कभी डेहरी रोहतास लाइट रेलवे की मातृ कंपनी रोहतास इंडस्ट्रीज
लिमिटेड को अपनी सेवाएं देने वाला लोकोमोटिव अब मुजफ्फरपुर जंक्शन रेलवे स्टेशन के
बाहर शान से विराजमान है। ये लोकोमोटिव आते जाते लोगों को स्टीम इंजन ( भाप से
चलने वाले) दौर की याद दिलाता है। जो लोग सन 2000 के बाद पैदा हुए हैं उन्होंने भारतीय रेलवे में स्टीम इंजन नहीं देखा
होगा। क्योंकि आजकल ट्रैक पर डीजल या बिजली से संचालित इंजन ही दौड़ते हैं। वे इसे
देखकर स्टीम इंजन के दौर को जान सकते हैं। कभी सिटी बजाता धुआं उड़ाया ये
लोकोमोटिव अब शांत खड़ा है। पर मौन रहकर आपको इतिहास में ले जाता है।
पांच दिसंबर 2015 को पूर्व मध्य रेलवे के महाप्रबंधक एके मित्तल ने
इसका लोकार्पण किया, जिससे आमजन को रेलवे के बारे में जानकारी मिल सके।
पर यह 2005 से 2009 के मध्य रेलमंत्री रहे लालू प्रसाद यादव की संकल्पना थी
जिन्होंने बंद पड़े रोहतास इंडस्ट्रीज का डालमियानगर से सारा कबाड़ खरीदने का
फैसला किया। इस कबाड़ में कई लोकोमोटिव शामिल थे जिनमें से एक आरआईएल 06 भी था। अब
इसे रंग रोगन करके रेलवे स्टेशन के बाहर लगा दिया गया है, जिसे
आते जाते लोग कौतूहल से देखते हैं। हालांकि ऐसे लोकोमोटिव आप देश के कई बड़े शहरों
के रेलवे स्टेशनों के बाहर देख सकते हैं, जो अपने क्षेत्र के
रेलवे इतिहास की कहानी सुनाते हैं।
वाल्कन
फाउंड्री का निर्मित लोकोमोटिव - आरआईएल 06 नामक ये
लोकोमोटिव ब्राडगेज ट्रैक ( 5 फीट 6 ईंच)
का है जो रोहतास उद्योग समूह को 1967 से 1984 तक अपनी सेवाएं देता रहा। जब 1984 में रोहतास
इंडस्ट्रीज पूरी तरह बंद हो गई तब से ये डालमियानगर के बीजी शेड में कबाड़ की तरह
ही पड़ा था। लेकिन इसके पहले यह 1967 से 1983 तक रोहतास इंडस्ट्रीज को अपनी सेवाएं देता रहा।
इस लोकोमोटिव का निर्माण ब्रिटेन के लंकाशायर की कंपनी वालकन फाउंड्री ने 1908 में किया था। वालकन से ईस्ट इंडियन रेलवे ने कुल 10 लोकोमोटिव एक साथ खरीदे थे। यह पहियों के लिहाज से 0-6-4 टैंक मॉडल का स्टीम लोकोमोटिव है। इसने छह दशक तक ईस्ट इंडियन रेलवे को अपनी शानदार सेवाएं दीं।
इस लोकोमोटिव का निर्माण ब्रिटेन के लंकाशायर की कंपनी वालकन फाउंड्री ने 1908 में किया था। वालकन से ईस्ट इंडियन रेलवे ने कुल 10 लोकोमोटिव एक साथ खरीदे थे। यह पहियों के लिहाज से 0-6-4 टैंक मॉडल का स्टीम लोकोमोटिव है। इसने छह दशक तक ईस्ट इंडियन रेलवे को अपनी शानदार सेवाएं दीं।
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(फोटो - संतोष कुमार सारंग ) |
रोहतास
इंडस्ट्रीज ने खरीदा - कहते हैं लोहा कभी पुराना नहीं होता, अगर आप उसकी
देखभाल करते रहें। इसलिए 60 साल पुराने लोकोमोटिव को रोहतास
इंडस्ट्रीज ने अपने औद्योगिक इस्तेमाल के लिए खरीद लिया था। भले रोहतास इंडस्ट्रीज
का कारोबार डालमियानगर में बंद हो गया और डेहरी रोहतास रेलवे भी बंद हो गया, पर ये लोकोमोटिव अभी चालू हालत में थे। पर
कई दशक तक शेड में पड़े पड़े ये कबाड़ में तब्दील होने लगे थे। बाद में ये सारा स्क्रैप रेलवे ने खरीद लिया। तो तकरीबन दो
कंपनियों में आठ दशक तक धुआं उड़ाते हुए सफर करने वाला लोकोमोटिव अब मुजफ्फरपुर जंक्शन के बाहर लोगों के बीच
कौतूहल बन कर खड़ा है।
( MUZAFFARPUR, VULCAN FOUNDRY LOCOMOTIVE, DEHRI ROHTAS LIGHT RAILWAY)
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