हवा महल के सामने ,मार्च 2008 |
गुलाबी शहर
जयपुर में स्थित हवा महल राधा और कृष्ण को समर्पित है। यह महल जयपुर शहर की पहचान
है। यह एक राजसी-महल है। सन 1798 में बना ये महल किसी राजमुकुट सा दिखाई देता है। हवा महल की पांच-मंजिला इमारत
ऊपर से महज डेढ़ फीट चौड़ी है। यूं तो बाहर से देखने पर हवा महल किसी मधुमक्खी
के छत्ते के समान दिखाई देती है।
हवा महल में
963 बेहद खूबसूरत छोटे-छोटे जालीदार झरोखे हैं। इन झरोखों को जालीदार बनाने के
पीछे मूल भावना यह थी कि बिना बाहरी लोगों की निगाह पड़े राजमहल का महिलाएं इन
झरोखों से महल के नीचे सडकों के समारोह और गलियारों में होने वाली रोजमर्रा की
जिंदगी की गतिविधियों का नजारा कर सकें।
"वेंचुरी प्रभाव" के कारण हवा महल की जटिल
संरचना वाले जालीदार झरोखों से हमेशा ठंडी हवा, महल के
भीतर आती रहती है। इस कारण से तेज गर्मी में भी महल हमेशा वातानुकूलित सा ही
रहता है। हवा महल महाराजा जय सिंह का विश्राम करने का पसंदीदा स्थान था क्योंकि
इसकी आतंरिक साज-सज्जा बेहद खूबसूरत है।
हवा महल
अनेक अर्द्ध अष्टभुजाकार झरोखों को समेटे हुए है, जो इसे दुनिया भर में बेमिसाल बनाते हैं। इमारत के पीछे की ओर के भीतरी
भाग में अलग-अलग आवश्यकताओं के अनुसार कमरे बने हुए हैं जिनका निर्माण बहुत कम
अलंकरण वाले खम्भों व गलियारों के साथ किया गया है और ये भवन की शीर्ष मंजिल तक
इसी प्रकार हैं।
खुलने का समय – सैलानियों के लिए हवा महल सुबह 9.00 बजे से शाम 4.30 बजे तक खुला रहता है। यह पुराने जयपुर के प्रसिद्ध जौहरी बाजार या बड़ी चौपड़ के
पास स्थित है। यहां पहुंचने के लिए निकटम मेट्रो रेल का स्टेशन चांद पोल है। आप
चांद पोल से टहलते हुए गुलाबी शहर का नाजारा लेते हुए हवा महल तक पहुंच सकते हैं। हवा महल के आसपास से शॉपिंग भी कर सकते हैं।
vidyutp@gmail.com
बहुत सुन्दर प्रस्तुति
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