सुबह सुबह दिल्ली से कोटा जाने वाली ट्रेन से चलकर श्री महाबीर जी रेलवे स्टेशन उतर गया। प्रसिद्ध जैन मंदिर के नाम पर रेलवे स्टेशन का नाम रखा गया है श्री महाबीर जी।
जैन धर्म के चौबीसवें तीर्थंकर श्री महावीर का अदभुत मंदिर राजस्थान के करौली जिले में स्थित है। इस मंदिर के नाम पर ही मथुरा सवाई माधोपुर के मध्य श्री महावीर जी नामक रेलवे स्टेशन है। यह मंदिर दिगंबर जैन अतिशय क्षेत्र के नाम से प्रसिद्ध है। देश भर के दिगंबर जैन मतावलंबियों की इस मंदिर में अगाध श्रद्धा है।
जैन धर्म के चौबीसवें तीर्थंकर श्री महावीर का अदभुत मंदिर राजस्थान के करौली जिले में स्थित है। इस मंदिर के नाम पर ही मथुरा सवाई माधोपुर के मध्य श्री महावीर जी नामक रेलवे स्टेशन है। यह मंदिर दिगंबर जैन अतिशय क्षेत्र के नाम से प्रसिद्ध है। देश भर के दिगंबर जैन मतावलंबियों की इस मंदिर में अगाध श्रद्धा है।
इस मंदिर के बारे एक कथा
प्रचलित है। गांव चंदनपुर में मंदिर में स्थापित भगवान महावीर की मूर्ति 16वीं या
17वीं शताब्दी में मिली थीं। यह मूर्ति खुदाई के दौरान मिली थी। कहा जाता है कि एक गाय अपने घर से प्रतिदिन सुबह घास चरने के लिए
निकलती थी और शाम को घर लौट आती थी। कुछ दिन बाद जब गाय घर लौटती थी तो उसके थन
में दूध नहीं होता था। एक दिन उसके मालिक चर्मकार ने
सुबह गाय का पीछा किया और पाया कि एक विशेष स्थान पर वह गाय अपना दूध गिरा देती
थी। यह चमत्कार देखने के बाद चर्मकार ने इस टीले की खुदाई की। खुदाई में भगवान
महावीर की पाषाण प्रतिमा मिली। हालांकि ये मूर्ति
गुप्तकालीन प्रतीत होती है। पर यह किसी टीले में मिट्टी के अंदर दब गई थी। इस
मूर्ति का निर्माण बलुआ पत्थर से हुआ है।
बाद में इसी स्थल पर भव्य मंदिर का
निर्माण कराया गया। मंदिर के गर्भ गृह में स्थित भगवान महावीर की मूर्ति पद्मासन
में है। ये मंदिर गंभीर नदी के किनारे स्थित है। हालांकि नदी आजकल ज्यादातर सूखी रहती
है। नदी तट पर भव्य मंदिर का निर्माण अमर चंद बिलाला (बासवा, जयपुर) की ओर से
कराया गया। मंदिर के गर्भ गृह में अति सुंदर नक्काशी की गई है। अब इस मंदिर की
व्यवस्था प्रबंधन समिति देखती है।
मंदिर परिसर में संदेश लिखा है।
इस परिसर में आने के बाद रात में भोजन न करने और पानी को छान कर पीने का संकल्प
लेकर जाएं। मंदिर परिसर में जैन धर्म का प्रसिद्ध जीओ और जीने दो संदेश लिखा गया
है। मंदिर परिसर में आर्युवेदिक दवाओं का स्टाल भी है।
चैत में मेला – चैत्र शुक्ल एकादशी पर
तीर्थंकर महावीर के जन्मदिन के समय यहां विशाल मेला लगता है। ये मेला पांच दिनों
तक चलता है। इस मौके पर विशाल रथयात्रा का आयोजन होता है। इस मेले में राजस्थान के
गुर्जर और मीणा समुदाय के लोग भी हिस्सा लेते हैं।
कहां ठहरें - मंदिर प्रबंधन की ओर से भोजनालय
और आवासीय सुविधा उपलब्ध है। पर इसके लिए शुल्क देना पड़ता है। यहां 750 रुपये में
वातानुकूलित कमरे उपलब्ध हैं। आप आवास की बुकिंग आनलाइन भी करा सकते हैं। मंदिर के
भोजनालय में बिना लहसुन प्याज का जैन भोजन मिलता है। मंदिर के आसपास कुछ दुकाने
हैं जहां भोजन नास्ता आदि उपलब्ध होता है। ( http://www.mahaveerji.org/index.php )
कैसे पहुंचे – श्री महावीर जी रेलवे स्टेशन से मंदिर की दूरी 7 किलोमीटर है। रेलवे स्टेशन से हर ट्रेन के आने के बाद टाटा मैजिक जैसे वाहन मंदिर के लिए जाते रहते हैं। मंदिर के पास राजस्थान रोडवेज का बस स्टैंड भी है। पर यहां के लिए बसें बहुत कम ही हैं। आपको लंबी दूरी की बसें खेड़ा से और ट्रेन श्री महावीर जी रेलवे स्टेशन से मिल सकेगी।
- विद्युत प्रकाश मौर्य - vidyutp@gmail.com
( SRI MAHABEER JEE, JAIN TEMPLE, RAJSTHAN )
कैसे पहुंचे – श्री महावीर जी रेलवे स्टेशन से मंदिर की दूरी 7 किलोमीटर है। रेलवे स्टेशन से हर ट्रेन के आने के बाद टाटा मैजिक जैसे वाहन मंदिर के लिए जाते रहते हैं। मंदिर के पास राजस्थान रोडवेज का बस स्टैंड भी है। पर यहां के लिए बसें बहुत कम ही हैं। आपको लंबी दूरी की बसें खेड़ा से और ट्रेन श्री महावीर जी रेलवे स्टेशन से मिल सकेगी।
- विद्युत प्रकाश मौर्य - vidyutp@gmail.com
( SRI MAHABEER JEE, JAIN TEMPLE, RAJSTHAN )
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