सम्राट अशोक द्वारा देश भर में
30 अशोक स्तंभ बनवाए जाने की चर्चा मिलती है। इसमें बिहार के पश्चिम चंपारण जिले
के लौरिया का अशोक स्तंभ प्रमुख है। पत्थर के बने इस स्तंभ के शीर्ष पर बैठे हुए शेर
की आकृति बनी है। जो सम्राट अशोक के शासन काल में वीरता और वैभव का प्रतीक है। मानो
ऊंचाई पर बैठा शेर दुश्मनों को चुनौती दे रहा हो कि कोई हमारे सम्राज्य की ओर बुरी
नजर से न देखे।
लौरिया का स्तंभ सम्राट अशोक के 27 वर्ष के शासन काल में निर्मित
कराया गया था। रामपुरवा का स्तंभ इससे एक साल पहले का बना हुआ है। ( नंद मौर्य
युगीन भारत, के ए नीलकंठ शास्त्री, पृष्ठ- 410 ) पर स्तंभ पर सम्राट ने जनता के
लिए संदेश उत्कीर्ण कराया है। अशोक स्तंभ पर ब्राह्मी या खरोष्ठी लिपि में भगवान
बुद्ध के परिनिर्वाण की कथा और शासनादेश अंकित है। स्तंभ में शेर के नीचे कलात्मक
पट्टी बनी हुई है। इस पट्टी में हंस के जोड़े चोंच मिलाए हुए दिखाई देते हैं।
लौरिया नंदनगढ़ का स्तंभ बाकी
स्तंभों की तुलना में ज्यादा सुरक्षित और अखंड है। सभी मौर्य स्तंभों के निर्माण
में चुनार के पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है। इनके ऊपर शीशे की चमकती पालिश है जो
2000 साल बाद भी चमकती हुई नजर आती है। यह पालिश संभवत सिलिका या वार्निश से की
हुई लगती है। एक ही पत्थर के इस्तेमाल से लगता है चुनार के पास कोई बड़ा शिल्प
केंद्र रहा होगा जिसे सम्राट अशोक का संरक्षण प्राप्त था। शुरुआत के बने स्तंभों
की तुलना में बाद में बने स्तंभों में कलात्मक परिपक्वता बढ़ती हुई दिखाई देती है।
स्तंभ पर पशु आकृति और दूसरी आकृतियों में लय सामंजस्य दिखाई देता है। स्तंभ पर
रस्सी, दाना और घिरनी के डिजाइन बने हुए हैं। शेर के नीचे कमल का शतदल बना है।
इसमें आकर्षक पंखुडियां दिखाई देती हैं।
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लौरिया के अशोक स्तंभ पर ब्राह्मी लिपी में लिखी इबारत। |
स्तंभ के आसपास सरकार द्वारा संरक्षित होने के
बोर्ड लगाया गया है। पर मैं 11 जून 2015 की सुबह वहां पहुंचा तो स्तंभ के आसपास की जमीन
पर गैस एजेंसी द्वारा सिलिंडर वितरण किया जा रहा था सैकड़ो लोग लंबी लाइन लगाए
खड़े थे। लौरिया चौक से अशोक स्तंभ के मार्ग में संरक्षित जमीन पर लोग शौच करते
हैं जिसकी बदबू दूर तक फैलती है।
विद्युत प्रकाश मौर्य - vidyutp@gmail.com
(LAURIA NANDANGARH, ASHOK STAMBH, CHAMPARAN, BIHAR )
(LAURIA NANDANGARH, ASHOK STAMBH, CHAMPARAN, BIHAR )
हरेक पोस्ट को पढ़ता हूँ
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