सुबह से लेकर
शाम तक सूरज की चटकीली धूप में शिलांग पीक से शहर को अलग अलग कोण से निहारिए। हर
कोण से एक नया शहर दिखाई देता है। यही कारण है शिलांग आने वाले लोग यहां जरूर
पहुंचते हैं और उस हरे भरे हिल स्टेशन को निहारते हैं। शिलांग पीक की ऊंचाई 1965
मीटर यानी 6446 फीट है ।
यह न सिर्फ शिलांग का बल्कि पूरे मेघालय का सबसे ऊंचा
प्वाईंट है। यहां से बांग्लादेश की सीमा भी दिखाई दे जाती है। वास्तव में मेघालय
देश के सबसे पूराने पर्वत श्रंखला का हिस्सा जो कोयला और लोहा से भरपूर है। शिलांग
पीक का वास्तविक नाम लेटकोर है। यह मूल शिलांग शहर यानी पुलिस बाजार से 15 किलोमीटर के आसपास दूरी पर स्थित है।
वास्तव में शिलांग पीक लेटकोर
में स्थित वायु सेना के स्टेशन के अंदर स्थित है। इसलिए यहां पहुंचने वालों को
कड़ी जांच पड़ताल से गुजरना पड़ता है। सिर्फ स्थानीय टैक्सियां ही वायुसेना स्टेशन
के प्रवेश द्वार के अंदर जा सकती है। प्रवेश द्वार पर ड्राईवर का ड्राईविंग
लाइसेंस जमा कर लिया जाता है। सैलानी का आई कार्ड चेक किया जाता है।
एयर स्टेशन के
प्रवेश द्वार और अंदर वायुसेना स्टेशन के इमारतों की फोटोग्राफी भी प्रतिबंधित है।
आप शिलांग पीक से नजारों की चाहे जितनी मर्जी फोटो लें उस पर कोई रोक नहीं है। शिलांग
पीक पर कार पार्किंग का टिकट सैलानी को देना पड़ता है। यहां खाने पीने का कोई
इंतजाम नहीं है। बहुत ज्यादा वक्त तक रुकने भी अनुमति नहीं है। वायुसेना स्टेशन के
अंदर एक केंद्रीय विद्यालय लेटकोर भी है। वायुसेना कर्मियों के परिवार के बच्चों के लिए इस स्कूल की स्थापना 1985 में हुई। यहां वायु सेना का रडार स्टेशन भी है।
बारिश के दिनों में शिलांग पीक
पर बादल दिखाई देते हैं तो सरदी की सुबह में यहां बर्फ की हल्की सी चादर भी जमी
हुई दिखाई देती है। शिलांग पीक पर भी आप परंपरागत खासी परिधान में फोटो खिंचवा
सकते हैं। इसके लिए थोड़ा सा किराया देना पड़ेगा।
शिलांग पीक पर फोटो खींचते समय
एक सज्जन मिलते हैं जो अपने मोबाइल कैमरे से मुझे फोटो खींचने का आग्रह करते हैं।
मैं फोटो खींचने के साथ उनका परिचय पूछता हूं। पता चला बिहार के रहने वाले हैं और
यहीं लोकटर वायुसेना स्टेशन में कार्यरत हैं। तीन से यहां पर हैं। पर अब तबादला हो
गया है। इसलिए आखिरी दिन शिलांग पीक पर अपनी फोटो लेकर यहां के निवास को यादगार
बनाना चाहते हैं।
सचमुच कोई जगह छोड़ना हो तो उसका असली महत्व पता चलता है। रास्ते में वायुसेना का एक और परिवार मिलता है जो बताता है कि सुबह लेटकोर में तेज ठंड पड़ती है। कभी कभी तो यहां पर हल्की सी बर्फ भी दिखाई दे जाती है। साथ ही यहां से शहर जाने के लिए वाहनों की बहुत कमी है।
सचमुच कोई जगह छोड़ना हो तो उसका असली महत्व पता चलता है। रास्ते में वायुसेना का एक और परिवार मिलता है जो बताता है कि सुबह लेटकोर में तेज ठंड पड़ती है। कभी कभी तो यहां पर हल्की सी बर्फ भी दिखाई दे जाती है। साथ ही यहां से शहर जाने के लिए वाहनों की बहुत कमी है।
कैसे पहुंचे – शिलांग के बाजार
से शिलांग पीक पहुंचने के लिए आपको टैक्सी बुक करनी पड़ेगी। सार्वजनिक वाहन से
यहां पहुंचने का इंतजाम नहीं है। आप शिलांग भ्रमण के पैकेज में भी शिलांग पीक को
शामिल करके टैक्सी बुक कर सकते हैं। मैंने लेडी हैदरी पार्क के गेट पर शिलांग पीक और एलीफैंट फॉल्स जाने के लिए एक टैक्सी बुक की।
मुझे पूरा शिलांग घूमाने वाले टैक्सी ड्राईवर वांकी हैं। वे खासी समुदाय से आते हैं। अपनी टैक्सी से लोकल साइट के अलावा सैलानियों को चेरापूंजी भी ले जाते हैं। मस्त आदमी हैं उनका फोन नंबर है -87299 54465 वे फेसबुक और वाट्सएप पर भी हैं। आप शिलांग चेरापूंजी घूमने के लिए उनकी सेवाएं ले सकते हैं। उनके साथ घूमते हुए मजा आएगा।
मुझे पूरा शिलांग घूमाने वाले टैक्सी ड्राईवर वांकी हैं। वे खासी समुदाय से आते हैं। अपनी टैक्सी से लोकल साइट के अलावा सैलानियों को चेरापूंजी भी ले जाते हैं। मस्त आदमी हैं उनका फोन नंबर है -87299 54465 वे फेसबुक और वाट्सएप पर भी हैं। आप शिलांग चेरापूंजी घूमने के लिए उनकी सेवाएं ले सकते हैं। उनके साथ घूमते हुए मजा आएगा।
- विद्युत प्रकाश मौर्य vidyutp@gmail.com
( SHILLONG PEAK, AIR FORCE, STATION, Wanky TAXI- 87299 54465 )
( SHILLONG PEAK, AIR FORCE, STATION, Wanky TAXI- 87299 54465 )
No comments:
Post a Comment