पुडुचेरी की पहचान अरविंदो आश्रम
से भी है। यह आध्यात्मिक चेतना का बड़ा केंद्र है। श्री अरबिंदो
आश्रम 24 नवंबर 1926
को अरबिंदो द्वारा स्थापित किया गया था। इस दिन को सिद्धि दिवस के तौर पर मनाया
जाता है।
15 अगस्त को हुआ था जन्म - महान संत, कवि तथा भारतीय आध्यात्मिकता के महान प्रवर्तक श्री अरविंद अपने जीवन के अंत तक अपनी दृष्टि और विचारों का प्रसार करते रहे। उनका आश्रम आज भी अपनी खास जीवन शैली के कारण विश्व-भर से लोगों को आकर्षित करता है।
गुजरात के बड़ौदा नरेश के सचिव - श्री
अरविंद 15 अगस्त 1872 को पश्चिम बंगाल के कलकत्ता के अमीर परिवार में जन्मे थे। इनके पिता शहर के जाने माने डॉक्टर थे। इन्होंने
युवा अवस्था में भारत के स्वतन्त्रता संग्राम में उनका योगदान महान क्रान्तिकारी
के रूप में है। उनकी स्कूली पढ़ाई दार्जिलिंग के एक नामी अंग्रेजी स्कूल में हुई। पर महज सात
साल की अवस्था में उनके पिता उन्हें इंग्लैंड ले गए।
पढ़ाई पूरी करने के बाद जब वे देश लौटे तो उन्होंने बड़ौदा नरेश के निजी सचिव के तौर पर भी कुछ समय के लिए काम किया। बाद में वे बड़ौदा कॉलेज प्रोफेसर और वाइस प्रिंसिपल भी बने। तो इस तरह उनका रिश्ता बड़ौदा शहर से रहा। पर साल 1902 से 1910 तक वे क्रांतिकारी की भूमिका में रहे। इस दौरान वे राजनीतिक बंदी भी रहे।
पढ़ाई पूरी करने के बाद जब वे देश लौटे तो उन्होंने बड़ौदा नरेश के निजी सचिव के तौर पर भी कुछ समय के लिए काम किया। बाद में वे बड़ौदा कॉलेज प्रोफेसर और वाइस प्रिंसिपल भी बने। तो इस तरह उनका रिश्ता बड़ौदा शहर से रहा। पर साल 1902 से 1910 तक वे क्रांतिकारी की भूमिका में रहे। इस दौरान वे राजनीतिक बंदी भी रहे।
आश्रम
अपने यहां आने वालों के लिए सीमित संख्या में आवास की सुविधा भी उपलब्ध कराता है।
इसके लिए पहले से टेलीफोन करके बुकिंग की जानकारी लेनी पड़ती है। पर ये अतिथि गृह
उन लोगों के लिए बनाए गए हैं जो आश्रम में ध्यान या साधना के लिए आना चाहते हैं।
कैसे पहुंचे – अरविंदो आश्रम बंगाल
की खाड़ी समुद्र तट पर स्थित है। बस स्टैंड से दूरी तीन किलोमीटर के करीब है।
आश्रम में महर्षि अरविंद की समाधि है। आम दर्शकों के लिए आश्रम में सुबह 8 से 12
बजे के बीच और शाम को 2 से 6 बजे के बीच जाने की इजाजत है।
आश्रम के स्वागत कक्ष के पास पुस्तक स्टोर है। जहां आप श्री अरविंद से जुड़े साहित्य खरीद सकते हैं। ये साहित्य कई भाषाओं में उपलब्ध है। आश्रम में प्रवेश करने के बाद मौन रहने को कहा जाता है। समाधि के आसपास बोलने की इजाजत नहीं है। मोबाइल कैमरे सब बंद। आश्रम के बाहर निःशुल्क जूता घर और पार्किंग उपलब्ध है।
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