महाराष्ट्र
में गणपति के मंदिरों की परंपरा में अष्ट विनायक प्रसिद्ध हैं। इन अष्ट विनायक मंदिरों
में सबसे लोकप्रिय मंदिरों में है ओझर के गणपति। इन्हें विघ्नहर के नाम से पुकारा
जाता है। ये मंदिर कुकडी नदी के सुरम्य तट पर स्थित है। हमेशा श्रद्धालुओं के
आवागमन से मंदिर के आसपास सालों भर मेले जैसा माहौल बना रहता है।
पहले ओझर जाना हमारी सूची में नहीं था,पर हमारे एसयूवी के ड्राईवर साहब आखिरी पड़ाव में हमें यहां लेकर आ गए। और
यहां पहुंच कर मन आनंदित हो उठा। गणेश जी के कारण ही ओझर एक छोटा सा कस्बा बन चुका
है। मंदिर के आसपास सुंदर सा बाजार और अतिथि गृह बन चुके हैं।
ओझर के विघ्नहर गणपति का मंदिर का सभागृह 10 फीट लंबा और 10 फीट चौड़ा है। जबकि एक और सभागृह 20 फीट लंबा है। अन्य मंदिरों की तरह यहां भी विघ्नेश्वर का मंदिर भी पूर्वमुखी है।
यहां एक दीपमाला भी है जिसके पास द्वारपाल खड़े हैं। विघ्नेश्वर की
मूर्ति पूर्वमुखी है और साथ ही साथ सिन्दूर औए तेल से संलेपित है। इनकी आंखों और
नाभि में हीरा जड़ा है जो गणपति को और भी सुंदर बनाता है। मूर्ति के पीछे रिद्धि और
सिद्धि की मूर्तियां देखी जा सकती हैं।
मंदिर की कथा
- ये मंदिर 1833 का बना हुआ है।मंदिरों की तरह इस मंदिर के पीछे भी एक मनोरंजक
पौराणिक कथा है। कहा जाता है राजा अभिनंदन ने त्रिलोक का राजा होने के लिए यज्ञ
शुरू किया। इस दौरान विध्नासुर राक्षस काफी उत्पात मचा रहा था। ऋषि मुनियों ने
विघ्नासुर के वध के लिए तब गणेश जी से विनती की। विध्नासुर डर कर गणपति के शरण में
गया और उसने अपनी हार मानते हुए आग्रह किया कि यहां जब आपकी पूजा हो तो आपके साथ
मेरा भी नाम लिया जाए। 1785 में इस मंदिर में चिमाजी अप्पा
ने सोने का कलश चढ़वाया।
नारियल फोड़ने के लिए बिजली से चलने वाली मशीन |
रहने का सुंदर इंतजाम - ओझर में
श्रद्धालुओं के रहने का सुंदर इंतजाम है। यहां एक समय में 3000 लोगों के रहने का इंतजाम किया गया है। सबसे कम महज 35 रुपये में श्रद्धालु डारमेटरी सिस्टम में ठहर सकते हैं। वहीं 250 से लेकर 350 रुपये में आप डबल बेड के बेहतर कमरों
में ठहर सकते हैं।
महा प्रसाद योजना - मंदिर ट्रस्ट की ओर से रियायती दर पर प्रसाद ( भोजन) का भी इंतजाम है। ये योजना 2004 से चल रही है। इसका समय – सुबह 10 से 1 बजे तक शाम 7.30 से 10.30 तक है। आने वाले श्रद्धालु इसका लाभ उठा सकते हैं। मंदिर दर्शन के लिए सुबह 5 बजे से रात्रि 11 बजे तक खुला रहता है।
अष्ट विनायक के दर्शन
करने आने वाले श्रद्धालु के रात्रि ओझर में विश्राम जरूर करते हैं। मंदिर आने वाले
श्रद्धालु रंग बिरंगे सजे हुए वाहन में यहां पहुंचते हैं। ऐसा ही बिजली से झालरों
से सजा हुआ एक बस हमें यहां मंदिर परिसर में दिखाई दिया।
कुकडी नदी और जलाशय - ओझर का गणपति मंदिर कुकडी नदी के मनोरम तट के किनारे स्थित है। मंदिर के बगल में बहने वाली कुकडी नदी पर यादगांव डैम बना है। इस डैम के पास सुंदर जलाशय का निर्माण हो गया है। आप चाहें तो इस जलाशय के निर्मल जल में बोटिंग का भी इंतजाम है। जुन्नर के पास पश्चिमी घाट से निकलने वाली कुकडी नदी पत्थरों की शिलाओं का काटकर अपना रास्ता बनाती है। यह नजारा भी अपने आप में अदभुत है।
कुकडी नदी और जलाशय - ओझर का गणपति मंदिर कुकडी नदी के मनोरम तट के किनारे स्थित है। मंदिर के बगल में बहने वाली कुकडी नदी पर यादगांव डैम बना है। इस डैम के पास सुंदर जलाशय का निर्माण हो गया है। आप चाहें तो इस जलाशय के निर्मल जल में बोटिंग का भी इंतजाम है। जुन्नर के पास पश्चिमी घाट से निकलने वाली कुकडी नदी पत्थरों की शिलाओं का काटकर अपना रास्ता बनाती है। यह नजारा भी अपने आप में अदभुत है।
ओझर में कुकडी नदी का किनारा। |
- विद्युत प्रकाश मौर्य - vidyutp@gmail.com
( OZAR,
OZHAR, PUNE - NASIK, GANPATI, VIGHNAHAR, ASHTAVINAYAK, KUKADI RIVER
)
अष्ट
विनायक मंदिर की वेबसाइट -
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