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ताज होटल के सामने लंबू जी और टींगू जी |
वह हमारी पहली नौकरी के दिन थे। साल था 1998
का। मैं अपने अखबार कुबेर टाइम्स में टीवी और फिल्मों की बीट पर रिपोर्टिंग किया करता था। इस दौरान दिल्ली
में अक्सर प्रेस कान्फ्रेंस में टीवी और फिल्म स्टारों से मुलाकात होती थी। इन मुलाकातों में कई फिल्मी हस्तियों का साक्षात्कार करने का मौका मिलता था। इसी क्रम में एक बार ख्याल आया कि
क्यों न एक बार मुंबई का दौरा किया जाए। वहां एक हफ्ते प्रवास कर फिल्मों और टीवी
धारावाहिकों की शूटिंग देखी जाए। मुंबई में काफी लोगों से जान पहचान हो गई थी तो वे लोग हमें बुलाते भी थे।
मायानगरी मुंबई जाना भला किसे अच्छा नहीं लगता। एक दिन अपने मित्र दीपक दुआ से बात की। तब वे
चित्रलेखा नामक फिल्म पत्रिका के लिए काम करते थे। हम दोनों ने साथ-साथ मुंबई जाने की
योजना बनाई। फिर क्या था, आरक्षण कराया और एक दिन ट्रेन में सवार हो गए। हमारी ट्रेन
थी (2926 ) पश्चिम एक्सप्रेस। यह मुंबई जाने के लिए अच्छी ट्रेनों में से एक है। दिल्ली से शाम को 4.30 बजे खुलती है।
मुंबई जाने और आने के लिए ट्रेन का चयन दीपक दुआ ने ही किया था। हमारी यह यात्रा कई मायने में यादगार रही। मैं बता दूं कि दीपक दुआ छह फीट से ज्यादा लंबे हैं। इसलिए वे ट्रेन में साइड लोअर बर्थ लेना पसंद करते हैं जिससे सोते समय दूसरे लोगों को उनसे ज्यादा परेशानी न हो। दिल्ली से हमारी ट्रेन सही समय पर चल पड़ी। हमारी ट्रेन मथुरा, कोटा, नागदा, रतलाम होती हुई आगे बढ़ रही थी। यूपी और मध्य प्रदेश के शहरों को पार करती हुई ट्रेन रात को गुजरात में प्रवेश कर गई।
अगले दिन सुबह हुई तो हमलोग गुजरात के शहर बड़ौदा में थे। यहां ट्रेन का 10 मिनट का ठहराव है। रेलवे स्टेशन पर गुजरात की खूशबू थी। हमने प्लेटफार्म से नास्ते में ढोकला लिया। हमारी ट्रेन दक्षिण गुजरात के कई प्रमुख शहरों से होकर गुजरेगी। इसके बाद सूरत, नवसारी, वापी जैसे गुजरात के स्टेशनों से हमारी ट्रेन गुजरी। सूरत तो आबादी के लिहाज से गुजरात का सबसे बड़ा शहर है।
दहाणु रोड के बाद हमारी ट्रेन मुंबई महानगर की सीमा में प्रवेश कर गई। विरार के बाद मुंबई लोकल रेलवे स्टेशन आरंभ हो जाते हैं। वही विरार जहां के रहने वाले फिल्म स्टार गोविंदा हैं। मुंबई में पहले से तय था कि दीपक मौसा जी के पास हमलोग जाने वाले हैं। उन्हें पहले ही पत्र लिख दिया गया था, उन्होंने कहा था कि बोरिवली स्टेशन पर मैं आप लोगों का इंतजार करूंगा। हमारी ट्रेन दोपहर में बोरवली रेलवे स्टेशन पहुंची।
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मुंबई के मरीन ड्राईव पर पहली बार। |
मुंबई जाने और आने के लिए ट्रेन का चयन दीपक दुआ ने ही किया था। हमारी यह यात्रा कई मायने में यादगार रही। मैं बता दूं कि दीपक दुआ छह फीट से ज्यादा लंबे हैं। इसलिए वे ट्रेन में साइड लोअर बर्थ लेना पसंद करते हैं जिससे सोते समय दूसरे लोगों को उनसे ज्यादा परेशानी न हो। दिल्ली से हमारी ट्रेन सही समय पर चल पड़ी। हमारी ट्रेन मथुरा, कोटा, नागदा, रतलाम होती हुई आगे बढ़ रही थी। यूपी और मध्य प्रदेश के शहरों को पार करती हुई ट्रेन रात को गुजरात में प्रवेश कर गई।
अगले दिन सुबह हुई तो हमलोग गुजरात के शहर बड़ौदा में थे। यहां ट्रेन का 10 मिनट का ठहराव है। रेलवे स्टेशन पर गुजरात की खूशबू थी। हमने प्लेटफार्म से नास्ते में ढोकला लिया। हमारी ट्रेन दक्षिण गुजरात के कई प्रमुख शहरों से होकर गुजरेगी। इसके बाद सूरत, नवसारी, वापी जैसे गुजरात के स्टेशनों से हमारी ट्रेन गुजरी। सूरत तो आबादी के लिहाज से गुजरात का सबसे बड़ा शहर है।
