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सुबह की सैर इस सड़क पर .... |
इस रास्ते में सेब के बाग दिखाई दे रहे हैं। पर इस बार सेब की फसल अच्छी नहीं हुई है। हमें सेब के बाग में एक घोड़े वाले मिलते हैं। ये वही घोड़े वाले हैं जो एक दिन पहले खजियार ग्राउंड में संगीतकार रोशन लाल के साथ मिले थे। उनके घोड़े का नाम लकी है। वे 20 एकड़ के सेब के बाग में छोटा सा आशियाना बनाकर यहीं पर रहते है।
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कुछ यूं सुबह होती है खजियार में। |
घोड़े वाले बताते हैं कि ये जो सेब का बाग है वह चंडीगढ़ के किसी अमीर का है जो अब इसे बेचना चाहता है। पर हिमाचल में जमीन किसी हिमाचल के ही बासिंदे को बेची जा सकती है। इसलिए इसे फिलहाल कोई मुफीद ग्राहक नहीं मिल रहा है। हो सकता है अगली बार आने पर यहां कोई स्कूल या रिजार्ट बना हुआ दिखाई दे।
दिन भर लोगों को घोड़े पर घुमाते हैं - घोड़े वाले बता रहे हैं कि लकी को लेकर दिन भर सैलानियों को घुमाते हैं। एक दिन में ढाई से तीन हजार कमाई हो जाती है। यह कमाई काफी अच्छी लग रही है न। पर जरा रुकिए, साल के छह महीने यहां सैलानी नहीं बिलकुल नहीं आते तब उनकी कमाई शून्य हो जाती है। मतलब पहाड़ों की जिंदगी बहुत मुश्किल होती है।
सेब के बाग से सुबह की सैर के बाद हमलोग होटल वापस लौट आए। हमारे नास्ते का समय हो गया है। एक बार फिर किस्म किस्म के पराठे हमारा इंतजार कर रहे हैं। दिन में हमारा ट्रैकिंग करने का कार्यक्रम है। लेकिन पहले पेट पूजा कर ली जाए। लौटते समय हमें खजियार ग्राउंड के एक कोने में एक और सुंदर सरकारी गेस्ट हाउस नजर आता है। यह गेस्ट हाउस हिमाचल पर्यटन विभाग का है।
इस बीच दिन चढ़ने के साथ सैलानियों की गाड़ियों की आमद बढ़ने लगी है। ग्राउंड में बाजार सजने लगे हैं। यहां से आप ऊनी वस्त्रों की खरीददारी कर सकते हैं। हमें ग्राउंड के किनारे हिमबुनकर की बस लगी हुई दिखाई दे रही है।
- विद्युत प्रकाश मौर्य - vidyutp@gmail.com
( KHAJIYAR, HIMACHAL, CHAMBA )
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आपकी ब्लॉग पोस्ट को आज की ब्लॉग बुलेटिन प्रस्तुति ब्लॉग बुलेटिन - मेहदी हसन में शामिल किया गया है। सादर ... अभिनन्दन।।
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