
मुंबई
में लोकल ट्रेन तीन प्रमुख लाइनें हैं। पहली लाइन विरार से चर्चगेट तक जाती है इसे
वेस्टर्न लाइन कहते हैं। इसमें मीरा रोड, भायंदर, बोरिवली,कांदिवली, मलाड, अंधेरी,
गोरेगांव, सांताक्रूज, बांद्रा, माहिम, दादर जैसे इलाके आते हैं। दूसरी लाइन है जो
छत्रपति शिवाजी टर्मिनस से थाणे, कल्याण होती हुई पुणे मार्ग में करजत तक जाती है।
इसे सेंट्रल लाइन कहते हैं। मुंबई में किसी भी उपनगर में ईस्ट और वेस्ट का मतलब भी
रेलवे लाइन से जुड़ा है। रेलवे स्टेशन से पश्चिम का इलाका वेस्ट और पूरब का इलाका
ईस्ट।
मुंबई
की तीसरी लोकल ट्रेन की लाइन है जो छत्रपति शिवाजी टर्मिनस (सीएसटी या वीटी) से
पनवेल तक जाती है। इसे हारबर लाइन कहते हैं क्योंकि ये समंदर के समानंतर चलती है।
हारबर लाइन सभी लोकल में सबसे नई है। 1990 से पहले यह लाइन मान खुर्द तक ही जाती
थी। बाद में इसका विस्तार नवी मुंबई होते हुए पनववेल तक हुआ। 1998 से ये लोकल लाइन
पनवेल तक जाती है। हालांकि इस लाइन में लोकल के लिए अप और डाउन के दो ही ट्रैक
हैं। इसलिए इस मार्ग पर फास्ट ट्रेनें नहीं चलती हैं।
वहीं वेस्टर्न और सेंट्रल
लाइन पर लोकल के लिए कुल चार ट्रैक हैं। इसलिए इस मार्ग पर स्लो और फास्ट ट्रेनें
चलाई जाती हैं। दो ट्रैक पर स्लो के अप और डाउन लाइन के लिए हैं तो दो ट्रैक पर
फास्ट ट्रेनें चलती हैं। फास्ट लोकल ट्रेनों में किराया तो उतना ही लगता है पर ये
सभी स्टेशनों पर नहीं रूकती हैं। लंबी दूरी के सफर करने वालों के लिए फास्ट ट्रेन
मुफीद है।

मुंबई
के लोकल ट्रेन में अभी भी 5 रुपये का न्यूनतम टिकट मिलता है। साल 2015 में रेलमंत्री
सुरेश प्रभु ने देश भर में 5 रुपये का टिकट खत्म कर दिया। पर मुंबईकरों के भारी
विरोध को भांपते हुए यहां 5 रुपये का टिकट जारी है। यह बाकी देश के लोगों के लिए भारी
अन्याय है। एक ही देश के एक ही रेलवे में दो तरह की टिकट प्रणाली।
हारबर
लाइन का सफर
तो बात
हारबर लाइन की। सीएसटी के बाद मसजिद, सैंडहर्स्ट रोड, डॉकयार्ड रोड, रे रोड, कॉटन
ग्रीन, सेवरी, वडाला रोड, गुरु तेगबहादुर नगर, चूनाभाटी, कुर्ला जंक्शन, तिलक नगर,
चेंबूर, गोवंडी और उसके बाद मानखुर्द। मानखुर्द आज भी गांव जैसा लगता है। इसके बाद
मुंबई खत्म। इस मार्ग पर चेंबूर में राजकपूर का प्रसिद्ध आरके स्टूडियो है। सीएसटी
से मानखुर्द 21 किलोमीटर है। मानखुर्द के बाद थाणे क्रीक (नाला) आता है। इस पर पुल
बनाने के बाद लाइन को वासी तक ले जाया गया। मानखुर्द से वासी 8 किलोमीटर है। इन
दोनों स्टेशनों के बीच लंबा पुल बना है। वासी से नवी मुंबई शुरू हो जाता है। इस
