
बलखाती बेतवा,
जम्हाई लेते जंगलों के बीच छिपा है ओरछा। वैसे ओरछा का मतलब ही
होता है छिपा हुआ। तो छिपा हुआ सौंदर्य ही है ओरछा। जिसकी तलाश में दुनिया भर से
सैलानी यहां पहुंचते हैं। मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ जिले का शहर। पर टीकमगढ़ यहा से 90
किलोमीटर है। यूपी का झांसी शहर 16 किलोमीटर
है। इसलिए ओरछा पहुंचे का सुगम रास्ता उत्तर प्रदेश के झांसी शहर से है। ओरछा
निवाड़ी तहसील में आता है। यहां के लोग अपने जिला मुख्यालय टीकमगढ़ के बजाए झांसी
से ज्यादा जुड़े हुए हैं। झांसी रेलवे स्टेशन से ओरछा जाने के लिए पहले झांसी के
बस स्टैंड आटो द्वारा पहुंचे।
होटल फोर्ट व्यू से वाकई किला और बेतवा नदी का नजारा दिखाई देता है। कमरे की दरें भी
किफायती हैं। डबल बेड आकार का कमरा अटैच कमरा, कूलर के
साथ 400 रुपये में। ओरछा के ज्यादातर होटलों में फ्री वाईफाई के बोर्ड लगे हैं।
हालांकि हमारे होटल वाले ने बताया कि उनका वाईफाई काम नहीं कर रहा है।
शाम हो गई थी लिहाजा पता चला राजा राम मंदिर आठ
बजे रात को खुलेगा। हमने अपने एक परिचित रामदास कुशवाहा (अवकाश प्राप्त पटवारी) से
मिलने का तय किया। वे मंदिर के पीछे कल्याण कालोनी में रहते हैं। चाय पर लंबी
चर्चा के बाद अचानक घड़ी देखी तो मंदिर खुलने का समय हो गया था। लिहाजा हम राजा
राम की संध्या आरती में शामिल होने के लिए आगे बढ़ चले।
प्रसिद्ध कवि मैथलीशरण गुप्त ओरछा और बेतवा के साथ राजा राम
का गान करते हुए लिखते हैं.... बेतवा नदी को हिंदू ग्रंथों में वेत्रवती कहा गया
है...
कहां
आज यह अतुल ओरछा,
हाय! धूलि में धाम मिले।
चुने-चुनाये चिन्ह मिले कुछ, सुने-सुनाये नाम मिले।
फिर भी आना व्यर्थ हुआ क्या तुंगारण्य? यहां तुझमें?
नेत्ररंजनी वेत्रवती पर हमें हमारे राम मिले।
चुने-चुनाये चिन्ह मिले कुछ, सुने-सुनाये नाम मिले।
फिर भी आना व्यर्थ हुआ क्या तुंगारण्य? यहां तुझमें?
नेत्ररंजनी वेत्रवती पर हमें हमारे राम मिले।
ओरछा का दूसरा पुराना दरवाजा ( प्रवेश द्वार ) |
vidyutp@gmail.com
( ORCHHA, MP, FOREST, FORT )
No comments:
Post a Comment