हर की पौड़ी पर हर रोज शाम होती
है, पर हर शाम का नजारा अदभुत होता है। हर शाम पहली शाम से कुछ अलग होती है। यहां
हर शाम को एक लघु हिन्दुस्तान मौजूद होता है। हरिद्वार एक ऐसी आस्था स्थली है जहां
हर रोज तकरीबन देश के हर कोने के लोग मौजूद होते हैं। दिन भर कहीं भी घूमे शाम को
इंतजार होता है गंगा जी की आरती का। सूरज ढलने के साथ ही धीरे धीरे हर की पौड़ी पर
भीड़ बढ़ने लगती है। जिन्हें जगह नहीं मिलती है वे आसपास के सड़क से। गंगा पर बने
पैदल पार पुल पर जगह ले लेते हैं। मंत्रोच्चार के साथ ही हजारों लोग मां गंगा की
अराधना में डूब जाते हैं।
साधु संत जब आरती में मगन होते
हैं तो उस समय गंगा नदी का बहत जल देखने लायक होता है। यह जल कई रंगों में दिखाई
देता है। क्या देसी क्या विदेशी सभी आस्था के रंग में सराबोर दिखाई देते हैं। यूं
तो दिन भर हरिद्वार में गंगा जी का घाट गंगा पर आधारित भजनों से गुलजार रहता है।
अनुराधा पौडवाल की आवाज में तो कैलाश अनुज की आवाज में।
गंगा तेरा पानी अमृत.....
तो मानो तो मैं गंगा मां हूं.....जैसी स्वर लहरियां हवा में तैर रही होती हैं। भजन
आस्था का वातावरण सृजित करते हैं। हर रोज हर की पौड़ी पर मां गंगा की की आरती में
10 हजार से भी ज्यादा लोगों की भीड़ होती है। गंगा दशहरा समेत खास त्योहारों के मौकों
पर हर की पौड़ी पर भीड़ और रौनक और भी बढ़ जाती है।
श्रद्धालु आरती से पहले पुष्प
गुच्छ लेकर मां गंगा में प्रवाहित करते हैं। वहीं कई लोग हर की पौड़ी पर गरीबों को
अन्न दान करते हैं। इसके लिए कई होटलों में बना बनाया पैकेज मौजूद रहता है। कई लोग
घाट पर कई तरह के संस्कार कराते हैं। हर की पौड़ी पर स्थायी तौर पर पंडों के स्थान
बने हुए हैं। जहां लोग स्नान के बाद कई तरह के संस्कार कराते हैं।
आरती खत्म होने के बाद कई पंडे
आरती लेकर भक्तों के बीच घूमते हैं और लोग आरती की आंच लेकर धन्य महसूस करते हैं।
वैसे गंगा जी की आरती और भी कई शहरों में होती है पर जैसा सुरम्य वातावरण हरिद्वार
में हर की पौड़ी पर बनता है वह कहीं और नहीं दिखाई देता। मुख्य आरती ब्रह्मकुंड के
पास होती है। यहां पर कुछ प्राचीन मंदिर भी हैं।
आरती देखन के लिए पहले पहुंचे - अगर आप आरती को करीब से देखना चाहते हैं तो आपको अपना स्थान पहले पहुंचकर आरक्षित कर लेना चाहिए। हरिद्वार के घाटों पर गंगा आरती की सीडी भी मिल जाती है, जिन्हे आप खरीद कर ले जा सकते हैं।
आरती देखन के लिए पहले पहुंचे - अगर आप आरती को करीब से देखना चाहते हैं तो आपको अपना स्थान पहले पहुंचकर आरक्षित कर लेना चाहिए। हरिद्वार के घाटों पर गंगा आरती की सीडी भी मिल जाती है, जिन्हे आप खरीद कर ले जा सकते हैं।
गंगा स्तुति - गंगा
वारि मनोहारि मुरारिचरणच्युतम् ।
त्रिपुरारिशिरश्चारि पापहारि पुनातु माम् ।।
गंगा के बारे में मैथिली के
महाकवि विद्यापति लिखते हैं - बड सुख सार पाओल तुअ तीरे छोड़इत निकट नयन बह
नीरे। सचमुच हरिद्वार में हर की पौड़ी से गंगा को छोड़कर दूर होने की इच्छा
नहीं होती। पर जाना मजबूरी है तो हरिद्वार से लोग गंगा जल भर कर अपने साथ लेकर
जरूर जाते हैं।
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