
आखिर कौन थे कलंदर शाह। कलंदर शाह का वास्तविक नाम शेख शर्राफुद्दीन था। उनके पिता शेख
फख़रुद्दीन भी अपने समय के एक महान संत और विद्वान थे। कलंदर शाह 1190
ई. में पैदा हुए और 122 साल की उम्र में 1312
ई. में उसका निधन हो गया था। कलंदर शाह के जीवन के शुरुआत के 20 साल
दिल्ली में कुतुबमीनार के पास गुजरे। उसके बाद वे पानीपत आ गए।
कुछ विद्वान कहते हैं कि वे इराक से आए थे और पानीपत में बस गए। उनके नाम के साथ कलंदर जोड़ दिया गया जिसका अर्थ है- वह व्यक्ति जो दिव्य आनंद में इतनी गहराई तक डूब चुका है कि अपनी सांसारिक संपत्ति और यहां तक कि अपनी मौजूदगी के बारे में भी परवाह नहीं करता। उन्होंने पारसी काव्य संग्रह भी लिखा था जिसका नाम दीवान ए हजरत शरफुद्दीन बु अली शाह कलंदर है। वे सूफी संत ख्वाजा कुतुबद्दीन बख्तियार काकी के शिष्य थे।
कुछ विद्वान कहते हैं कि वे इराक से आए थे और पानीपत में बस गए। उनके नाम के साथ कलंदर जोड़ दिया गया जिसका अर्थ है- वह व्यक्ति जो दिव्य आनंद में इतनी गहराई तक डूब चुका है कि अपनी सांसारिक संपत्ति और यहां तक कि अपनी मौजूदगी के बारे में भी परवाह नहीं करता। उन्होंने पारसी काव्य संग्रह भी लिखा था जिसका नाम दीवान ए हजरत शरफुद्दीन बु अली शाह कलंदर है। वे सूफी संत ख्वाजा कुतुबद्दीन बख्तियार काकी के शिष्य थे।
बू-अली शाह कलंदर महान सूफी संत
थे। कहा जाता है सूफी संत लोग भीख नहीं मांगते हैं, लेकिन अपने प्रशंसको और भक्तों द्वारा स्वेच्छा से जो कुछ भी दिया जाता है, उसी पर अपना
जीवन निर्वाह करते रहते हैं। 700 साल पुराना मकबरा
अला-उद्-दीन खिलजी के बेटों, खिजि़र खान और शादी खान ने
बनवाया था।
कलंदर शाह का यह मकबरा पानीपत
में कलंदर चौक पर स्थित है जो उसी के नाम पर है। मकबरे के बगल में मसजिद भी है। इस मकबरे के मुख्य द्वार के
दाहिनी तरफ प्रसिद्ध उर्दू शायर ख्वाजा अल्ताफ हुसैन हाली पानीपती की कब्र भी है।
सभी समुदायों के लोग हर गुरुवार को प्रार्थना करने और आशीर्वाद लेने के लिए यहां आते
हैं।
मन्नत मांगने वाले लगाते हैं
ताला – कलंदर शाह की दरगाह पर बड़ी संख्या में लोग मन्नत मांगने आते हैं। मन्नत
मांगने वाले लोग दरगाह के बगल में एक ताला लगा जाते हैं। कई बार इस ताले के साथ
लोग खत लिख कर भी लगाते हैं। दरगाह के बगल में हजारों ताले लगे देखे जा सकते हैं। वैसे
कलंदर शाह की दरगाह पर हर रोज श्रद्धालु उमड़ते हैं। पर हर गुरुवार को दरगाह पर
अकीदतमंदों की भारी भीड़ उमड़ती है।
कैसे पहुंचे – कलंदर शाह की दरगाह
शहर के तंग गलियों के बीच गांधी उद्यान के पास स्थित है। पानीपत बस स्टैंड से
रिक्शा से कलंदर चौक के पास तक पहुंच सकते हैं। वहीं आप जीटी रोड से इंसार बाजार,
मेन बाजार, हलवाई हट्टा होते हुए पैदल पैदल भी दरगाह तक पहुंच सकते हैं।
vidyutp@gmail.com - ( SHAH QUALANDAR, KALANDAR SHAH, SUFI SAINT, PANIPAT )
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