सीतामढ़ी से दरभंगा कभी मीटर
गेज रेलवे लाइन थी। अब ब्राडगेज पर रेलगाड़ियां दौड़ती हैं, पर रेल सेवा मे ज्यादा
बदलाव नहीं आया। सीतामढ़ी से दरभंगा के
बीच दिन भर में दो पैसेंजर ट्रेनें चलती हैं। इनमें बेतहासा भीड़ होती है।
सुबह सात बजे से पहले पहले मैं सीतामढ़ी स्टेशन पर पहुंच जाता हूं। एक टिकट खरीद
लेता हूं पंडौल तक के लिए। सात बजकर 10 मिनट पर आने वाली 55508 पैसेंजर 20 मिनट
देर से आती है।
सीतामढ़ी रेलवे स्टेशन के बाहर सीताअवतरण की झांकी लगी है। स्टेशन का प्रतीक्षालय बड़े आकार का बना है। इसमें कई मधुबनी पेंटिंग लगाई गई हैं। सेकेंड क्लास के वेटिंग हाल में भी मोबाइल चार्जिंग प्वाइंट भली प्रकार काम कर रहे हैं। सुबह सात बजकर 10 मिनट के बजाय 30 मिनट देर से दरभंगा जाने वाली पैसेंजर आती है। ट्रेन के हर डिब्बे में भीड़ है। पर एक डिब्बे में मुझे जगह मिल जाती है। ट्रेन आगे चल पड़ती है। हर स्टेशन पर लोगों की भीड बढ़ती जाती है। जनकपुर रोड तक सीतामढ़ी जिले में ट्रेन दौड़ती है।
दरभंगा जिले का चंदौना स्टेशन आता है। यहां पर
डिग्री कॉलेज है। ट्रेन के डिब्बे में भीड़ बढ़ने लगी है। बडी संख्या में महिलाएं चढ़
रही हैं। लोग बता रहे हैं कि दरभंगा जाने के लिए पैंसेजर ही एकमात्र सहारा है।
सड़क मार्ग बहुत खराब है और बसों में किराया भी ज्यादा है। सुबह की ट्रेन अगर छुट
गई तो फिर दोपहर ढाई तीन बजे दूसरी ट्रेन आएगी। हर डिब्बे के हर दरवाजे पर बड़ी
संख्या में लोग लटक कर सफर करने लगे थे। यहां तक कि कई महिलाएं भी लटक कर सफर करने लग गई थीं। चंदौना के बाद
जोगियारा और देवरा बंधौली में भीड और बढ़ गई। ट्रेन चलने के लिए सिटी दे रही थी पर कुछ लोगों ने ड्राइवर और गार्ड को जाकर धमकाया
कि जब तक सारे लोग चढ़ नहीं जाएं गाड़ी आगे नहीं बढ़ेगी। लोग बता रहे हैं कि कई
बार रेलवे से सीतामढ़ी दरभंगा मार्ग पर और पैसेंजर ट्रेनें चलाने की मांग की जा
चुकी है पर अभी तक सुनवाई नहीं हो रही है।सीतामढ़ी रेलवे स्टेशन के बाहर सीताअवतरण की झांकी लगी है। स्टेशन का प्रतीक्षालय बड़े आकार का बना है। इसमें कई मधुबनी पेंटिंग लगाई गई हैं। सेकेंड क्लास के वेटिंग हाल में भी मोबाइल चार्जिंग प्वाइंट भली प्रकार काम कर रहे हैं। सुबह सात बजकर 10 मिनट के बजाय 30 मिनट देर से दरभंगा जाने वाली पैसेंजर आती है। ट्रेन के हर डिब्बे में भीड़ है। पर एक डिब्बे में मुझे जगह मिल जाती है। ट्रेन आगे चल पड़ती है। हर स्टेशन पर लोगों की भीड बढ़ती जाती है। जनकपुर रोड तक सीतामढ़ी जिले में ट्रेन दौड़ती है।
और मैं मुरैठा में रेलगाड़ी से उतर गया - रेल के डिब्बे में लगातार बढ़ रही भीड़ के कारण
मेरा दम घुटने लगा था। मुरैठा रेलवे स्टेशन पर मैंने अचानक ट्रेन से उतरकर बस से
जाने के फैसला लिया। बड़ी मुश्किल से भीड़ में जगह बनाते हुए मैं ट्रेन के दरवाजे तक पहुंचा। इसके बाद बाहर उतर गया। पर यह