मार्ग पर वासी, सनपाडा, जुईनगर, नेरूल, सी वुड दारावे, बेलापुर सीबीडी और खारघर,
मानसरोवर, खांडेश्वर जैसे स्टेशनों के बाद आता है पनवेल।
इस लाइन पर खारघर के बाद
तलोजा नदी आती है। पनवेल इस मार्ग का आखिरी स्टेशन है। बेलापुर में मुंबई का
विस्तार करके तमाम सरकारी दफ्तर बनाए गए हैं। इसे सीबीडी ( सेंट्रल बिजनेस
डिस्ट्रक्ट ) बेलापुर कहते हैं। नवीं मुंबई का इलाका मुंबई से थोड़ा खुला खुला है।
यहां भीड़ कम और सड़के चौड़ी हैं। पर इस क्षेत्र में खारघर ऐसा इलाका है ऊंची
पठारी भूमि पर विकसित किया गया है। इसमें 40 से ज्यादा आवासीय और कामर्सियल सेक्टर
हैं। पर नवी मुंबई के कई इलाके ऐसे हैं जो रेक्लेमेशन हैं। यानी समंदर पर कब्जा
करके विकसित किए गए हैं। ज्यादातर इलाकों का विस्तार 1990 से 2000 के बीच हुआ है।
हारबर लाइन के नवी मुंबई इलाके के स्टेशन भव्य बने हैं। पर पीछे के स्टेशन छोटे
छोटे हैं। इस मार्ग पर 9 डिब्बों वाली लोकल ट्रेन चलती हैं। जबकि दूसरे मार्ग पर
12 डिब्बों की लोकल ट्रेन चलती हैं। अब इसके कई स्टेशनों के प्लेटफार्मों का
विस्तार किया जा रहा है जिससे 12 डिब्बों वाली ट्रेनें चलाई जा सकें। मैं
19-20-21-22 फरवरी 2016 को मुंबई में था, तो उस दौरान 18 से 20 फरवरी के बीच मेगा
ब्लाकेज किया गया था जिसमें सीएसटी से वडाला रोड तक लोकल को बंद किया गया था। इधर
कई रविवार को मेगा ब्लाकेज करके हारबर लाइन को अपग्रेड किया जा रहा है।
टाइमलाइन - सीएसटी
से मानखुर्द तक सेवा – 1951 से शुरू है। पर वासी तक 1992 में नेरूल तक फरवरी 1993
में बेलापुर तक जून 1993 में और पनवेल तक जून 1998 में सेवा आरंभ हुई।
कई लोग
रोज घर नहीं पहुंचते
रात को
1.40 बजे से सुबह 4.00 बजे तक सिर्फ लोकल ट्रेन अपनी सेवा बंद करती है। शेष 22
घंटे लोगों की सेवा में अनवरत दौड़ती लोकल ट्रेन आम तौर पर 40 किलोमीटर प्रतिघंटे की
गति से लोगों को मंजिल तक पहुंचाती है। पर सुबह और शाम के व्यस्त घंटों में आप
लोकल की भीड़ देखें तो आपको अचरज होगा कि लोग कैसे इन लोकल ट्रेनों में चढ़ और उतर
जाते हैं। हजारों लोग ट्रेन के कोच प्रवेश द्वार पर लटक कर सफर करते हैं। अगर इतनी
भीड़ में आपको उतरना हो तो दो तीन स्टेशन पहले से तैयारी करनी पड़ती है। इतनी भीड़
में खतरा मोल लेकर सफर करने वाले लोगों में से हर रोज सुबह काम पर निकलने वाले
लोगों में से कुछ लोग शाम को अपने घर नहीं लौटते। एक शोध के मुताबिक औसतन हर रोज
मुंबई लोकल में हादसों से 10 लोगों की मौत हो जाती है। ( मई 06, 2008, आईबीएन
लाइव)
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