वार्ड लेक पार्क, बोटानिकल
गार्डन, लेडी, हैदरी पार्क, एलिफैंट फाल्स पार्क जैसे तमाम सुंदर पार्कों से
सुसज्जित शिलांग शहर को पार्कों का शहर कहें तो गलत नहीं होगा। इन पार्कों में
सुबह की हवा दिलोदिमाग को काफी सुकुन पहुंचाती है। सुबह सुबह पुलिस बाजार पहुंचने
के बाद मैंने जानना चाहा आसपास में क्या देखा जा सकता है। चौराहे पर एक तरफ
ऐतिहासिक ब्रह्म समाज का भवन और उसका गेस्ट हाउस नजर आया। यहां ब्रह्म समाज की
स्थापना 1894 में हुई थी। ऐसा इसका साइन बोर्ड बता रहा है। इस भवन में एक गेस्ट हाउस
भी है। साथ ही रविंद्र नाथ टैगोर की याद में टैगोर मेमोरियल लाइब्रेरी भी है। इसके
ठीक दूसरी तरफ पुलिस बाजार चौराहे पर मेघालय की विधानसभा का नन्हा सा सुंदर भवन
दिखाई देता है। विधानसभा भवन से जुड़ा उसका प्रशासनिक ब्लाक और उसकी लाइब्रेरी भी
है। विधानसभा भवन के गेट पर उसका एक चौकीदार तैनात है। किसी जमाने में मेघालय का
विधानसभा भवन लकड़ी का हुआ करता था पर उसमें आग लग गई।
घोड़े के खुर के आकार का वार्ड
लेक -
आरामतलब तरीके से सुबह सुबह ठहलने के लिए बेहतरीन जगह है। दिल करे तो यहां झील में बोटिंग का आनंद ले सकते हैं। झील के बीचों बीच एक पुल बना है जहां से झील का विहंगम नजारा दिखाई देता है। यहां आप मछलियों को दाना भी डाल सकते हैं। यह झील 1880 से 1894 के बीच बनी है। इस झील को लेकर एक दिलचस्प कथा है।
वार्ड लेक के बगल में एक पुराना
बोटानिकल गार्डन भी है। इसमें कई तरह के पेड़ लगे हैं। इसमें टहलते हुए आपको
प्रदूषण मुक्त आबोहवा मिलती है। वार्ड लेक में प्रवेश टिकट 10 रुपये का है। कैमरा
के लिए 20 रुपये का टिकट अलग से लेना पड़ता है।
एक टिकट में कई मजा लें लेडी
हैदरी पार्क में
इस पार्क में लंबे हरे भरे पथ के साथ पार्क में सुंदर जलाशय है जिसमें पक्षी कलरव करते नजर आते हैं। इसके अलावा एक मिनी चिड़िया घर भी है जिसमें कई तरह के पशु पक्षी हैं। बच्चों को यह पार्क खूब पसंद आता है। चिड़िया घर में पक्षियों की 73 प्रजातियां हैं।
वैसे तो पार्क सालों भर खुला रहता है पर सर्दियों में घूमने का अपना
मजा है। बटरफ्लाई म्यूजियम देखना है तो 11 से 4 के बीच ही पहुंचे। पार्क में
प्रवेश का टिकट 10 रुपये और कैमरे का 20 रुपये का टिकट है। पार्क के गेट पर खाने
पीने की चीजें उपलब्ध हैं।
तीन झरनों वाला एलिफैंट फॉल्स ( हाथी झरना )
तीन झरनों वाला एलिफैंट फॉल्स ( हाथी झरना )
शिलांग की सबसे खूबसूरत जगहों में से एक एलीफैंट फॉल्स। यहां प्रवेश द्वार से अंदर
जान के बाद एक के बाद एक तीन झरने हैं। इन झरनों को सौंदर्य का रसपान करने के लिए
आपको थोड़ा वक्त तो यहां देना ही पड़ेगा।
प्रवेश के लिए टिकट लेना पड़ता है पर इसकी खूबसूरती के सामने वह राशि तो कुछ भी नहीं है। वैसे तो खासी लोगों ने इन झरनों का नाम अपनी भाषा में तीन कदम वाला झरना रखा था। पर ब्रिटिश अधिकारियों ने इसे देखा तो इसका नाम एलिफैंट फाल्स रख दिया क्योंकि इन झरनों के सामने जो पहाड़ी है उसका आकार हाथी जैसा है।
पर 1897 में आए एक भूकंप में वह पहाड़ी बरबाद हो गई। पर इन झरनों का नाम एलिफैंट फाल्स तो रह ही गया। आप जब एलिफैंट फॉल्स के पास जाएं तो वहां परंपरागत खासी परिधान में सज कर फोटो यादगारी फोटो भी खिंचवा सकते हैं।
प्रवेश के लिए टिकट लेना पड़ता है पर इसकी खूबसूरती के सामने वह राशि तो कुछ भी नहीं है। वैसे तो खासी लोगों ने इन झरनों का नाम अपनी भाषा में तीन कदम वाला झरना रखा था। पर ब्रिटिश अधिकारियों ने इसे देखा तो इसका नाम एलिफैंट फाल्स रख दिया क्योंकि इन झरनों के सामने जो पहाड़ी है उसका आकार हाथी जैसा है।
पर 1897 में आए एक भूकंप में वह पहाड़ी बरबाद हो गई। पर इन झरनों का नाम एलिफैंट फाल्स तो रह ही गया। आप जब एलिफैंट फॉल्स के पास जाएं तो वहां परंपरागत खासी परिधान में सज कर फोटो यादगारी फोटो भी खिंचवा सकते हैं।
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शिलांग का एलिफैंट फाल्स - हर वक्त रहता है गुलजार। |
शिलांग का एलिफैंट फाल्स - हर वक्त रहता है गुलजार। |
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