हरि (विष्णु) और हर
(महादेव) का क्षेत्र है हरिहर क्षेत्र यानी सोनपुर। यह शैव और वैष्णव परंपरा का संगम। इस स्थल के साथ गज और
ग्राह के युद्ध की कथा जुड़ी हुई है।
भगवान विष्णु के भक्त गज (हाथी) और मगरमच्छ (ग्राह) के बीच कौनहारा घाट में युद्ध
हुआ था। ये कथा श्रीमदभागवत पुराण में आती है। भगवान विष्णु का प्रिय भक्त राजा इन्द्रद्युमन एवं
गंधर्व प्रमुख हूहू को ऋषि अगस्त मुनि एवं देवाल मुनि के श्राप से गज एवं ग्राह
योनि में जन्म लेना पड़ा। गज और ग्राह की लड़ाई गंडक नदी में नेपाल में शुरू हुई थी। उनके बीच सालों युद्ध होता
रहा। कभी ग्राह हाथी को खीच कर जल में ले जाता तो कभी हाथी ग्राह को खींच कर
किनारे पर ले आता। कोई हारने को तैयार नहीं था। दोनों गंगा गंडक के संगम पर हरिहर
क्षेत्र में के पास पहुंचकर निर्णायक युद्ध के करीब पहुंचे।
उधर, स्वर्गलोक में भगवान विष्णु अपने भक्त गज और ग्राह
की सारी गतिविधियों पर नजर रखे हुए थे, पत्नी लक्ष्मी के बार-बार आग्रह करने पर की आप का भक्त मर जाएगा। कुछ कीजिए। भगवान विष्णु बोले अभी समय नहीं आया है, अभी वह अपने भरोसे
संघर्ष कर रहा है। उसको मेरी जरुरत नहीं है। पर जब इस युद्ध में गज हारने लगा तब
जीवन संकट में देख वह पुकार उठा - हे गोबिंद राखो शरण अब तो जीवन हारे...।
अपने भक्त की पुकार सुनकर बिना देरी किए भगवान विष्णु बिना एक पल गवाएं खाली पैर भागे-भागे आए और अपने सुदर्शन चक्र से ग्राह को मार कर अपने भक्त का दुख हर लिया और ग्राह को मरने के उपरांत स्वर्ग लोक भेज दिया। वास्तव में युद्ध में ग्राह की हार नहीं हुई क्योंकि गज का भगवान विष्णु ने साथ दिया इसलिए इस स्थल को कौनहारा भी कहते हैं। और इसलिए ये घाट कौनहारा घाटा कहलाता है।
अपने भक्त की पुकार सुनकर बिना देरी किए भगवान विष्णु बिना एक पल गवाएं खाली पैर भागे-भागे आए और अपने सुदर्शन चक्र से ग्राह को मार कर अपने भक्त का दुख हर लिया और ग्राह को मरने के उपरांत स्वर्ग लोक भेज दिया। वास्तव में युद्ध में ग्राह की हार नहीं हुई क्योंकि गज का भगवान विष्णु ने साथ दिया इसलिए इस स्थल को कौनहारा भी कहते हैं। और इसलिए ये घाट कौनहारा घाटा कहलाता है।
गजेंद्र मोक्ष
धाम - हरिहर क्षेत्र को गजेंद्र मोक्षधाम भी कहते हैं। हाजीपुर के कौनहारा
घाट पर गज ग्राह की प्रतिमा बनवाई गई है। इस कथा को महत्व प्रदान करने के लिए
हाजीपुर रेलवे स्टेशन की इमारत पर भी गज और ग्राह की युद्धरत प्रतिमा देखी जा सकती
है। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव बाबा हरिहरनाथ के बड़े भक्त हैं।
वे कई बार यहां पूजा करने आ चुके हैं।
बाबा
रामलखनदास का मठ – हरिहरनाथ मंदिर के
बगल में बाबा रामलखन दास का मठ है। बाबा शास्त्रीय संगीत के बड़े संरक्षक थे। यहां
बाबा की पुण्य तिथि पर हर साल 7 अगस्त को शास्त्रीय संगीत की संध्या का आयोजन होता
है। बाबा के जीवन काल में ये आयोजन भव्य स्तर पर होता था। यहां गोदई महाराज और सितारा
देवी जैसे कलाकार पहुंचते थे।
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