दहाणु रोड के बाद हमारी ट्रेन मुंबई महानगर की सीमा में प्रवेश कर गई। विरार के बाद मुंबई लोकल रेलवे स्टेशन आरंभ हो जाते हैं। वही विरार जहां के रहने वाले फिल्म स्टार गोविंदा हैं। मुंबई में पहले से तय था कि दीपक मौसा जी के पास हमलोग जाने वाले हैं। उन्हें पहले ही पत्र लिख दिया गया था, उन्होंने कहा था कि बोरिवली स्टेशन पर मैं आप लोगों का इंतजार करूंगा। हमारी ट्रेन दोपहर में बोरवली रेलवे स्टेशन पहुंची।
प्लेटफार्म की भीड़ में दीपक भाई को मौसा जी नजर आ गए। वे हमे माहिम में
अपने आवास पर ले गए। वे मुंबई में ही नौकरी करते थे और अकेले ही रहते थे। उन्होंने हमारा पूरा ख्याल रखा। पर एक दिन बाद हमने अपना आवास बदल लिया। मौसा जी का आवास रेलवे स्टेशन और मुख्य सड़क से थोड़ा दूर था।
दरअसल हमें मुंबई में एक और मित्र निर्देश त्यागी जो धारावाहिक चंद्रकांता संतति और बेताल पचीसी आदि में सहायक निर्देशक थे, ने भी अपने यहां रुकने का आमंत्रण दिया था। तो उनका आमंत्रण स्वीकार करते हुए अगले दिन हमलोग मलाड पूर्व में उनके आवास में शिफ्ट कर गए।
दरअसल हमें मुंबई में एक और मित्र निर्देश त्यागी जो धारावाहिक चंद्रकांता संतति और बेताल पचीसी आदि में सहायक निर्देशक थे, ने भी अपने यहां रुकने का आमंत्रण दिया था। तो उनका आमंत्रण स्वीकार करते हुए अगले दिन हमलोग मलाड पूर्व में उनके आवास में शिफ्ट कर गए।
यहां से मुंबई के तमाम जगहों की यात्रा करना आसान था। इसके बाद अगले सात दिन हमलोगों ने मुंबई के लोकल ट्रेन के सफर और आटो रिक्शा का खूब मजा लिया। मजा इसलिए कि हमलोग सुबह 10 बजे घर से निकलते थे जब लोकल में भीड़ कम हो जाती थी। रात को 10 बजे के बाद लौटते तब भी लोकल परेशान नहीं करती थी।
मुंबई प्रवास के दौारन हमने रेलवे स्टेशनों पर बड़ा पाव और तरबूज
के जूस का आनंद भी खूब लिया। गरमी के दिन थे। अपने मुंबई प्रवास के दौरान एक दिन
मुंबई दर्शन बस से पूरे मुंबई को देखा बाकी दिन शूटिंग और टीवी चैनलों के दफ्तरों
में लोगों से मिलना जुलना।एक दिन हमलोग अभिनेता और पटकथा
लेखक सौरभ शुक्ला के घर गए। उनके ड्राईंग रूम में बैठकर उनका लंबा साक्षात्कार
लिया। तब उनकी सत्या फिल्म सुपर हिट हो चुकी थी।
इसी तरह एक दिन स्टार प्लस के धारावाहिक
ये है राज के सेट पर पहुंचे वहां दीप्ति भटनागर का साक्षात्कार किया। वर्सोवा में
समुद्र तट के किनारे एक बंगले में धारावाहिक की शूटिंग देखी। एक दिन हमलोग गोरेगांव में दूरदर्शन पर चल रहे धारावाहिक ओम
नमः शिवाय के सेट पर भी पहुंचे। वहां चंड मुंड नामक पौराणिक चरित्र से मिलना हुआ।
उनके साथ तस्वीरें भी ली।
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अभिनेता और पटकथा लेखक सौरभ शुक्ला के ड्राईंग रूम में। |
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अभिनेत्री दीप्ति भटनागर के साथ टीवी सीरियल - ये है राज के सेट पर। |
जब हमने सोनी चैनल के धारावाहिक
में अभिनय किया
पर सबसे मजेदार रहा सोनी के
धारावाहिक महायज्ञ के सेट पर पहुंचना। वहां पर प्रीति खरे जो पत्रकार विष्णु खरे
बेटी हैं उनके लंबी बातचीत की। पर महायज्ञ धारावाहिक में हमें छोटा सा रोल करने को
कहा गया जो हमारे लिए कौतूहल भरा था। कुछ जूनियर आर्टिस्ट कम पड़ गए थे। हमारा शाट
गोविंद नामदेव के साथ था। वे स्थानीय नेता के रोल में थे। उनके ड्राईंग रुम में
