पुडुचेरी के दर्शनीय स्थलों में
से एक है बॉटानिकल गार्डन। यह गार्डन नए बस स्टैंड और पुराने बस स्टैंड के बीच लाल
बहादुर शास्त्री स्ट्रीट पर स्थित है। ये पुराना बुसी रोड भी कहते हैं। कई लोग इस
सड़क को बीच रोड भी कहते हैं।
बॉटानिकल गार्डन का प्रवेश द्वार हमारे होटल श्री साईराम के ठीक सामने था। हमें वहां जाने पर पता चला कि प्रवेश के लिए कोई टिकट नहीं है। हालांकि खुलने का समय 10 बजे और बंद होने का समय 5 बजे है।
वास्तव में यह
कोई जू नहीं है। यहां जानवर नहीं हैं। बल्कि यह तो सिर्फ एक वनस्पति उद्यान है। पर है बहुत शानदार और हरा भरा। दार्जिलिंग कि
लियोड्स बॉटनिकल गार्डन की तरह दिखाई देता है। यह देश के सबसे पुराने बॉटनिकल गार्डन में से एक
है। इसे 1826 में आम जनता के लिए खोला गया था। तब से लेकर अब तक इसकी हरियाली में और इजाफा हुआ है।
बोटानिकल गार्डन की स्थापना फ्रेंच नागरिक सीएस
पैरोटेट के प्रयासों से की गई थी। इसमें सैकड़ों पौधों के अलावा एक्वेरियम और एक
सुंदर संग्रहालय भी है। पर बॉटनिकल गार्डन का सबसे बड़ा आकर्षण है। इसमें चलने
वाली रेलगाड़ी। बच्चों की यह टॉय ट्रेन आपको 10 रुपये के टिकट में पूरे गार्डन का
सैर कराती है। हरियाली के संग सुंदर रास्ते का सफर कब खत्म हो जाता है पता भी नहीं
चलता।बॉटानिकल गार्डन का प्रवेश द्वार हमारे होटल श्री साईराम के ठीक सामने था। हमें वहां जाने पर पता चला कि प्रवेश के लिए कोई टिकट नहीं है। हालांकि खुलने का समय 10 बजे और बंद होने का समय 5 बजे है।
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चली चली भाई अपनी रेल चली.... |
सेक्रेड हार्ट या निर्मल हृदय चर्च
– पुडुचेरी रेलवे स्टेशन की इमारत को बाहर से
देखें तो यह भी फ्रेंच विरासत और उनकी वास्तुकला को प्रदर्शित करती हुई प्रतीत
होती है। रेलवे स्टेशन से बाहर निकलने के बाद स्टेशन के सामने कुछ होटल हैं।
स्टेशन के सामने से एमजी रोड आरंभ हो जाता है। पर स्टेशन के ठीक सामने एमजी रोड क्रास
पर सेक्रेड हार्ट चर्च की लाल रंग की सुंदर ईमारत स्थित है।
तमिल और अंगरेजी में प्रार्थना - यह एक कैथोलिक चर्च है। सुबह 6 बजे सूरज उगने के साथ मैं चर्च परिसर में पहुंचा तो सैकड़ो लोग अंदर थे और प्रार्थना हो रही थी। यहां तमिल और अंगरेजी में अलग अलग समय पर प्रार्थना होती है। ईसाई धर्म की खासियत है कि वह अपने प्रचार लिए जहां भी जाता है स्थानीय भाषा का सहारा लेता है। चर्च की आंतरिक सज्जा भी निहायत खूबसूरत है। 2007 में इस चर्च ने अपना शताब्दी वर्ष मनाया।

चर्च के प्रवेश द्वार पर जीसस और मदर मेरी की सुंदर प्रतिमाएं बनी हैं। इसका निर्माण साल 1902 में आरंभ हुआ 17 दिसंबर 1907 को पूरा हुआ था। यह 50 मीटर लंबा और 48 मीटर चौड़े परिसर में बना है। यह नव गोथिक स्टाइल में बना है। इसमें 2000 लोग एक साथ प्रार्थना कर सकते हैं। हाल के दिनों में यह कैथोलिक ईसाइयों का लोकप्रिय तीर्थ स्थल बन चुका है। अगर आप रेलगाड़ी से पुडुचेरी पहुंचते हैं तो सबसे पहले आपकी नजर इस सुंदर चर्च पर ही जाकर ठहरती है।
-विद्युत प्रकाश मौर्य – vidyutp@gmail.com
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