जनकपुर शहर से भारत के हिंदुओं
का आत्मीय रिश्ता है। भला हो भी क्यों न राजा रामचंद्र जी की ससुराल है। यहीं की
बगिया में सीता माता ने पहली बार रामजी को देखा था और उनके रुप मोहित हो गई थीं।
हमने देखा कि आज भी जनकपुर में शादियां बड़े संस्कारी तरीके से होती है। जनकपुर के
बाजार में सुरूचिपूर्ण तरीके से दुल्हे और दुल्हनें सजती दिखाई दीं। नेपाली दुल्हे
का श्रंगार अदभुत होता है। यहां की दुल्हनें..मानो हर दुल्हन माता सीता का रुप ही
हो। शादी से पहले दुल्हने सज संवर का माता जानकी मंदिर में आशीर्वाद लेने जाती है।
12 जून को जब हमलोग जनकपुर मंदिर में पहुंचे तो आसपास में कई बारात निकल रही थी। तो
हमारे राष्ट्रीय एकता शिविर में आए 19 राज्यों के कई उत्साही नौजवान शादी के
बैंडबाजा के साथ कूद पड़े। बेगानी की शादी में अब्दुल्ला दीवाना की तरह जमकर नाचे।
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राजा जनक जी का मंदिर |
जनकपुर शहर का मुख्य बाजार
जानकी मंदिर के आसपास में ही सिमटा है। बाजार खूबसूरत है। किसी भारतीय बाजार सा
ही दिखाई देता है। सारे साइन बोर्ड देवनागरी लिपी में है। लगता नहीं है कि आप
हिंदुस्तान से बाहर है। दुकानदार मीठी मैथिली में गप्प करते नजर आते हैं।
पर अब जनकपुर से खरीददारी का आकर्षण खत्म हो चुका है। बाजार में 90 फीसदी सामान भारत का ही बिकता है। किसी जमाने में लोग नेपाल के बाजारों से छाता, टार्च, घड़ी, कैमरा, जींस जैसी चीजें खरीद लाते थे। अब वे सब चीजें भारतीय बाजार में सुलभ हैं।
पर अब जनकपुर से खरीददारी का आकर्षण खत्म हो चुका है। बाजार में 90 फीसदी सामान भारत का ही बिकता है। किसी जमाने में लोग नेपाल के बाजारों से छाता, टार्च, घड़ी, कैमरा, जींस जैसी चीजें खरीद लाते थे। अब वे सब चीजें भारतीय बाजार में सुलभ हैं।
जानकी मंदिर परिसर में सजी दुकानें |
जनकपुर के बाजार में अब बड़ी
संख्या में बैटरी रिक्शा दौड़ते हुए दिखाई दे रहे हैं। किराया भी वाजिब है। पर नेपाल
में ये बैटरी रिक्शा दो लाख से अधिक का पड़ रहा है। जबकि भारत में 70 हजार से 1.20
लाख का पड़ता है।
हमारे बैटरी रिक्शा चालक नृपेंद्र लाल कर्ण बताते हैं कि बैटरी रिक्शा महंगा जरूर है पर इससे कमाई अच्छी हो जाती है। कर्ण कायस्थ बिरादरी के हैं। उनकी ससुराल बिहार के मधुबनी जिले में है। वे अक्सर वहां जाते भी रहते हैं।
हमारे बैटरी रिक्शा चालक नृपेंद्र लाल कर्ण बताते हैं कि बैटरी रिक्शा महंगा जरूर है पर इससे कमाई अच्छी हो जाती है। कर्ण कायस्थ बिरादरी के हैं। उनकी ससुराल बिहार के मधुबनी जिले में है। वे अक्सर वहां जाते भी रहते हैं।
नेपाल की सड़कों पर भारतीय कंपनियों की गाड़ियां -
नेपाल की सड़कों पर भारतीय कंपनी हीरो, बजार, होंडा आदि की बनी बाइक खूब नजर आती है। पर हीरो की बाइक पैसन प्रो यहां आकर एक लाख 20 हजार की हो जाती है भारतीय करेंसी में।जबकि भारत में ये 55 हजार की पड़ती है।
आखिरी इतनी महंगी क्यों। भारत निर्मित कारों की कीमत भी नेपाल में दुगुनी हो जाती है। ऐसा नेपाल सरकार की महंगी टैक्स व्यवस्था के कारण होता है। हाल के कुछ सालों से नेपाल के लोग अरब देशों में भी जाकर नौकरी करने लगे हैं। इसके कारण नकदी का प्रवाह बढ़ा है। लोग फटाफट बाइक खरीद रहे हैं।
- विद्युत प्रकाश मौर्य- vidyutp@gmail.com
नेपाल की सड़कों पर भारतीय कंपनी हीरो, बजार, होंडा आदि की बनी बाइक खूब नजर आती है। पर हीरो की बाइक पैसन प्रो यहां आकर एक लाख 20 हजार की हो जाती है भारतीय करेंसी में।जबकि भारत में ये 55 हजार की पड़ती है।
आखिरी इतनी महंगी क्यों। भारत निर्मित कारों की कीमत भी नेपाल में दुगुनी हो जाती है। ऐसा नेपाल सरकार की महंगी टैक्स व्यवस्था के कारण होता है। हाल के कुछ सालों से नेपाल के लोग अरब देशों में भी जाकर नौकरी करने लगे हैं। इसके कारण नकदी का प्रवाह बढ़ा है। लोग फटाफट बाइक खरीद रहे हैं।
- विद्युत प्रकाश मौर्य- vidyutp@gmail.com
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