
पानीपत शहर
के जीटी रोड पर स्थित स्काईलार्क रिजार्ट के बगल से अंदर जाते रास्ते पर दो
फर्लांग आगे इब्राहिम लोदी की मजार है। वही इब्राहिम लोदी जो पहले पानीपत युद्ध
में बाबर से हार गया था और लोदी वंश के अंत के साथ देश में मुगलिया सल्तनत की नींव
पड़ी। इसी मजार से 200 मीटर की दूरी पर मैं दो साल तक पानीपत में रहा। आते जाते कई बार इस मजार पर नजर पड़ जाती थी, जिस पर कभी कोई फूल चढ़ाने नहीं आता है।
पानीपत की
पहली लड़ाई 1526 में बाबर और इब्राहिम
लोधी के मध्य हुई। इस युद्ध में बाबर ने लोधी को पराजित
किया था। इसी युद्ध से भारत में मुगल साम्राज्य की नींव पड़ी। इब्राहिम लोधी दिल्ली सल्तनत का अंतिम अफगान सुल्तान था। उसने भारत पर 1517-1526 तक राज किया और फिर मुगलों द्वारा पराजित हुआ, जिन्होंने एक नया
वंश स्थापित किया, जिस वंश ने देश पर तीन शताब्दियों तक
राज्य किया। इब्राहिम लोदी को अपने पिता सिकंदर लोदी के
मरने के बाद गद्दी मिली थी। हालांकि उसकी शासकीय
योग्यताएं अपने पिता जैसी नहीं थीं। उसे कई विद्रोहों का सामना करना पड़ा।
इब्राहिम
लोदी की मौत पानीपत के प्रथम युद्ध के दौरान ही हो गई। बाबर के पास उच्च कोटि के सैनिक थे
जबकि लोधी सैनिकों से अलग हो गया था। इब्राहिम लोदी की सबसे बड़ी कमजोरी उसका हठी
स्वभाव था। पानीपत का पहला युद्ध भारत उन कुछ युद्धों में से एक था जिनमें तोप, हथियार और बारूद का इस्तेमाल किया गया था।
हालांकि
लोधी की सेना काफी बड़ी थी , लेकिन फिर भी बाबर ने इब्राहिम लोधी को इस
लड़ाई में धूल चटा दी। एक अनुमान के मुताबिक बाबर की सेना में लगभग 25 हजार सैनिक और 25 तोपें थी जबकि इब्राहिम
लोधी की सेना में लगभग एक लाख सैनिक थे जिनमें 30,000 से 40,000 तक सैनिक और शिविर अनुयायी थे।
इसमें 1000 जंगी हाथी भी शामिल थे। पर बाबर एक
चतुर रणनीतिकार था। उसने अपनी तोपों को गाडि़यों के पीछे रखा जिन्हें जानवरों की
चर्बी से बनी मजबूत रस्सियों से बांधा गया था। उन तोपों को पर्दों से बांधा और ढका
गया था। इससे यह सुनिश्चित हो गया कि उसकी सेना बिना हमला हुए बंदूकें चला सकती है।
बाबर की तोपें बैलगाड़ियों से ढोई जाती थीं। इन तोपों की मार से लोदी की सेना के हाथी बिदक जाते थे। घायल हाथी अपने ही सेना के सैनिकों को रौंदने लगते। सर जदुनाथ सरकार लिखते हैं कि ये जंगी हाथी तोपों के सामने निकम्मे साबित हुए।
युद्ध के दौरान 21 अप्रैल 1526 को पानीपत के मैदान में इब्राहीम लोदी और बाबर के मध्य हुए भयानक संघर्ष
में लोदी की बुरी तरह हार हुई और उसकी हत्या कर दी गई। इब्राहिम लोधी का मृत शरीर
पानीपत में ही दफना दिया गया था। बाद में वहां ब्रिटिश सरकार ने उर्दू में एक
संक्षिप्त शिलालेख के साथ एक साधारण मंच का निर्माण करवाया। पर कई दशक तक ये मजार
बदहाल रहा। एक हारे हुए शासक की मजार पर कभी कोई फूल चढाने भी नहीं आता। आसपास में
गंदगी का आलम था।
पर हाल के साल में इस मजार के आसपास जिला प्रशासन द्वारा सौंदर्यीकरण किया गया है। पहले की तुलना में थोड़ी साफ सफाई दिखाई देती है। हालांकि 1517 में निधन होने के बाद उसके पिता सिकंदर लोदी की मजार दिल्ली में बनाई
गई। ये अष्टकोणीय मजार दिल्ली के प्रसिद्ध लोदी गार्डन में स्थित है।
इब्राहिम लोदी जब दिल्ली से युद्ध लड़ने के लिए पानीपत के लिए चला तब पंडितों और ज्योतिषियों ने मुहुर्त देखकर भविष्यवाणी की थी कि ये युद्ध आप ही जीतेंगे। साथ ही कहा था कि उनकी मंत्र शक्ति से बाबर की सेना अंधी हो जाएगी। पर ऐसा कुछ नहीं हुआ।
विद्युत प्रकाश मौर्य - vidyutp@gmail.com
( IBRAHIM LODHI, PANIPAT, FIRST WAR OF PANIPAT )
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन कवि सुमित्रानंदन पन्त और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
ReplyDeleteआपका बहुत बहुत धन्यवाद
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ReplyDeleteसुन्दर सटीक और सार्थक रचना के लिए बधाई स्वीकारें।
कभी इधर भी पधारें
आपका बहुत बहुत धन्यवाद
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