खजियार पहुंच कर लगता है कि मानो आप सपनों की दुनिया में आ गए हों। खजियार ग्राउंड का सबसे
लोकप्रिय मनोरंजन घुड़सवारी है। ग्राउंड का पूरा चक्कर लगाएं तो यह तीन किलोमीटर
का फेरा होता है। इस दौरान घोड़े वाले आपको फिल्मों की शूटिंग में कैद हुए नजारों
के बारे में बताते हैं। घोड़े वाले एक व्यक्ति को घुमाने का 300 रुपये मांगते हैं।
आप दरों में मोलभाव कर सकते हैं।
यहां आप मूविंग बैलून राइड का
मजा ले सकते हैं। सफेद रंग के बैलून में दो लोग एक साथ चक्करघिन्नी करते हुए घूम
सकते हैं। हालांकि यह कई लोगों को मुश्किल भरा लगता है। एक आदमी के लिए शुल्क है
200 रुपये।
खजियार में आप पारा ग्लाइडिंग का भी मजा ले सकते हैं। बच्चों के लिए यहां हवा में
उछलने वाले भी कई तरह के गेम हैं। पचास रुपये में 20 मिनट उछलने का मजा ले सकते हैं। अनादि तो 20 से
बजाए 50 मिनट तक झूलते रहे। अगर कुछ नहीं करना है तो पार्क में पैदल यहां से वहां
घूमते रहें। झील के आसपास बैठने के लिए बेंच बनाई गई है। इसके ऊपर शेड्स भी हैं। इन
शेड में बैठकर आप झील की मछलियों को चहलकदमी करते हुए देख सकते हैं।
खजियार में खाना पीना –
अगर भूख लग गई है तो कुछ खाने का आनंद लें। झाल मूड़ी मिल जाएगी। अगर कुछ स्वस्थकर
खाना चाहते हैं तो पहाड़ी मूली का मजा लें। इसके साथ ही भुट्टा भी खा सकते हैं।
होटलों के अलावा पार्किंग की तरफ कुछ खाने पीने के स्टाल हैं यहां पर आप पराठे, चावल, चाय, अंडा, आमलेट आदि का स्वाद ले सकते हैं। यहां एक हिम बुनकर का भी स्टाल हैं जहां से कुल्लू के शाल और दूसरे गर्म कपड़े खरीद सकते हैं।
होटलों के अलावा पार्किंग की तरफ कुछ खाने पीने के स्टाल हैं यहां पर आप पराठे, चावल, चाय, अंडा, आमलेट आदि का स्वाद ले सकते हैं। यहां एक हिम बुनकर का भी स्टाल हैं जहां से कुल्लू के शाल और दूसरे गर्म कपड़े खरीद सकते हैं।
बेटे अनादि को खजियार इतना पसंद
आ गया कि बोले कि यहां के स्कूल में मेरा एडमिशन करा दो मैं यहीं रह जाऊंगा। पर
ग्राउंड में एक प्राइमरी स्कूल है जहां पांचवी तक के बच्चे पढ़ते हैं। खजियार में
हमारा तीसरा दिन था। हल्की हल्की बारिश ने ठंड बढ़ा दी है। होटल से चेकआउट कर हम
बस का इंतजार कर रहे हैं। बस स्टाप पर वर्षा आश्रय स्थली नहीं बनी है। हमलोग भींग
रहे हैं। हमे वही बस मिली जिससे हम कुछ दिन पहले यहां आए थे। अब हम चंबा जा रहे
हैं। ग्राउंड खत्म होने के बाद भी कुछ होटल और गेस्ट हाउस दिखाई देते हैं। यहां पर
शिव की एक विशाल मूर्ति लगाई गई है। हम शिव को प्रणाम कर आगे के सफर पर चल पड़ते
हैं।
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