लैंसडाउन 5800 फीट तकरीबन 1800
मीटर की ऊंचाई पर स्थित एक हिल स्टेशन है। पर यह जाना जाता है गढ़वाल राइफल्स के
कारण। यह गढ़वाल रेजिमेंट का मुख्यालय है।
लैंसडाउन पहुंचे हैं तो गढ़वाल
संग्रहलाय जरूर देखें। यह भारतीय फौज की वीरगाथा की दास्तां सुनाता है। इस
संग्रहालय का नाम दरवान सिंह नेगी गढ़वाल म्यूजियम है। गढ़वाल रेजिमेंट के बहादुर
सैनिक के नाम पर संग्रहालय का नाम रखा गया है। यह गढ़वाल रेजिमेंट के फौजियों की युद्ध में वीरता
की दास्तां सुनाता वार मेमोरियल और अनूठा संग्रहालय है।

संग्रहालय के अंदर गढ़वाल
राइफल्स की स्थापना से लेकर इसके बहादुर फौजियों का इतिहास देखा जा सकता है।
फौजियों की वर्दियों का भी अच्छा संग्रह है। फौज में इस्तेमाल की गई बंदूकें, 1971
के युद्ध में पाकिस्तान के फौजियों से जब्त किए गए हथियार, पाकिस्तान के नोट,
मनीआर्डर फार्म और खत आदि भी देखे जा सकते हैं। इसके अलावा कुछ वाद्य यंत्र का भी
संग्रह है। यह संग्रहालय भारतीय सेना का इतिहास समझने के लिए बेहतरीन जगह में से
है।
गढ़वाल राइफल्स की स्थापना 5 मई
1887 में बंगाल आर्मी के एक एनफेंट्री के तौर पर हुई थी। साल 1987 में इस रेजिमेंट
ने अपना शताब्दी वर्ष मनाया। तकरीबन 25हजार फौजी इसके हिस्सा हैं। पहले विश्वयुद्ध
के बाद दूसरे विश्वयुद्ध और फिर 1962 के भारत चीन युद्ध और 1965 और 1971 के भारत
पाकिस्तान युद्ध फिर 1999 के कारगिल युद्ध में गढ़वाल राइफल्स ने बड़ी बहादुरी
दिखाई थी। दूसरे विश्वयुद्ध में गढ़वाल राइफल्स ने बर्मा ( अब म्यांनमार) और मलाया
में अपनी बहादुरी दिखाई थी। शांति काल में भी उत्तर काशी में 1991 में आए भूकंप और
फिर 2013 में उत्तराखंड में बादल फटने के बाद चार धाम यात्रा में हुए हादसे में
गढ़वाल राइफल्स ने लोगों की जान बचाने में बड़ी भूमिका निभाई। गढ़वाल राइफल्स का
नारा है – बदरी विशाल लाल की जय।

प्रवेश टिकट-
संग्रहालय का प्रवेश टिकट 60 रुपये का है। संग्रहालय के अंदर फोटोग्राफी करने की
मनाही है। संग्रहालय हर बुधवार को बंद रहता है। बाकी दिन सुबह 8 बजे से एक बजे और
फिर 3 बजे से 5 बजे तक खुला रहता है। सर्दियों में 9.00 से 12.00 और शाम को 3.30
से 5.30 तक खुला रहता है। संग्राहलय लैंसडाउन कैंटोनमेंट एरिया में शौर्य स्थल
सैनिकों के परेड ग्राउंड के पास बना हुआ है। आसपास के इलाके की सफाई व्यवस्था शानदार
है।
पालीथीन मुक्त शहर -
लैंसडाउन कैंटोनमेंट बोर्ड ने शहर को पालीथीन मुक्त घोषित कर रखा है। गढ़वाल
राइफल्स को वृक्षारोपण और पर्यावरण बचाने के लिए लगातार किए जा रहे प्रयासों के
लिए कई बार सम्मान मिल चुका है। लैंसडाउन की सड़कों पर हरियाली और फूलों की क्यारियां देखकर दिल खुश हो जाता है।
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लैंसडाउन - गढ़वाल वार म्युजियम के लॉन में खिले गुलाब। ( LANSDOWNE, WAR MUSEUM, GARHWAL REGIMENT) -vidyutp@gmail.com |
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