतर गए।
हमारा होटल यहां से एक किलोमीटर पीछे बनीखेत वाली सड़क पर परेल में है। सुल्तानपुर में भी हमें एक आवासीय होटल राजबीर दिखाई देता है। यहां कुछ ढाबे और मिठाई की दुकानें भी हैं। हम पैदल परेल की तरफ बढ़े। तभी एक बस मिल गई। उसने हमें परेल में हमारे होटल के बिल्कुल सामने उतार दिया। किराया 3 रुपये प्रति व्यक्ति। हिमाचल रोडवेज में न्यूनतम किराया 3 रुपये है अभी भी। हमारे होटल का नाम रायल ड्रिम्स है। यह मेकमाई ट्रिप डॉट काम से बुक किया था। मेन हाईवे पर स्थित होटल रावी नदी के किनारे है। कमरे काफी बड़े बड़े हैं। हमारा कमरा नंबर 112 तीसरी मंजिल पर है। इसमें एक बालकोनी भी है।
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सुल्तानपुर चंबा, जहां बनीखेत खजियार का रास्ता मिलता है... |
हमारा होटल यहां से एक किलोमीटर पीछे बनीखेत वाली सड़क पर परेल में है। सुल्तानपुर में भी हमें एक आवासीय होटल राजबीर दिखाई देता है। यहां कुछ ढाबे और मिठाई की दुकानें भी हैं। हम पैदल परेल की तरफ बढ़े। तभी एक बस मिल गई। उसने हमें परेल में हमारे होटल के बिल्कुल सामने उतार दिया। किराया 3 रुपये प्रति व्यक्ति। हिमाचल रोडवेज में न्यूनतम किराया 3 रुपये है अभी भी। हमारे होटल का नाम रायल ड्रिम्स है। यह मेकमाई ट्रिप डॉट काम से बुक किया था। मेन हाईवे पर स्थित होटल रावी नदी के किनारे है। कमरे काफी बड़े बड़े हैं। हमारा कमरा नंबर 112 तीसरी मंजिल पर है। इसमें एक बालकोनी भी है।
होटल के सामने सड़क औ रावी नदी तो पीछे पहाड़ का
नजारा दिखाई देता है। होटल के रिसेप्शन और लॉबी में चंबा के रुमाल फ्रेम करके लगाए
गए हैं।
होटल में रेस्टोरेंट भी है पर आजकल चलता नहीं है। होटल के मैनेजर बताते हैं कि मणि महेश यात्रा के समय होटल में खूब भीड़ होती है। हमारा तीन दिनों का प्रवास इस होटल में आनंददायक रहा। होटल के पास रावी नदी के किनारे एक सुंदर मंदिर कांप्लेक्स है। सामने एक ढाबा है। यहां एक परिवार खाना बनाता है। हमने एक रात यहां खाना खाया। एक सुबह नास्ते पराठे आलू की सब्जी के साथ और दही खाई। मजा आ गया खासकर अनादि को करारे पराठे खाकर। आखिरी दिन हमारी मुलाकात होटल रायल ड्रिम्स के प्रोपराइटर हितेंद्र कुकरेजा से हुई। होटल बुक करने के दौरान मेरी कई बार बात हुई थी। उन्होंने मणिमहेश यात्रा के दौरान आने को कहा। अगर भोले बाबा की इच्छा हुई तो शायद आना हो जाए।
होटल में रेस्टोरेंट भी है पर आजकल चलता नहीं है। होटल के मैनेजर बताते हैं कि मणि महेश यात्रा के समय होटल में खूब भीड़ होती है। हमारा तीन दिनों का प्रवास इस होटल में आनंददायक रहा। होटल के पास रावी नदी के किनारे एक सुंदर मंदिर कांप्लेक्स है। सामने एक ढाबा है। यहां एक परिवार खाना बनाता है। हमने एक रात यहां खाना खाया। एक सुबह नास्ते पराठे आलू की सब्जी के साथ और दही खाई। मजा आ गया खासकर अनादि को करारे पराठे खाकर। आखिरी दिन हमारी मुलाकात होटल रायल ड्रिम्स के प्रोपराइटर हितेंद्र कुकरेजा से हुई। होटल बुक करने के दौरान मेरी कई बार बात हुई थी। उन्होंने मणिमहेश यात्रा के दौरान आने को कहा। अगर भोले बाबा की इच्छा हुई तो शायद आना हो जाए।
चंबा आने की मेरी बहुत पुरानी
इच्छा पूरी हुई है। पांच साल जालंधर में रहने के दौरान नहीं पहुंच सका था। तब डलहौजी आकर वापस लौट गया था। इससे पहले चंबा गीतों में सुना था। दोस्तों से सुना था। पंजाबी
का अति लोकप्रिय लोकगीत है ... साडे चिड़ियों दा चंबा वे... जिसमें चंबा का जिक्र
आता है। खास तौर पर शादियों में बेटी की विदाई के वक्त ये गीत जरूर बजता है। इसमें
बेटी की तुलना चंबा की चिड़िया से की गई है।
साडी लंबी उडारी वे बाबुल केडे
देस जाना
तेरे महलां दे विच विच वे बाबा
कहदेने कौन खेडे
मेरियां खेडे पोतराइयां धी घर
जा अपने
साडे चिडिये दा चंबा वे बाबुल
अस उड जाना
तेरी लमियां पासराइयां विच वे
बाबुल चरखा कौन काते
मेरियां कतन पोतराइयां धी घर जा
आपने
साडा चिडिया दा चंबा वे बाबुल
अस उड़ जाना
तेरायं पेदियां गलिया चे वे
बाबुल डोला नहीं लंघदा
इक अत कुत्ता दे हां धी घर जा
अपने
साडे चिडिये दा चंबा वे बाबुल
अस उड जाना
साडी लंबी उडारी वे बाबुल केडे
देस जाना...
गीत में पिता पुत्री का भावुक संवाद है. बेटी पूछती है कि मेरे जाने के बाद चरखा कौन कातेगा. पर पिता उसे बाबुल के घर जाने को राजी करता है। इस गीत को पंजाब की कोयल नाम से मशहूर सुरिंदर कौर व प्रकाश कौर ने गाया है। पाकिस्तानी गायिका रेशमा ने भी गाया है। कुछ फिल्मों में भी इसका मुखड़ा सुना जा सकता है। फिल्म कभी कभी का ये गीत सुनिएगा- सुर्ख जोड़े की ये...
( चंबा की बातें आगे भी पढिए...रावी नदी का किनारा, चौगान, लक्ष्मीनारायण मंदिर, ताल फिल्म की सपनीली दुनिया झुमार, चामुंडा देवी मंदिर और भी बहुत कुछ )
( चंबा की बातें आगे भी पढिए...रावी नदी का किनारा, चौगान, लक्ष्मीनारायण मंदिर, ताल फिल्म की सपनीली दुनिया झुमार, चामुंडा देवी मंदिर और भी बहुत कुछ )
Email- vidyutp@gmail.com
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