जयपुर शहर में हवा महल सिटी पैलेस आदि दिखाने के बाद बस आगे चल पड़ी। हमलोग पहुंच गए जल महल। जल महल राजस्थान की राजधानी जयपुर के मानसागर झील के मध्य स्थित
प्रसिद्ध ऐतिहासिक महल है। जयपुर से आमेर की तरफ जाते हुए दाहिनी तरफ जल महल दिखाई
देता है। जयपुर के कछवाहा वंश के राजा इस महल को अपनी रानी के साथ अपना खास वक्त बिताने के लिए इस्तेमाल
करते थे। वे इसका प्रयोग राजसी उत्सवों पर भी करते थे। जल महल 300 एकड़
में फैला हुआ है। इसके सरोवर के पानी की गहराई 4.5 मीटर तक
है।
चार मंजिलें पानी के अंदर डूबी रहती हैं - तपते रेगिस्तान के बीच बसे इस महल में गरमी बिल्कुल नहीं लगती।
क्योंकि इसके कई तल पानी के अंदर बनाए गए हैं। जल महल कुल पांच मंजिलों का
है, इसकी
चार मंजिलें पानी के अंदर डूबी रहती हैं। इस महल से पहाड़ और झील का खूबसूरत
नजारा भी दिखाई देता है। चांदनी रात में झील के पानी में इस महल का नजारा बेहद
आकर्षक होता है। तो है ना निहायत रोमांटिक महल।
जल महल का निर्माण मानसागर झील के मध्य में कराया गया है। यह एक मीठे पानी की झील है। इस महल का निर्माण महाराजा सवाई प्रताप सिंह ने अश्वमेध यज्ञ के बाद अपनी रानियों और पंडित के साथ स्नान के लिए करवाया था। इस महल के निर्माण से पहले जयसिंह ने जयपुर की जलापूर्ति हेतु गर्भावती नदी पर बांध बनवाकर मानसागर झील का निर्माण करवाया। इसका निर्माण 1799 में हुआ था। इसके निर्माण के लिए राजपूत शैली से तैयार की गई नौकाओं की मदद ली गई थी।
जल महल का निर्माण मानसागर झील के मध्य में कराया गया है। यह एक मीठे पानी की झील है। इस महल का निर्माण महाराजा सवाई प्रताप सिंह ने अश्वमेध यज्ञ के बाद अपनी रानियों और पंडित के साथ स्नान के लिए करवाया था। इस महल के निर्माण से पहले जयसिंह ने जयपुर की जलापूर्ति हेतु गर्भावती नदी पर बांध बनवाकर मानसागर झील का निर्माण करवाया। इसका निर्माण 1799 में हुआ था। इसके निर्माण के लिए राजपूत शैली से तैयार की गई नौकाओं की मदद ली गई थी।
अरावली
पहाड़ियों के गर्भ में स्थित यह महल झील के बीचों बीच होने के कारण 'आई बॉल' भी कहा जाता
है। इसे 'रोमांटिक महल' के
नाम से भी जाना जाता था। महाराजा जयसिंह द्वारा
निर्मित यह महल मध्यकालीन महलों की तरह मेहराबों, बुर्जो, छतरियों और सीढ़ीदार जीनों से युक्त दोमंजिला और वर्गाकार रूप में निर्मित
भवन है। जलमहल को अब पक्षी अभ्यारण के रूप में भी विकसित किया जा रहा है। यहां की
नर्सरी में एक लाख से अधिक वृक्ष लगे हैं। यहां राजस्थान के सबसे ऊंचे पेड़ पाए
जाते हैं।
कैसे पहुंचे - जल महल की दूरी जयपुर शहर से आमेर मार्ग पर 6
किलोमीटर है। जयपुर घूमाने वाली टूरिस्ट बसें आमेर जाते वक्त जल महल के सामने
रूकती हैं। हालांकि जल महल के अंदर जाने के लिए सैलानियों के लिए अनुमति नहीं है।
इसे आप सड़क से ही निहार सकते हैं। यह स्थल सुबह या शाम को टहलने वालों के लिए
आदर्श है। यहां अक्तूबर से मार्च के मध्य जाएं तो बेहतर होगा। मैं 1998 के फरवरी महीने में पहली बार यहां पहुंचा था।
सालों भर शाम को जल महल के सामने रौनक रहती है। सड़क के किनारे चौपाटी बना हुआ है। यहां बाजार सजा रहता है। रात दस बजे तक लोग यहां विचरण करते हैं। यहां हस्तशिल्प की दुकानें और खाने पीने के स्टाल लगे रहते हैं। पानी पूरी खाइए और जल महल के सौंदर्य का आनंद लिजिए।
- विद्युत प्रकाश मौर्य - vidyutp@gmail.com
(JAL MAHAL, WATAR, JAIPUR , SWAI PRATAP SINGH)
सालों भर शाम को जल महल के सामने रौनक रहती है। सड़क के किनारे चौपाटी बना हुआ है। यहां बाजार सजा रहता है। रात दस बजे तक लोग यहां विचरण करते हैं। यहां हस्तशिल्प की दुकानें और खाने पीने के स्टाल लगे रहते हैं। पानी पूरी खाइए और जल महल के सौंदर्य का आनंद लिजिए।
- विद्युत प्रकाश मौर्य - vidyutp@gmail.com
(JAL MAHAL, WATAR, JAIPUR , SWAI PRATAP SINGH)
जानकारी के लिए आभार।
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लज़ीज़ खाना: जी ललचाए, रहा न जाए!!