पहले बैठे कुछ मुलाकातियों में हम थे। उनके प्रवेश पर हम खड़े होकर उन्हें नमस्कार
करते हैं और बैठ जाते हैं।
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धारावाहिक ओम नमः शिवाय के सेट पर पात्र चंड और मुंड के साथ। |
हमलोग अपनी इस यात्रा के दौरान जीटीवी के दफ्तर, सोनी
चैनल के दफ्तर, वीनस म्युजिक के दफ्तर गए। मुंबई की प्रोफेशनल लाइफ को समझने की कोशिश की। तेजी
से दौड़ती भागती जिंदगी को महसूस किया। मुंबई में आप बिना पहले से एप्वाइंटमेंट
लिए किसी से मिलने न जाएं तो अच्छा रहता है। हिंदूजा समूह वाइस प्रेसिडेंट कारपोरेट कम्युनिकेशंस पद पर कार्यरत हिमा मेहता से एक दिन हमलोग मिलने गए। उनसे दिल्ली में कई बार मुलाकात हुई थी।
अंधेरी मोरल नाका रोड पर एमआईडीसी में हिंदुजा
का दफ्तर है। हिमा जी ने हमें दोपहर का लंच कराया। हमारे एक और साथी आशीष कौल से इस यात्रा के दौरान मुलाकात नहीं हो सकी। वे छुट्टी पर चल रहे थे।
और एक रात रेन डांस पार्टी में - अगले दिन हम हिमा मेहता जी के आमंत्रण पर हमलोग जे डब्लू मेरिएट पांच सितारा होटल में रात्रि में एक रेन डांस पार्टी में शामिल हुए। देर रात तक ये पार्टी चलती रही। तेज रोशनी के बीच कराई जा रही नकली बारिश में लोग खूब नाचते रहे। हालांकि हम इस बारिश में नहीं कूदे।
वहां खाने-पीने का भी खूब इंजताम था। पर मैं और दीपक दोनों ही शराब नहीं पीते इसलिए कोल्ड ड्रिंक से ही मन बहलाते रहे। इस मुंबई प्रवास के दौरान तमाम फिल्मों की शूटिंग देखने और दफ्तरों के चक्कर लगाने के बीच एक दिन हमने अलग से मुंबई की सैर करने के लिए समय निकाला। हमलोगों ने टूरिस्ट बस से पैकेज टूर से मुंबई की सैर की। यह मुंबई घूमने का सस्ता तरीका है। सात दिनों बाद हमारी दिल्ली के लिए वापसी गोल्डेन टेंपल मेल ट्रेन से हुई। यह ट्रेन (12904) मुंबई सेंट्रल से बनकर चलती है। पर हमने एक बार फिर इसे बोरिवली से ही पकड़ा। रात को दस बजे चलने वाली ये ट्रेन सूरत, वडोदरा, गोधरा, दाहोद, रतलाम होती हुई आई। अगले दिन शाम तक हमलोग दिल्ली पहुंच चुके थे।
- विद्युत प्रकाश मौर्य -vidyutp@gmail.com
और एक रात रेन डांस पार्टी में - अगले दिन हम हिमा मेहता जी के आमंत्रण पर हमलोग जे डब्लू मेरिएट पांच सितारा होटल में रात्रि में एक रेन डांस पार्टी में शामिल हुए। देर रात तक ये पार्टी चलती रही। तेज रोशनी के बीच कराई जा रही नकली बारिश में लोग खूब नाचते रहे। हालांकि हम इस बारिश में नहीं कूदे।
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जे डब्लू मेरिएट होटल में रात में रेन डांस पार्टी में। |
वहां खाने-पीने का भी खूब इंजताम था। पर मैं और दीपक दोनों ही शराब नहीं पीते इसलिए कोल्ड ड्रिंक से ही मन बहलाते रहे। इस मुंबई प्रवास के दौरान तमाम फिल्मों की शूटिंग देखने और दफ्तरों के चक्कर लगाने के बीच एक दिन हमने अलग से मुंबई की सैर करने के लिए समय निकाला। हमलोगों ने टूरिस्ट बस से पैकेज टूर से मुंबई की सैर की। यह मुंबई घूमने का सस्ता तरीका है। सात दिनों बाद हमारी दिल्ली के लिए वापसी गोल्डेन टेंपल मेल ट्रेन से हुई। यह ट्रेन (12904) मुंबई सेंट्रल से बनकर चलती है। पर हमने एक बार फिर इसे बोरिवली से ही पकड़ा। रात को दस बजे चलने वाली ये ट्रेन सूरत, वडोदरा, गोधरा, दाहोद, रतलाम होती हुई आई। अगले दिन शाम तक हमलोग दिल्ली पहुंच चुके थे।
- विद्युत प्रकाश मौर्य -vidyutp@gmail.com
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