क्या आसमान से गिरे तो खजूर पर अटके। मुरैठा में मैंने एक दर्जी की दुकान से पूछा
तो उसने बताया कि यहां से दरभंगा के लिए कोई बस नहीं जाती। हां आप किसी तरह कमतौल पहुंचे तो
वहां से बस मिल सकती है। पहले रेलवे रोड से एक किलोमीटर आगे कमतौल रोड पर जाएं
शायद वहां कोई निजी वाहन वाला आपको लिफ्ट दे दे। कमतौल यहां से 7 किलोमीटर है पर सड़क
खराब होने के कारण कोई आटो, जीप बस जैसा सार्वजनिक वाहन इस रोड पर नहीं चलता।
बाइक वाले से लिफ्ट - अब मैंने एक
बाइक वाले से लिफ्ट मांगी, उन्होंने कहा कमतौल नहीं जा रहा हूं मैंने कहा जहां तक
जा रहे हैं वहीं तक छोड़ दें। मुझे लगा कि अब शायद कमतौल तक पैदल जाना पड़े। उन
सज्जन ने एक किलोमीटर आगे छोड़ा। वहां से उन्होंने कमतौल जा रहे एक और सज्जन के
बाइक पर लिफ्ट दिला दी। उन दोनों को धन्यवाद मैं कमतौल पहुंच गया। लोग बिहार से बाहर बिहार की चाहे जो भी छवि रखते हों पर लगभग पूरा हिन्दुस्तान घूम चुका हूं मैं पर मुझे लगता है कि बिहार के ग्रामीण इलाके के लोग अजनबियों के लिए काफी सहयोगात्मक रवैया रखते हैं।
यह सुखद संयोग रहा कि कमतौल से मुझे दरभंगा
की बस मिल गई। कमतौल के पास अहिल्याबाई का स्थान और महाकवि विद्यापति का गांव
बिस्फी है।
सीतामढ़ी से दरभंगा के बीच के स्टेशन
– सीतामढ़ी, भीसा हाल्ट, परसौनी, बाजपट्टी, आवापुर, बछारपुर हाल्ट, जनकपुर रोड, चंदौना
हाल्ट, जोगियारा, देवराबंधौली हाल्ट, मुरैठा, कमतौल टेकटार, मुहम्मदपुर, शीशो, दरभंगा
जंक्शन।
दरभंगा के कादिराबाद निजी बस स्टैंड के आसपास काफी गंदगी का आलम है। मैं दरभंगा जंक्शन स्टेशन पर पहुंच जाता हूं। यहां दिल्ली की तरफ जाने वाले मजदूरों की विशाल भीड़ दिखाई देती है। ये रोज का आलम है। मिथिलांचल में भारी गरीबी के कारण बड़ी संख्या में लोग जनसाधारण और बिहार संपर्क क्रांति, पवन एक्सप्रेस जैसी ट्रेनों से दिल्ली मुंबई जाते हैं। स्टेशन के बाहर टिकट एजेंट के काउंटर पर भी लंबी लाइन लगी है। मैं जनता जनार्दन को नमस्कार कर आगे बढ़ता हूं।
दरभंगा पहुंचने के बाद 10.40 पर मुझे उगना हाल्ट के लिए हावड़ा जयनगर
पैसेंजर लेनी थी। मेरे पास पंडौल तक का टिकट जेब में था। देखा कि मेरी वह ट्रेन
डेढ़ घंटे लेट है और दरभंगा जंक्शन के प्लेटफार्म नंबर एक से खुलने को तैयार है।
इस ट्रेन में भीड़ भी नहीं है। मैं फटाफट ट्रेन में जगह ले लेता हूं। लगा कि उगना
महादेव दर्शन के लिए बुला रहे हैं। ट्रेन में एक रेलवे कर्मचारी और एक इंजीनियर
मिलते हैं। उनसे बातें करते हुए कब सकरी जंक्शन गुजरता है और उगना हाल्ट आ जाता है
पता ही नहीं चलता।
- विद्युत प्रकाश मौर्य vidyutp@gmail.com
- विद्युत प्रकाश मौर्य vidyutp@gmail.com
( RAIL, SITAMARHI, DARBHANGA, KAMTAUL, MURAITHA )
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