संग्रहालय में विश्व स्तर के 60 हजार वस्तुओं का संग्रह है। संग्रहालय के बाहर गौतम बुद्ध की सुंदर प्रतिमा दिखाई दे जाती है। आधार तल पर सातवीं सदी की उमा महेश्वर की अदभुत प्रतिमा देख सकते हैं।
इस संग्रहालय की शुरुआत 10
जनवरी 1922 को हुई थी। इसकी स्थापना में
मुंबई के संभ्रांत नागरिकों और ब्रिटिश सरकार का योगदान था। इस संग्रहालय के
बनाने का विचार 1905 में प्रिंस आफ वेल्स जो बाद में जार्ज पंचम बने, के मुंबई
आगमन के मौके पर आया। इसलिए इसका नाम प्रिंस आफ वेल्स के सम्मान में रखा गया।
साल 1907 में बांबे प्रेसिडेंसी ने इस स्थल पर संग्रहालय बनाने की अनुमति दी थी। 1909 में जार्ज विटेट को इस संग्रहालय भवन का डिजाइन बनाने के लिए अधिकृत किया गया। वे मुंबई के गेट वे आफ इंडिया और जीपीओ बिल्डिंग के भी डिजाइनर थे। 1915 में इसका भवन बनकर तैयार हुआ। पर इसी दौरान पहला विश्व युद्ध शुरू हो गया। तब इस भवन का इस्तेमाल अगले पांच सालों तक मिलिट्री हास्पीटल के तौर पर किया गया। युद्ध समाप्त होने के बाद यहां 1920 में संग्रहालय का उदघाटन हो सका। बांबे के गवर्नर जार्ज लिलोड की पत्नी लेडी लिलोड ने इसका उदघाटन किया।
साल 1907 में बांबे प्रेसिडेंसी ने इस स्थल पर संग्रहालय बनाने की अनुमति दी थी। 1909 में जार्ज विटेट को इस संग्रहालय भवन का डिजाइन बनाने के लिए अधिकृत किया गया। वे मुंबई के गेट वे आफ इंडिया और जीपीओ बिल्डिंग के भी डिजाइनर थे। 1915 में इसका भवन बनकर तैयार हुआ। पर इसी दौरान पहला विश्व युद्ध शुरू हो गया। तब इस भवन का इस्तेमाल अगले पांच सालों तक मिलिट्री हास्पीटल के तौर पर किया गया। युद्ध समाप्त होने के बाद यहां 1920 में संग्रहालय का उदघाटन हो सका। बांबे के गवर्नर जार्ज लिलोड की पत्नी लेडी लिलोड ने इसका उदघाटन किया।
संग्रहालय का संग्रह मूल रूप से
तीन हिस्सों में विभाजित है। कला, पुरातत्व और प्राकृतिक इतिहास। यहां नदी घाटी
सभ्यता के बारे में विशेष जानकारी देने वाली गैलरी है।
ऐतिहासिक काल खंड की बात करें तो गुप्त काल,मौर्य काल, चालुक्य और राष्ट्रकूट राजाओं से जुड़े संग्रह यहां देखे जा सकते हैं। यहां पेंटिंग का भी विशाल संग्रह है। इसमें मुगल, दक्कन, राजस्थानी और पहाड़ी चित्रों का संग्रह देखा जा सकता है। साल 2008 में संग्रहालय में तीन नई गैलरियां भी शुरू की गई हैं। आप कला प्रेमी हैं तो इसके देखने के लिए 4 से 6 घंटे का समय निकालिए तो बेहतर रहेगा।
ऐतिहासिक काल खंड की बात करें तो गुप्त काल,मौर्य काल, चालुक्य और राष्ट्रकूट राजाओं से जुड़े संग्रह यहां देखे जा सकते हैं। यहां पेंटिंग का भी विशाल संग्रह है। इसमें मुगल, दक्कन, राजस्थानी और पहाड़ी चित्रों का संग्रह देखा जा सकता है। साल 2008 में संग्रहालय में तीन नई गैलरियां भी शुरू की गई हैं। आप कला प्रेमी हैं तो इसके देखने के लिए 4 से 6 घंटे का समय निकालिए तो बेहतर रहेगा।
खुलने का समय –
हर रोज सुबह 10.15 से शाम 6 बजे तक खुला रहता है। पर आखिरी टिकट शाम 5.45 बजे तक
लिया जा सकता है। संग्रहालय 26 जनवरी, 15 अगस्त, 1 मई और 2 अक्तूबर को बंद रहता
है।
कैसे पहुंचे -
संग्रहालय मुंबई के फोर्ट इलाके में है। सीएसटी स्टेशन से यहां आसानी से पहुंचा जा
सकता है। वैसे यह मुंबई में महात्मा गांधी रोड पर काला घोड़ा इलाके में स्थित है।
आफिसियल वेबसाइट - http://csmvs.in/
( Prince of Wales Museum,
Mumbai, Buddha )
-vidyutp@gmail.com
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