
उद्यान के अंदर थोड़ी दूर चलने पर पक्षियों का कलरव सुनाई देने लगता है। उद्यान को
घूमना बड़ा आसान है। छह किलोमीटर लंबी सड़क है जिस पर चलते हुए आप उद्यान के बीचों
बीच पहुंच जाते हैं। सड़क के दाहिने और बाएं तरफ कहीं कहीं ट्रैक बने हैं जहां आप
अलग अलग तरह के परिंदों का बसेरा देख सकते हैं। सड़क पर चलते हुए आपको गोह (
लिजार्ड) के दर्शन हो जाते हैं। वही गोह जिसे शिवाजी ने पाला था।
यूनेस्को की साइट के मुताबिक
केवला देव में 364 प्रजाति के पक्षी पाए जाते हैं। इसे 1982 में राष्ट्रीय पक्षी
उद्यान घोषित किया गया। यहां साइबेरिया, तीन, तुर्कमेनिस्तान, अफगानिस्तान आदि
देशों से प्रवासी पक्षी हर साल उड़ान भरकर आते हैं। यह प्रवासी पक्षियों का
महत्वपूर्ण प्रजनन केंद्र ( ब्रिडिंग सेंटर) है। कुल 2873 हेक्टेयर भूमि पर फैले
इस उद्यान की खास बात यह है कि यहां, घास के मैदान, तालाब, जंगल, नम भूमि (वेटलैंड)
सब कुछ है। इस तरह का पक्षियों के लिए निवास क्षेत्र दुर्लभ है। आपको रास्ते में
चलते हुए किंगफिशर, वुड पिकर ( कठफोड़वा) पेंटेड स्ट्रोक ( जांघिल), उल्लू जैसे
सैकड़ो भारतीय पक्षियों को दर्शन होते जाएंगे।
पानी में कछुए भी दिखाई दे जाते हैं। इन पक्षियों को करीब से देखने के लिए आपके पास बेहतरीन क्वालिटी की दूरबीन होनी चाहिए। यहां पक्षी अपने बच्चों को खाना खिलाते हुए उन्हे उड़ना सिखाते हुए, कई बड़े पक्षी अपने भींगे हुए पंखों को सुखाते हुए देखे जा सकते हैं। यहां आप स्ट्रोक परिवार के कई पक्षियों को देख सकते हैं। केवलादेव पार्क के मध्य में कई बर्ड वाचिंग सेंटर ( मचान) बनाए गए हैं। इनपर चढ़कर आप अपनी दूरबीन से दूर दूर तक का नजारा कर सकते हैं। अगर पक्षियों से प्रेम करते हैं तो आप सारा दिन यहां गुजार सकते हैं। कई पक्षी प्रेमी तो यहां आकर हफ्ते पर रुकते हैं और पक्षियों को देखते रहते हैं। स्कूली बच्चों के ज्ञान बढाने के लिहाज से इस पार्क की यात्रा बड़ी लाभकारी हो सकती है। वहीं अगर आप जीव विज्ञान के छात्र हैं या शोधार्थी हैं तो आपको लिए ये बेहतरीन जगह हो सकती है।
पानी में कछुए भी दिखाई दे जाते हैं। इन पक्षियों को करीब से देखने के लिए आपके पास बेहतरीन क्वालिटी की दूरबीन होनी चाहिए। यहां पक्षी अपने बच्चों को खाना खिलाते हुए उन्हे उड़ना सिखाते हुए, कई बड़े पक्षी अपने भींगे हुए पंखों को सुखाते हुए देखे जा सकते हैं। यहां आप स्ट्रोक परिवार के कई पक्षियों को देख सकते हैं। केवलादेव पार्क के मध्य में कई बर्ड वाचिंग सेंटर ( मचान) बनाए गए हैं। इनपर चढ़कर आप अपनी दूरबीन से दूर दूर तक का नजारा कर सकते हैं। अगर पक्षियों से प्रेम करते हैं तो आप सारा दिन यहां गुजार सकते हैं। कई पक्षी प्रेमी तो यहां आकर हफ्ते पर रुकते हैं और पक्षियों को देखते रहते हैं। स्कूली बच्चों के ज्ञान बढाने के लिहाज से इस पार्क की यात्रा बड़ी लाभकारी हो सकती है। वहीं अगर आप जीव विज्ञान के छात्र हैं या शोधार्थी हैं तो आपको लिए ये बेहतरीन जगह हो सकती है।
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सारस क्रेन ( सौ - WWF) |
सारस क्रेन - दुनिया के सबसे
बड़े उड़ने वाले पक्षी सारस क्रेन के आपको यहां पर दर्शन हो सकते हैं। मादा सारस
35 से 40 किलो की होती है तो नर सारस 40 से 45 किलो का होता है। आम तौर पर यह
जोड़े में दिखाई देता है या फिर तीन या चार के समूह में। यह जीवन भर अपने जोड़े के
प्रति वफादार रहता है। यह मानसून के समय प्रजनन करता है।
गर्मी के दिनों में पार्क में
कम पक्षी दिखाई देते हैं। पर बरसात के बाद यहां कलरव बढ़ जाता है। अगर आप अक्तूबर
तक जाते हैं तो विदेशी प्रवासी मेहमान परिंदे नहीं मिलेंगे। पर अक्तूबर मध्य के
बाद उनकी आमद शुरू हो जाती है। सर्दी के दिनों में यहां 20 हजार के करीब पक्षी
अपना घोसला बनाते हैं। तब केवलादेव गुलजार हो उठता है देशी- विदेशी रंग बिरंगे
मेहमान परिंदों के कलरव से।
vidyutp@gmail.com
( KEOLADEO NATIONAL PARK, BIRDS, WATER, BHARATPUR, RJASTHAN, CRANE)
( केवलादेव राष्ट्रीय पक्षी उद्यान - 2)
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