वैसे तो दिल्ली के राजघाट पर जहां बापू की समाधि है कई बार जाना हुआ है पर गुजरात की यात्रा शुरू करने से पहले एक बार फिर राजघाट की ओर चला गया। बापू का आशीर्वाद लेने। नाम राजघाट है पर यहां सो रहा
है सदी का सबसे बड़ा फकीर। एक ऐसा फकीर जिसे नमन करने दुनिया भर के लोग आते हैं।
शायद पूरी दुनिया में बापू ऐसे पहले आजादी की लड़ाई के अगुवा रहे होंगे जिन्होंने
आजादी मिल जाने के बाद कोई सत्ता नहीं ग्रहण की। सरकार में कोई पद नहीं लिया।
महलों में रहने नहीं गए।
आजादी तो मिल गई पर बापू तो पीड़ित मानवता की सेवा में लगे रहे। उनके स्मृतियों को संजो कर उनकी समाधि बनाई गई तो उसका नाम राजघाट रखा गया। भला राज घाट क्यों। वे तो साबरमती के संत थे। जन्म गुजरात के पोरबंदर शहर में हुआ था। पर उन्होंने अंतिम सांस दिल्ली में ली। वास्तव में बापू गुजरात से निकल कर विश्व नागरिक हो गए थे।
उन्होंने तो अपने लिए राज पाने की कामना ही नहीं की थी। पर वे तो ऐसे असंख्य राजाओंसे काफी बड़े हैं जिन्होंने सालों राज किया हो। तभी तो भारत भूमि पर आने वाला हर शख्स चाहे वह किसी भी देश का शासनाध्यक्ष क्यों न हो, दिल्ली आने पर राजघाट पहुंचता है...नंगे पांव.... और उनकी समाधि पर पुष्पांजलि अर्पित करता है।
आजादी तो मिल गई पर बापू तो पीड़ित मानवता की सेवा में लगे रहे। उनके स्मृतियों को संजो कर उनकी समाधि बनाई गई तो उसका नाम राजघाट रखा गया। भला राज घाट क्यों। वे तो साबरमती के संत थे। जन्म गुजरात के पोरबंदर शहर में हुआ था। पर उन्होंने अंतिम सांस दिल्ली में ली। वास्तव में बापू गुजरात से निकल कर विश्व नागरिक हो गए थे।
उन्होंने तो अपने लिए राज पाने की कामना ही नहीं की थी। पर वे तो ऐसे असंख्य राजाओंसे काफी बड़े हैं जिन्होंने सालों राज किया हो। तभी तो भारत भूमि पर आने वाला हर शख्स चाहे वह किसी भी देश का शासनाध्यक्ष क्यों न हो, दिल्ली आने पर राजघाट पहुंचता है...नंगे पांव.... और उनकी समाधि पर पुष्पांजलि अर्पित करता है।
चरखा चलता बापू का - राजघाट ( जनवरी 2008) |
इस दौरान ही हमलोग पहली बार बापू की समाधि राजघाट पर पहुंचे। इसके बाद वीरभूमि (राजीव गांधी की समाधि) शांतिवन ( पंडित नेहरू की समाधि) और विजय घाट ( लाल बहादुर शास्त्री की समाधि) के दर्शन। यह रिंग रोड ( महात्मा गांधी मार्ग) से लगता हुआ दिल्ली का बड़ा हरित क्षेत्र भी है। दूसरी बार 1992 में दुबारा एक शिविर में गांधी दर्शन में रूकना हुआ।
राजघाट में बापू की स्मृति में
अखंड ज्योति जलती रहती है। इसके बगल में बापू का प्रिय चरखा भी चलता है। यहां चरखा
चलाने का प्रशिक्षण भी दिया जाता है। हालांकि अब बहुत कम लोग चरखा चलाना जानते
हैं।
राजघाट का विस्तार 44.35 एकड़
के हरित क्षेत्र में है। निधन के एक दिन बाद 31 जनवरी 1948 को बापू का अंतिम
संस्कार यहीं पर किया गया था। तब यहां लाखों लोगों की भीड़ उमड़ी थी। बापू को
अंतिम विदाई देने के लिए।
खुलने का समय - आम दर्शकों के लिए राजघाट हर रोज सुबह 6.30 बजे से शाम
6.00 बजे तक खुला रहता है। यहां जूता स्टैंड और पेयजल आदि का इंतजाम है। 2 अक्तूबर, 15 अगस्त और 26
जनवरी के आसपास यहां पर वीवीआईपी आयोजन के कारण आमजन का प्रवेश प्रतिबंधित किया
जाता है।
राष्ट्रीय गांधी संग्रहालय और पुस्तकालय – राजघाट के ठीक सामने स्थित है राष्ट्रीय गांधी संग्रहालय। यहां पर आप बापू और कस्तूरबा गांधी के जीवन से जुड़ी प्रदर्शनी देख सकते हैं। बापू की आवाज टेलीफोन पर सुन सकते हैं। दो मंजिला भवन में प्रदर्शनी काफी जानकारी परक है। इसमें चित्र प्रदर्शनी के अलावा बापू के आखिरी कपड़े यानी खून से सनी धोती और शॉल को देखा जा सकता है। बापू को लगी गोलियों में से एक गोली भी देखी जा सकती है।
राष्ट्रीय गांधी संग्रहालय और पुस्तकालय – राजघाट के ठीक सामने स्थित है राष्ट्रीय गांधी संग्रहालय। यहां पर आप बापू और कस्तूरबा गांधी के जीवन से जुड़ी प्रदर्शनी देख सकते हैं। बापू की आवाज टेलीफोन पर सुन सकते हैं। दो मंजिला भवन में प्रदर्शनी काफी जानकारी परक है। इसमें चित्र प्रदर्शनी के अलावा बापू के आखिरी कपड़े यानी खून से सनी धोती और शॉल को देखा जा सकता है। बापू को लगी गोलियों में से एक गोली भी देखी जा सकती है।
40 किस्म के चरखे देखें यहां - सबसे नायाब है यहां का चरखा
संग्रहालय। इसमें देश के अलग हिस्सों में बने चरखों का विशाल संग्रह है। यहां पर
हर रोज बापू के जीवन से जुड़ी फिल्म का प्रदर्शन भी होता है। संग्रहालय के भवन में
एक बेहतरीन पुस्तकालय भी है। यहां पर सुबह 10 से शाम 5 बजे तक बैठकर पुस्तकें पढ़
सकते हैं। साथ ही एक पुस्तक बिक्री केंद्र भी है। यहां बापू के जीवन और गांधी
दर्शन से जुड़ी पुस्तकें और दूसरी यादगारी वस्तुएं खरीदी जा सकती हैं। गांधी संग्रहालय भवन का उदघाटन 30 जनवरी 1961 को भारत के
पहले राष्ट्रपति डाक्टर राजेंद्र प्रसाद ने किया था। यह
संग्रहालय सुबह 9.30 से शाम 5.00 बजे तक खुला रहता है।
-vidyutp@gmail.com
( RAJGHAT, BAPU, MAHATMA GANDHI, DELHI )
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